डोंगरगढ़। लिटिल इप्टा के सदस्यों द्वारा स्थानीय आशीर्वाद भवन में ‘आओ खेलें नाटक’ का मंचन किया गया जिसमें
दो लघु नाटक ‘‘समझदारी’’ व ‘‘रोज़मर्रा
की जिंदगी’’ शामिल थे। यह नाटक सामाजिक संस्था विकल्प व नाट्य संस्था इप्टा द्वारा आयोजित बाल
रंग कार्यशाला में तैयार करवाया गया था। कार्यशाला का संचालन एक्सपेरिमेंटल थियेटर
फाउंडेशन के मंजुल भारद्वाज ने किया। कार्यक्रम के अंत में श्री मंजुल ने अभिभावकों
के साथ संवाद भी किया।
उक्त कार्यशाला विगत् 1 जून से स्थानीय खालसा विद्यालय में आयोजित की गयी थी। कार्यशाला
के समापन पर खेले गये दोनों नाटकों की विशेषता यह थी कि इन्हें बच्चों ने ही लिखा,
निर्देशित किया और
प्रस्तुति व्यस्था भी उन्हीं की थी। इस अनूठी कार्यशाला में निर्णय के सारे अधिकार
बच्चों को सौंपे गये थे और बच्चे ही यह तय करते थे कि उन्हें क्या करना है। पहले से
लिखी गयी किसी पटकथा पर काम करने के बजाय बच्चों ने यह तय किया कि वे अपना नाटक स्वयं
तैयार करेंगे। मजे की बात तो यह है कि कार्यशाला में कोई पांच दिनों तक रोज नये नाटक
खेले जाते रहे और जिन नाटकों की अंतिम प्रस्तुति दर्शकों के समक्ष की गयी वे केवल एक
दिन पूर्व तैयार किये गये।
‘‘आओं खेलें नाटक’’ का पहला हिस्सा ‘समझदारी’ 10 वर्षीय सुमीत ने लिखा था और और इसे निर्देशित किया 13 वर्षीय अमन मुंधड़ा ने। नाटक का दूसरा
हिस्सा ‘‘रोज़मर्रा’
की जिंदगी’’
12 वर्षीय विशाल कुमार
ने लिखा और इसे सामूहिक निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। नाटक के पश्चात श्री मंजुल
भारद्वाज ने अभिभावकों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित किया और अभिभावकों ने बताया का कार्यशाला
में आने से उन्हें बच्चों की आदतों में भारी बदलाव व जिम्मेदारी नजर आने लगी है। अभिभावकों
ने कार्यशाला के लिये इप्टा की आयोजक इकाई की प्रशंसा की व आभार प्रदर्शित किया।
इससे पूर्व ‘‘लिटिल इप्टा’’, डोंगरगढ़ का गठन भी किया गया। कार्यसमिति के लिये बच्चों ने प्रतिज्ञा व्यास,
अभय शर्मा,
अमन मुंधड़ा,
अनुप्रिया,
प्रीति समुन्दरे व
वर्षा के नाम सुझाये वे शेष सभी साधारण सदस्यों के रूप में कार्य करते रहेंगे। नवगठित
इकाई ने यह निर्णय लिया कि आगामी दिनों में उनके द्वारा एक नया नाटक तैयार किया जायेगा,
जिसकी प्रथम प्रस्तुति
15 अगस्त 2012 को होगी तथा इस नाटक को नगर के विभिन्न
विद्यालयों में मंचित किया जायेगा ताकि संगठन के साथ और अधिक साथी जुड़ सकें।
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