Tuesday, January 10, 2012

जब सो गयी थी इप्टा



इप्टा के पुनर्जागरण का दौर आगरा में इसके 1985 में हुए राष्ट्रीय परिसम्मेलन से हुआ। इसकी अध्यक्षता श्री कैफी आज़मी ने की। 1986 में उन्हीं की सदारत में हैदराबाद में इप्टा का 9 वां राष्ट्रीय सम्मेलन आहूत किया गया, जिसका अब रजत जयंती वर्ष है। कैफी साहब की दसवीं पुण्यतिथि भी इसी साल है।

आगरा में कैफी साहब ने कहा था ‘‘इप्टा मरी नहीं थी, थोड़ी देर के लिये सो गयी थी। कुछ लोग जागते रहे हैं लेकिन उनकी आँखें मुंदी रही हैं’’....‘‘खून के रिश्ते से बड़ा है जजबात का रिश्ता’’ और ये भी कि ‘‘इप्टा से बड़ा कोई तीर्थ नहीं जहाँ सब लोग मिल सकें।’’

हैदराबाद सम्मेलन के समापन पर वे बोले, ‘‘साथियो, मैं तुम्हें नयी मुहिम के लिये विदा करता हूं। जाओ और अपने हुनर से अवाम व मुल्क की बेहतरी के लिये काम करो!’’

प्रस्तुति : जितेन्द्र रघुवंशी
आगरा होटल के अपने प्रिय कमरे में कैफी साहब। साथ में जितेन्द्र रघुवंशी व ओम ठाकुर 

आगरा सम्मेलन में कैफी साहब का स्वागत करते बी.एन.शुक्ला व पी.सी. जैन





सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बायें से: कैफी आजमी, पी.सी. जैन, राजेन्द्र रघुवंशी, ए.के. हंगल,
रूमा गुहा ठाकुरता, एम.एस. सथ्यू, तेरसिंह चन्न व दीना पाठक


5 comments:

  1. Chhota sa spashtikaran hai-Agra men Convention(Parisammelan) hua tha,Hyderabad men Conference(Sammelan).Tasweeren Agra ki hain.
    ...Dineshji ko post karne ke liye dhanyavad!
    -Jitendra Raghuvanshi

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  2. अपने आर्काइव्स से आपने यह बेहतरीन तस्वीरें ढूंढ निकाली हैं

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  3. जितेन्द्र जी, गलतियां सुधार ली है। आभार!

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  4. Dhanyavad,Dinesh ji!
    Jitendra Raghuvanshi

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