प्रिय जितेन्द्र जी,
आशा है मेरा पत्र आपको मिल गया होगा। आपसे फोन पर हुई वार्तानुसार मैं इप्टा आगरा से सम्बन्धित 26 दुर्लभ चित्र स्कैन कराकर भेज रहा हूँ। इन सभी चित्रों के विषय में जो विवरण मुझे प्राप्त हो सका और जिन चेहरों को मैं पहचान सका उन्हें मैने लिपिबद्ध करके अलग फाइल में डाल रखा है और यह परिचय भी आपको अटैचमेन्ट के रूप में भेज रहा हूँ यदि इनमें कोई संसोधन वांछित हो तो मुझे यह सूची संशोधित करके पी.डी.एफ. द्वारा भेज दें।
नागरी प्रचारिणी सभा आगरा की अध्यक्षा श्रीमती सरोजजी (जो हमारी मुंहबोली मौसी है) से हुई वार्तानुसार यह निश्चय किया है कि इस वर्ष श्रद्धेय पिताश्री अमृतलाल नागरजी का 96वां जन्मदिवस 17.08.2011 को अथवा इस तिथि के आस-पास उनकी जन्म भूमि मोहल्ला गोकुलपुरा आगरा में ही मनाया जाए।
आपको स्मरण होगा कि नागरजी कृत सेठ बांकेमल तथा नवाबी मसनद के कुछ अंशों के नाट्य रूपान्तर आपके पिता श्री राजेन्द्र जी ने किये थे और इनका सफल मंचन राजेन्द्र रघुवंशी जी, श्री कृष्णचन्द्र खन्नाजी तथा मदन सूदन द्वारा किया जा चुका है। कृपया यह बताएं कि क्या इनमें से किसी एक (मेरी प्राथमिकता सेठ बांकेमल होगी क्योंकि यह आगरा की बोली-बानी में रचा गया है) का मंचन इस अवसर पर इप्टा आगरा द्वारा किया जाना संभव हो सकेगा? मेरे संज्ञान में यह भी है कि कभी स्व. शैलेन्द्र ने नागरजी के उपन्यास मानस का हंस के कुछ अंशो का नाट्य रूपान्तर आगरा में मंचित किया था इसके पुनर्मंचन की संभावनाओं से भी अवगत करायें।
मेरे अग्रज स्व. कुमुद नागरजी ने पिताजी के दुर्लभ फोटोग्राफों को लेकर एक सी.डी. शो तैयार किया था जिसे अब मेरे भतीजे पारिजात नागर कमेन्ट्री और संगीत का समावेश करके निखार रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस सी.डी. शो जिसकी प्रदर्शन अवधि 20-25 मिनट होगी, के इस अवसर पर एल.सी.डी. प्रोजेक्टर द्वारा प्रदर्शित किया जाए। वे बता रहे थे कि लखनऊ में एल.सी.डी. प्रोजेक्टर और स्क्रीन आदि 400-500 रू0 किराये पर उपलब्ध हो जाती है क्या आगरा में भी यह उपकरण किराये पर उपलब्ध है? इस विषय में आज शाह रेडियोज अथवा अन्य किसी फर्म से जानकारी प्राप्त करके भेज सकें तो काम आसान होगा।
आप यह समझ लीजिए कि आगरा में नागरजी की जयन्ती के आयोजन की हिम्मत आपके कारण ही जुटा पा रहे हैं।
आशा है स्वस्थ सानंद हैं। परिवार में सबको यथायोग्य मेरा अभिवादन कहें।
आपका शुभाकांक्षी
सेवा में,
डा. जितेन्द्र रघुवंशी,
9, गोपालकुंज,
बाग मुजफ्फरखां,
आगरा-282002
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1. आगरा जननाट्य संघ के संस्थापक तथा रूहे-रवाँ राजेन्द्र सिंह रघुवंशी, जो राजेन्द्र रघुवंशी के नाम से विख्यात थे। |
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2. इप्टा आगरा-2, सप्रू हाउस, नई दिल्ली (1975) में भारतीय जननाट्य संघ, आगरा की किसी नाट्य प्रस्तुति में अभिनय करते हुए राजेन्द्र रघुवंशी। |
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3. इप्टा-3, सप्रू हाउस, नई दिल्ली (1975) में भारतीय जननाट्य संघ, आगरा की किसी नाट्य प्रस्तुति में अभिनय करते हुए राजेन्द्र रघुवंशी तथा डॉ0 सूद। |
