Thursday, March 29, 2012

विश्व रंगमंच दिवस-1: जयपुर में संध्या काले प्रभात फेरी


 संध्या काले प्रभात फेरी 


यपुर। इप्टा की इकाई "इप्टा जयपुर" द्वारा विश्व रंगमंच दिवस पर दो दिवसीय कार्यक्रम रवीन्द्र मंच पर सांय 7 बजे से प्रस्तुत किया गया। इससे पूर्व विश्व रंगमंच दिवस की पूर्व संध्या 26 मार्च 2012 को मुकेश वर्मा के निर्देशन में इप्टा के जनवादी गीतों का प्रदर्शन किया। विश्व रंगमंच दिवस की संध्या में जयपुर शहर के जाने माने वरिष्ठ नाट्यकार एवं रंगकर्मी रणवीर सिंह का लिखा नाटक ‘‘संध्या काले प्रभात फेरी’’ का मंचन किया जिसका निर्देशन संजय विद्रोही ने किया।

27 मार्च 2012, विश्व रंगमंच दिवस की संध्या पर सांय 7 बजे शहर के जाने माने वरिष्ठ नाट्यकार एवं रंगकर्मी रणवीर सिंह का लिखा नाट्क ‘‘संध्या काले प्रभात फेरी’’ का मंचन किया जिसका निर्देशन संजय विद्रोही ने किया। यह नाटक राजनैतिक दलों पर करारा व्यंग्य करता है, जिन्होनें गांधीवादी विचारधारा को हमारे समाज में मज़ाक बनाकर रखा है।

इप्टा के कोषाध्यक्ष केशव गुप्ता ने बताया कि 26 मार्च 2012 विश्व रंगमंच की पूर्व संध्या को मुकेश वर्मा के निर्देशन में इप्टा के जनवादी गीतों का कार्यक्रम "परिवर्तन की ललकार" प्रस्तुत किया गया। जयपुर इप्टा के साथी भाई मुकेश वर्मा पिछले 10 वर्षों से जनगीत एवं नाट्य संगीत पर निरंतर संगीत निर्देशक के रूप में कार्य कर रहे हैं। अपने गानों के अंदाज और नाट्य संगीत के विभिन्न प्रयोग से मुकेश वर्मा अपना नाम नाट्य संगीत निर्देशक के रूप में स्थापित कर चुके हैं। इस अवसर पर वशिष्ठ अनूप, शलभ श्रीराम और गोरख पाण्डेय के लिखे गीत गाये गये। गीतों की श्रंखला में क्रमशः कहीं तलाक कहीं अग्नि परीक्षाएं है....., हम तेरे मुखौटे को तार-तार करेगें...., नफस-नफस कदम कदम..., समाजवाद बबूआ धीरे-धीरे आई..., अपना है अपनों से अनजान है शहर.. जैसे अनेक गीत गाये गये। इन गीतों को सुनकर रगों में खून-सा दौडने लगता है।
मुकेश वर्मा द्वारा गाये इन गीतों में शिखा माथुर, अंकिता शर्मा, अरूणा शर्मा, वसीम तनवीर, विश्वमोहन भारद्वाज, अनवर अली, केशव गुप्ता, मंयक शर्मा एवं संजय विद्रोही ने भी सुर से सुर मिलाए। तबला -सलामत हुसैन, ढोलक- रमज़ान अली, ऑक्टो पैड -मोहसिन, हारमोनियम पर मंयक शर्मा एवं वायलिन पर गुलज़ार हुसैन ने संगत की।

27 मार्च 2012, विश्व रंगमंच दिवस की संध्या पर सांय 7 बजे शहर के जाने माने वरिष्ठ नाट्यकार एवं रंगकर्मी रणवीर सिंह का लिखा नाट्क ‘‘संध्या काले प्रभात फेरी’’ का मंचन किया जिसका निर्देशन संजय विद्रोही ने किया। यह नाटक राजनैतिक दलों पर करारा व्यंग्य करता है, जिन्होनें गांधीवादी विचारधारा को हमारे समाज में मज़ाक बनाकर रखा है। यह नाटक पोल खोलता है उन तमाम पार्टियों और लोगों की जो गांधीवादी विचारधारा का मुखौटा पहन कर एक्सप्लोयट कर रहे हैं। अचानक उनके आने की खबर से सरकार, विपक्ष, बिजनेस मैन, भूमाफिया सभी काँप उठते हैं। सभी को पोल खुलने का डर बना हुआ है। लेकिन लोग अभी भी इन्हें नहीं पहचान रहे हैं। यह नाटक आज के सम्पूर्ण सिस्टम में परिवर्तन की बात करता है। नाटक में राकेश खत्री, पवन श्योराण, विजेन्द्र निरबान, लोहित व्यास, भारती पेरवानी, शिव पालावत, नागेश्वर शर्मा, दीपक गुर्जर, सौरभ एवं मान्या ने नाटक के किरदारों सजीव किया। नाटक में लाईट एवं रूपसज्जा केशव गुप्ता, वस्त्र कुसुम कॅवर एवं सैट, पाश्व संगीत एवं निर्देशन संजय विद्रोही ने किया।  

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