Monday, June 4, 2012

मंटो की याद में


रांची।  इप्टा, रांची के प्रयास से रांची विश्वविद्यालय में सआदत हसन मंटो को उनकी जन्मशती पर याद किया गया. इस अवसर पर इप्टा-रांची, प्रगतिशील लेखक संघ-झारखंड, शोबए-उर्दू रांची यूनिवर्सिटी और हिंदी विभाग, रांची  विश्वविद्यालय  के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित हुआ था. यह कार्यक्रम रांची  विश्वविद्यालय  के जनजातीय विभाग परिसर में 12 मई को हुआ.


सआदत हसन मंटो की जन्मशती पर आयोजित कार्यक्रम का प्रारंभ एक संगोष्ठी से हुआ. संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय अ़ध्यक्ष डॉ. खगेंद्र ठाकुर थे. डॉ. ठाकुर ने कहा कि सआदत हसन मंटो को याद किया जाना, इसलिए भी प्रासंगिक है कि उनके द्वारा कहानियों में परोसे गये पात्र आज भी जिंदा है. उनका कहना था कि कुछ लोग उन्हें प्रगतिशील नहीं मानते हैं, यह उनका भ्रम है. कोई सदस्य बन कर प्रगतिशील नहीं होता है. प्रगतिशीलता अपनाये गये मूल्यों के आधार पर तय होती है.  वहीं विषय प्रवेश कराते हुए उर्दू विभाग के व्याख्याता डॉ. मंजर हसन ने कहा कि मंटो नफासियाती कहानी की बड़ी शख्सियत हैं. उन्होंने कहा कि मंटो द्वारा लाये गये पात्र समाज द्वारा उपेक्षित रंडियां, भडुवे और कलाल, दलाल इत्यादि हैं, लेकिन इनकी खासियत है कि उनके अंदर मानवीय मूल्य और नैतिकता जिंदा हैं. यही मंटो को आज तक जिंदा रखने का कारण है.

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए युवा कहानीकार रणेंद्र ने वर्तमान समय में कहानी लेखन की चुनौतियों का जिक्र सआदत हसन मंटो की कहानियों के माध्यम से किया और कहा कि सआदत हसन मंटो ने अपने समय में राजसत्ता द्वारा परोसे गये दर्द को अपनी कहानियों का विषय बनाया, जिसमें टोबाटेक सिंह महत्वपूर्ण है. ‘खोल दो’, ‘चुगद’ में भी उस समय पैदा की गयी दंगों के हालात का जिक्र है. इप्टा, रांची के अध्यक्ष सह कहानीकार पंकज मित्र ने भी सआदत हसन मंटो की खासियतों का जिक्र करते हुए कहा कि समाज को एक विशिष्ट नजरिये से देखे जाने के कारण आज भी कहानियों के शीर्षस्थ पुरूष के रूप में वे स्थापित हैं. इस संगोष्ठी को उर्दू साहित्य के विद्वान अबू-जर-उस्मानी ने भी संबोधित किया. संगोष्ठी की अध्यक्षता हिंदी आलोचक प्रो. अरूण कुमार और उर्दू विभाग के अध्यक्ष डॉ. जमशेद कमर ने संयुक्त रूप से की. संगोष्ठी में प्रतिभागियों का स्वागत प्रगतिशील लेखक संघ, झारखंड के महासचिव डॉ. मिथिलेष और संचालन उमेश नजीर ने किया.  

संगोष्ठी के बाद इप्टा, रांची के कलाकारों ने सआदत हसन मंटो की बहुचर्चित कहानी "टोबा टेकसिंह" का नाट्य मंचन किया. इस कहानी का नाट्य रूपांतरण इप्टा, झारखंड के महासचिव उपेंद्र मिश्र और निर्देशन अध्यक्ष श्यामल मल्लिक ने किया था. इस नाटक में प्रेम प्रकाष, सुमेधा मल्लिक, साकेत, परवेज कुरैशी, श्यामल चक्रवर्ती, अमित आर्यन, ब्रजेश कुमार, पावेल कुमार, सम्सुद्दीन, वसीम अभिनय कर रहे थे.

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