Friday, May 4, 2012

अशोकनगर की कार्यशाला में “ आदमखोर “ का प्रदर्शन


अशोकनगर , दिनांक 1 मई 2012 को भारतीय जन नाट्य संघ ( इप्टा ) की अशोकनागर इकाई ने बच्चों  में  सृजनात्मक और कलात्मक क्षमता के विकास की दिशा में एक नई पहल की | आज  बाल एवं किशोर नाट्य कार्यशाला का उद्घाटन यहाँ स्थानीय जयप्रकाश पुस्तकालय में वरिष्ठ पत्रकार श्री अतुल लुम्बा ( गुना )  द्वारा किया गया | इस आठवीं नाट्य कार्यशाला का उद्घाटन करते हुये श्री लुम्बा ने कहा कि – “ आशोनगर में बच्चों के थेएटर  पर जो काम हो रहा है उसकी पहचान प्रदेश स्तर पर ही नहीं वरन राष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित की  गयी है |” 

 चित्रकार पंकज दीक्षित ने कहा –“ बच्चों की इस तरह की नाट्य कार्यशालाएं  उनकी सोच और विवेक को एक दिशा देतीं हैं जिससे बच्चों में सामाजिक दृष्टि का विकास होता है “| उन्होंने  आगे बोलते हुये कहा – “ इस तरह की कार्यशालाएं बच्चों को अकेला कलाकार ही नहीं उन्हें एक बेहतर इंसान बनाने में भी  एक बड़ी  भूमिका का निर्वाह करती हैं  |  श्री सत्येन्द्र रघुवंशी का कहना था कि – “ आज 125 वाँ मज़दूर दिवस है और यह दिन मेहनतकश अवाम के संघर्ष का प्रतीक है , बच्चों के रंग शिविर की शुरुआत के लिए इससे वेहतर दिन नहीं हो सकता था “| 

प्र . इप्टा के महासचिव हरिओम राजोरिया ने पच्चीस दिन  तक चलने वाली इस नाट्य कार्यशाला की विस्तृत रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुये बताया कि इस कार्यशाला में बच्चे  व्यायाम , संगीत , नाटक , थियेटर गेम ,नृत्य , क्राफ्ट ( मंचीय उपकरण निर्माण ) आदि का पच्चीस दिन तक नियमित सतत अभ्यास करेंगे | नाट्य कार्यशाला का समापन इप्टा के स्थापना दिवस 25 मई को किया जाएगा जिसमें  कार्यशाला के दरम्यान तैयार प्रस्तुतियों का प्रदर्शन बच्चे करेंगे | इस सत्र में बीना से आए लेखक श्री महेश कटारे “ सुगम  तथा स्थानीय नगर पालिका उपाध्यक्ष श्री महेंद्र भारद्वाज ने भी अपने विचार व्यक्त किए | इप्टा की परम्परानुसार सत्र की  शुरुआत में सुश्री सीमा राजोरिया और निवोदिता शर्मा द्वारा जनगीतों की प्रभावी प्रस्तुति की गयी |

 इस उद्घाटन सत्र के दूसरे हिस्से में पूर्ववर्ती नाट्य शिविरों में भागीदारी कर चुके बच्चों द्वारा महान कथाकार विजयदान देथा की कहानी “ आदमखोर “ ( रोहित झा द्वारा रूपांतरित ) का प्रभावी प्रदर्शन किया | इस नाटक के कथ्य में देवी मंदिर के एक पुजारी का एक पूरा जीवन चक्र है जो मनुष्य की आदिम लोभी वृत्ति को रेखांकित करता  है | लोकशैली के प्रयोग और बच्चों के प्रभावशाली अभिनय ने कहानी को मंच पर जीवंत कर दिया |  

इस नाटक का निर्देशन सुश्री सत्यभामा ने किया तथा सर्वश्री अविनाश तिवारी ,सत्यभामा, विनय खान , ऋषव श्रीवास्तव , सारांश पूरी और कबीर राजोरिया का अभिनय सराहनीय था | नाट्य स्थल छोटा होने से  और हाल के ठसाठस  भर जाने से अनेक दर्शकों को वापिस घर लौटना पड़ा | इप्टा अशोकनगर की नाट्य प्रस्तुतियों ने शहर में नाटक देखने वालों का एक स्थायी दर्शक वर्ग तैयार किया है |  इप्टा इस तरह की  सात नाट्य कार्यशालाएँ कर चुका है जिसमें बच्चों के एक दर्जन नाटकों पर बच्चों ने काम  किया है | शहर में 1988 से काम कर रही इस इकाई ने 1998 से बच्चों के थेयेटर पर काम शुरू किया था | इन नाटकों की कार्यशालायों ने अनेक युवा कलाकारों को तैयार किया है |   

             अशोकनगर  इप्टा की यह आठवीं किशोर एवं बाल नाट्य कार्यशाला फिल्म अभिनेता , रंगकर्मी और लेखक बलराज साहनी ( 1मई 1913- 13 अप्रैल 1973 ) की स्मृति को समर्पित की जा रही है | 1मई 2012 से उनका जन्म शताब्धी वर्ष शुरू हो रहा है | इप्टा के इस आयोजन में सभी वक्ता साथियों ने उन्हे याद किया

राकेश विश्वकर्मा,
सचिव, इप्टा,
अशोकनगर
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