भारतीय जन नाट्य संघ ( इप्टा ) की अशोकनागर इकाई ने आज सुबह 8 बजे स्थानीय संस्कृति गार्डन में इप्टा के 75 साल पूरे होने पर एक महत्वपुर्ण आयोजन किया । भारतीत जन नाट्य संघ (इप्टा ) की स्थापना 25 मई ,1943 को मुंबई में हुई थी । इस अवसर पर बच्चों ने कालबेलिया लोकनृत्य का प्रदर्शन रूबी सूर्यवंशी के निर्देशन में किया । परम्परा के अनुसार 60 से ज़्यादा बच्चों ने जनगीत गायन किया ।
राष्ट्रीय इप्टा के 75 साल पूर्ण होने पर
इप्टा के राष्ट्रीय उप सचिव तथा दिल्ली इप्टा के महासचिव मनीष श्रीवास्तव ने इप्टा की स्थापना को लेकर 1943 के समय देश के राजनैतिक - सामाजिक हालातों का उल्लेख किया । जब बंगाल के भीषण अकाल में लाखों लोग भूख से मर रहे थे तब इप्टा ने सबसे पहले उन अकाल पीड़ितों के साथ अपना स्वर मिलाया था और वामिक जौनपुरी के गीत भूखा है बंगाल को गा - गा कर देश भर में यात्राएं की थीं । इप्टा का नारा था इप्टा के नाटकों
की नायक स्वयं जनता है । उन्होंने कहा कि गुलाम भारत में गरीब जनता , किसान और शोषित जनों के संघर्ष को इप्टा के रंगकर्मियों ने अपने गीतों और नाटकों का विषय बनाया । आज़ादी की लड़ाई और जनता के अधिकारों की लड़ाई में आमजन के साथ इप्टा ने सांस्कृतिक स्तर पर हमेशा हस्ताक्षेप किया है ।इस अवसर पर अनिल दुबे , सुरेंद्र रघुवंशी , पंकज दीक्षित , विनोद शर्मा आदि ने भी अपने विचार रखे । गोष्ठी का संचालन हरिओम राजोरिया ने किया । इस अवसर पर इप्टा द्वारा 1 मई से 27 मई तक चलने वाली बाल एवं किशोर नाट्य शाला में शामिल बच्चे और शहर के अनेक रंगकर्मी उपस्थित रहे ।
बच्चों की नाट्य कार्यशाला का समापन आयोजन 27 मई को किया जाएगा जिसमें पूर्व मध्य काल के अग्रगण्य कवि कबीर के जीवन पर एकाग्र भीष्म साहनी द्वारा लिखित नाटक " कबिरा खड़ा बाज़ार में " का मंचन आदित्य निर्मलकर के निर्देशन में किया जाएगा । बच्चे और इप्टा के रंगकर्मी कार्यक्रम की अंतिम तैयारी में जुटे हैं ।
राष्ट्रीय इप्टा के 75 साल पूर्ण होने पर
इप्टा के राष्ट्रीय उप सचिव तथा दिल्ली इप्टा के महासचिव मनीष श्रीवास्तव ने इप्टा की स्थापना को लेकर 1943 के समय देश के राजनैतिक - सामाजिक हालातों का उल्लेख किया । जब बंगाल के भीषण अकाल में लाखों लोग भूख से मर रहे थे तब इप्टा ने सबसे पहले उन अकाल पीड़ितों के साथ अपना स्वर मिलाया था और वामिक जौनपुरी के गीत भूखा है बंगाल को गा - गा कर देश भर में यात्राएं की थीं । इप्टा का नारा था इप्टा के नाटकों
की नायक स्वयं जनता है । उन्होंने कहा कि गुलाम भारत में गरीब जनता , किसान और शोषित जनों के संघर्ष को इप्टा के रंगकर्मियों ने अपने गीतों और नाटकों का विषय बनाया । आज़ादी की लड़ाई और जनता के अधिकारों की लड़ाई में आमजन के साथ इप्टा ने सांस्कृतिक स्तर पर हमेशा हस्ताक्षेप किया है ।इस अवसर पर अनिल दुबे , सुरेंद्र रघुवंशी , पंकज दीक्षित , विनोद शर्मा आदि ने भी अपने विचार रखे । गोष्ठी का संचालन हरिओम राजोरिया ने किया । इस अवसर पर इप्टा द्वारा 1 मई से 27 मई तक चलने वाली बाल एवं किशोर नाट्य शाला में शामिल बच्चे और शहर के अनेक रंगकर्मी उपस्थित रहे ।
बच्चों की नाट्य कार्यशाला का समापन आयोजन 27 मई को किया जाएगा जिसमें पूर्व मध्य काल के अग्रगण्य कवि कबीर के जीवन पर एकाग्र भीष्म साहनी द्वारा लिखित नाटक " कबिरा खड़ा बाज़ार में " का मंचन आदित्य निर्मलकर के निर्देशन में किया जाएगा । बच्चे और इप्टा के रंगकर्मी कार्यक्रम की अंतिम तैयारी में जुटे हैं ।
No comments:
Post a Comment