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4. मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानी- खुदाई फौजदार के राजेन्द्र रघुवंशी-कृत नाट्य रूपान्तर के मंच प्रयोग (1956) का एक दृश्य। बायें से दायें- मदनसूदन, राजेन्द्र रघुवंशी, स्वदेश जसूजा (देशी) तथा अन्य |
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5. मुंशी प्रेमचन्द के उपन्यास ‘गोदान’ के राजेन्द्र रघुवंशी कृत-नाट्य रूपान्तर का उन्हीं के निर्देशन में मंचन वर्ष सम्भवतः 1954-55।चित्र में होरी की भूमिका में राजेन्द्र रघुवंशी (साफा बॉधें हुए) तथा धनिया की भूमिका में श्रीमती अरूणा रघुवंशी। |
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| 6. मुंशी प्रेमचन्द कृत नाटक ‘गोदान’ का एक अन्य दृश्य। चित्र में होरी की भूमिका में राजेन्द्र रघुवंशी (साफा बॉधें हुए) तथा धनिया की भूमिका में श्रीमती अरूणा रघुवंशी। |
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7. मुंशी प्रेमचन्द के उपन्यास ‘गोदान’ के राजेन्द्र रघुवंशी कृत-नाट्य रूपान्तर का उन्हीं के निर्देशन में मंचन वर्ष सम्भवतः 1954-55 का एक अन्य दृश्य। |
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| 8. मुंशी प्रेमचन्द की कहानी-सवा सेर गेहूँ का राजेन्द्र रघुवंशी कृत नाटक रूपान्तर, मंचन तिथि-1953-54। निर्देशन-राजेन्द्र रघुवंशी। बायें से दायें-राजेन्द्र रघुवंशी,
ज्ञान शर्मा तथा स्वदेश जसूजा। |
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| 9. अमृतलाल नागर कृत ‘नवाबी मसनद’ के एक अंश के राजेन्द्र रघुवंशी कृत नाट्य रूपान्तर के मंचन का एक दृश्य-बायें से दायें- मदन सूदन, राजेन्द्र रघुवंशी तथा श्रीकृष्ण चन्द्र खन्ना। |
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| 10. अमृतलाल नागर कृत ‘नवाबी मसनद’ के एक अंश के राजेन्द्र रघुवंशी कृत नाट्य रूपान्तर के मंचन का एक अन्य दृश्य-बायें से दायें- मदन सूदन, राजेन्द्र रघुवंशी तथा श्रीकृष्ण चन्द्र खन्ना।
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| 11. अमृतलाल नागर-कृत ‘सेठ बांकेमल’ के एक अंश के राजेन्द्र रघुवंशी कृत नाट्य रूपान्तर का एक दृश्य-बायें से दायें-चौबेजी की भूमिका में राजेन्द्र रघुवंशी तथा बांकेमल की भूमिका में श्रीकृष्ण चन्द्र खन्ना। |
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| 12. भारतीय जननाट्य संघ आगरा का सर्वाधिक मंचित आशु नाटक ‘प्लानिंग’ जिसके एक सौ से अधिक प्रदर्शन हुए के दिसम्बर 1958 में हुए प्रदर्शन का एक दृश्य-
बायें से दायें- राजेन्द्र रघुवंशी, मदन सूदन, अरूणा रघुवंशी, कुमार जसूजा तथा रघुनाथ सहाय।
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13. मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानी-कफन के राजेन्द्र रघुवंशी-कृत नाट्य रूपान्तर का एक दृश्य। |
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14. राजेन्द्र रघुवंशी की परिकल्पना युक्त लोक संगीत, लोकनृत्य तथा लोक नाट्य के तत्वों से ओत-प्रोत प्रस्तुति चौपाल। इसके प्रयोग भी सैकड़ों बार हुए। चित्र में बीच में हाथ में लाठी लिए हुए राजेन्द्र रघुवंशी। |
