आगरा। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की स्थापना की 70 वीं वर्षगांठ और जन संस्कृति दिवस के अवसर पर शुक्रवार को सूरसदन के बेसमेंट में लिटिल इप्टा ग्रीष्म शिविर का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन संरक्षक सुरेश चंद गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में बच्चों ने कई मनमोहक प्रस्तुतियां दी।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरूआत बाल एवं तरूण कलाकारों के संयुक्त स्वरों से हुई। उन्होंने राजेन्द्र रघुवंशी लिखित और कुमार जसूजा द्वारा संगीतबद्ध ‘जागो हे जागो’ और जगजीत सिंह की रचना ‘मां सुनाओ मुझे एक कहानी, जिसमें राजा हो न रानी’ का गायन किया। बालिकाओं ने भरतनाट्यम की झलकियां पेश की। दो तरूणों ने अदम गोंडवी की ग़ज़लों पर आधारित कोलाज प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण नन्हें-मुन्हों की सामूहिक प्रस्तुति रही। उन्होंने ‘‘मैंने रंगों का डिब्बा जो खोला, तो सारे रंग भागकर चले गये’’ की प्रस्तुति से अतिथियों की वाहवाही बटोरी। कृष्णा सिसौदिया ने कविता मां का पाठ किया। संरक्षक ने बच्चों को संस्कारिक करने में इप्टा की भूमिका की सराहना की और प्रतिभागियों को शुभकामनायें दीं। अध्यक्षता कर रहे एम.एल. गुप्ता, विशिष्ट अतिथि रमेश मिश्रा, डॉ. शशि तिवारी, राम स्वरूप दीक्षित और ओ.पी. सरीन ने कामना की कि यह शिविर कला, विचार व प्रतिभा का उत्सव बनेगा।
इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी ने देशभर में आयोजित जन संस्कृति दिवस के कार्यक्रमों की जानकारी दी। शिविर के संयोजक सुबोध गोयल ने अतिथियों का स्वागत किया। बाल रंगमंच निर्देशिका डॉ. ज्योत्सना रघुवंशी ने धन्यवद ज्ञापन किया। कार्यक्रमों का निर्देशन सह संयोजक डॉ. विजय शर्मा, डिंपी मिश्रा, अल्का धाकड़, महेंद्र रागी, संजय वर्मा और रक्षा गोयल ने किया।
अमर उजाला की खबर पर आधारित
विवरण पढ़ कर अच्छा लगा और अतीत मे प्रत्यक्ष देखे कार्यक्रमों की भी याद आ गई।
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