अनुदानों की बंदरबांट का प्रश्न
मंडी (हिमाचल प्रदेश)। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की मंडी इकाई ने विश्व रंगमंच दिवस पर एक वार्ता का आयोजन किया जिसमें नगर के कुछ अन्य सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।
प्रतिभागियों ने इलाके में रंगकर्म से संबंधित गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिये विभिन्न उपायो-माध्यमों की चर्चा की। इस बात पर चिंता व्यक्त की गयी कि मंडी नगर के एक अत्यंत प्राचीन नगर होने के बावजूद यहां पर एक अदद प्रेक्षागृह नहीं है। इस बात पर भी खेद व्यक्त किया गया कि मुख्य डाकघर दरबार हॉल परिसर को भी संग्रहालय अथवा प्रेक्षागृह के रूप में उपयोग में नहीं लाया जा सका है।
पत्रकार श्री विनोद भावुक ने कहा कि रंगकर्मियों को एकजुट होकर सड़कों पर उतर आना चाहिये और अपनी मांगों के लिये संघर्ष का सूत्रपात करना चाहिये। उन्होंने कहा कि कलाकारों को भ्रष्टाचार के विरूद्ध भी संघर्ष करना चाहिये, खासतौर पर उन विभागों के विरूद्ध जिन पर कला व संस्कृति के संवर्द्धन व संरक्षण का दायित्व है पर जो राजनीतिक प्रतिबद्धता के आधार पर अनुदानों की बंदरबाँट करते हैं और इस तरह का पक्षपात संस्कृति मंत्रालय में भी देखा जा सकता है।
स्थानीय संगठन प्रयास कला परिषद के अध्यक्ष श्री रूप उपाध्याय ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि रंगमंच के कलाकारों ने लोगों से एक दूरी बना ली है और इसीलिये ही उन्होंने आमजनों की सहानुभूति खो दी है। उन्होंने जोर दिया कि कलाकारों को लोगों के सरोकारों व कठिनाइयों से जुड़ा हुआ होना चाहिये और जो कुछ भी अपने आस-पास घटित हो रहा है उससे कटा हुआ न रहकर, उन घटनाओं का संज्ञान लेना चाहिये व उन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिये।
कार्यक्रम के संयोजक इप्टा के लवन ठाकुर ने रंगकर्मियों-कलाकारों को गोलबंद होने का आह्वान करते हुए कहा कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिये एक कार्य-योजना तैयार की जानी चाहिये। इस अवसर पर रूपेश्वरी, हेमलता, सरिता हांडा, भूपरेंदर सिंग, नितीश चौहान, प्रकाश चंद, मंजीत मन्ना, दीपक मट्टू, समीर कश्यप, प्रवेश कुमार व नवीन चितरंजन ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
मंडी (हिमाचल प्रदेश)। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की मंडी इकाई ने विश्व रंगमंच दिवस पर एक वार्ता का आयोजन किया जिसमें नगर के कुछ अन्य सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।
प्रतिभागियों ने इलाके में रंगकर्म से संबंधित गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिये विभिन्न उपायो-माध्यमों की चर्चा की। इस बात पर चिंता व्यक्त की गयी कि मंडी नगर के एक अत्यंत प्राचीन नगर होने के बावजूद यहां पर एक अदद प्रेक्षागृह नहीं है। इस बात पर भी खेद व्यक्त किया गया कि मुख्य डाकघर दरबार हॉल परिसर को भी संग्रहालय अथवा प्रेक्षागृह के रूप में उपयोग में नहीं लाया जा सका है।
पत्रकार श्री विनोद भावुक ने कहा कि रंगकर्मियों को एकजुट होकर सड़कों पर उतर आना चाहिये और अपनी मांगों के लिये संघर्ष का सूत्रपात करना चाहिये। उन्होंने कहा कि कलाकारों को भ्रष्टाचार के विरूद्ध भी संघर्ष करना चाहिये, खासतौर पर उन विभागों के विरूद्ध जिन पर कला व संस्कृति के संवर्द्धन व संरक्षण का दायित्व है पर जो राजनीतिक प्रतिबद्धता के आधार पर अनुदानों की बंदरबाँट करते हैं और इस तरह का पक्षपात संस्कृति मंत्रालय में भी देखा जा सकता है।
स्थानीय संगठन प्रयास कला परिषद के अध्यक्ष श्री रूप उपाध्याय ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि रंगमंच के कलाकारों ने लोगों से एक दूरी बना ली है और इसीलिये ही उन्होंने आमजनों की सहानुभूति खो दी है। उन्होंने जोर दिया कि कलाकारों को लोगों के सरोकारों व कठिनाइयों से जुड़ा हुआ होना चाहिये और जो कुछ भी अपने आस-पास घटित हो रहा है उससे कटा हुआ न रहकर, उन घटनाओं का संज्ञान लेना चाहिये व उन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिये।
एडवोकेट समीर कश्यप ने मंडी नगर पालिका की इस बात के लिये कड़ी भर्त्सना की कि उसने 23 मार्च को एक स्थानीय समिति से शहीद दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम के लिये भी पैसे वसूल लिये। उन्होंने कहा कि पालिका का यह कृत्य कतई आवश्यक नहीं था।एडवोकेट समीर कश्यप ने मंडी नगर पालिका की इस बात के लिये कड़ी भर्त्सना की कि उसने 23 मार्च को एक स्थानीय समिति से शहीद दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम के लिये भी पैसे वसूल लिये। उन्होंने कहा कि पालिका का यह कृत्य कतई आवश्यक नहीं था।
कार्यक्रम के संयोजक इप्टा के लवन ठाकुर ने रंगकर्मियों-कलाकारों को गोलबंद होने का आह्वान करते हुए कहा कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी रंगकर्म को बढ़ावा देने के लिये एक कार्य-योजना तैयार की जानी चाहिये। इस अवसर पर रूपेश्वरी, हेमलता, सरिता हांडा, भूपरेंदर सिंग, नितीश चौहान, प्रकाश चंद, मंजीत मन्ना, दीपक मट्टू, समीर कश्यप, प्रवेश कुमार व नवीन चितरंजन ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
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