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15. चौपाल के चित्र (प्रदर्शन तिथि 28.12.58) |
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16. चौपाल के चित्र (प्रदर्शन तिथि 28.12.58)
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17. चौपाल के चित्र (प्रदर्शन तिथि 28.12.58)
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| 18. | भारतीय जननाट्य संघ आगरा की प्रस्तुति। कमरा नं0-10 (1955-56) के एक दृश्य मंच के अग्र भाग में राजेन्द्र रघुवंशी तथा स्वदेश जसूजा। |
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19.भारतीय जननाट्य संघ आगरा के सभी कार्यक्रमों में चाहें वह नाट्य प्रदर्शन हो अथवा संगीत नृत्य नाट्य विधाओं का मिला जुला आयोजन हो। समारम्भ समूह गान से ही होता था कभी-2 कार्यक्रम के बीच के अन्तराल में भी समूह गान होता था। अनेक समूह गानों की रचना राजेन्द्र रघुवंशी ने की थी। संगीत कम्पोजर आनन्द कुमार जसूजा जिन्हें सब कुमार जसूजा कहते थे। किसी कार्यक्रम में प्रस्तुत समूह गान के एक दृश्य में बायें से दाये-कुमार जसूजा (हारमोनियम पर), मदन सूदन, अजय खन्ना, राम मोहन दुबे (?), श्रीकृष्णचन्द्र खन्ना तथा राजेन्द्र रघुवंशी एवं अन्य। |
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20. उ.प्र. संगीत नाटक अकादेमी द्वारा आयोजित प्रादेशिक नाट्य प्रतियोगिता (1975-76) में भारतीय जननाट्य संघ आगरा की नाट्य प्रस्तुति ‘‘बड़ी बुआ जी’’ का एक दृश्य। |
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21. अमृताप्रितम् की कहानी पॉच बहनें के नाट्य रूपान्तर की भारतीय जननाट्य संघ आगरा की महिला इकाई द्वाअरा 25 से 30 दिसम्बर 1958 तक ग्वालियर में आयोजित अखिल भारतीय नाट्य प्रतियोगिता में मंचन। बायें से दायें- रमा खन्ना, शोभा सूद, श्यामा खन्ना। |
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22. अमृताप्रितम् की कहानी पॉच बहनें के नाट्य रूपान्तर की भारतीय जननाट्य संघ आगरा द्वारा मंच प्रस्तुति का एक अन्य दृश्य (प्रस्तुति 27.12.58) बायें से दायें- शोभा सूद, श्यामा खन्ना। |
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23. भारतीय जननाट्य संघ आगरा की नाट्य प्रस्तुति खोटा रूपया का एक दृश्य। हुक्का के साथ आगरा जननाट्य संघ के प्रतिभाशाली बहुमुखी चरित्र अभिनेता एवं निर्देशक ज्ञानशर्मा। |
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24. शिमला में आयोजित अखिल भारतीय एकांकी नाट्य प्रतियोगिता (1957) मंचित नाटक कमरा नं0 10 के एक दृश्य में बायें से दाये-स्वदेश जसूजा, मदन सूदन तथा ज्ञानशर्मा। |
Bahut hi durlabh photo hain.
ReplyDeleteadhiktar chhayachitra 6ven dashak ke hain aur purane gahma-gahmi ke din yad dilate hain. Mujhe yad hai pitaji bade utsah se ipta ke karyakram ke bare mein batate the aur maan usse doone utsah ke sath ham teenon ko taiyar karti theen. Un dinon ki yadein taza karwane ke liye Sharadbhaisaheb ko bahut bahut dhanyavad. Iske bad ki durlabh tasveeren bhi dekhne ko milein to bada maza aye. arvind kunte
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