रायबरेली। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर स्थानीय ‘इप्टा’ इकाई ने ‘‘ दर्शकों की मांग और हमारे नाटक’’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें विशेष तौर पर ‘दर्शक सदस्यों’ से अपने विचार व्यक्त करने को कहा गया। इप्टा इकाई इस अवसर पर नाटकों का प्रदर्शन करना चाहती थी जो कि बोर्ड/विश्वविद्यालयों में चल रही परीक्षाओं व इसमें छात्र-कलाकारों के शामिल होने के कारण संभव नहीं हो सका। हालांकि एक महीने पहले ही ‘इप्टा’ ने रवीन्द्रनाथ टैगौर के एक नाटक ‘विसर्जन’ का मंचन किया।
गोष्ठी के प्रारंभ में विश्व रंगमंच दिवस पर जारी किये गये अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रंगकर्मी जॉन मायकोविच के संदेश को पढ़कर सुनाया गया। वार्ता के दौरान इप्टा ने दर्शक-सदस्यों के समक्ष अपनी रंगकर्म संबंधी स्थितियों को स्पष्ट किया। दर्शक सदस्यों ने ग्रामीण क्षेत्रों में नाटक के प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेने का आश्वासन दिया।
नाटक विसर्जन के कुछ दृश्य :
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