8 मार्च, 2017 यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रंग चिन्तक मंजुल भारद्वाज द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक “मैं औरत हूँ !” का मंचन दोपहर 4 बजे होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन के मानखुर्द स्थिति ऑडिटोरियम में होगा.
नाटक – “मैं औरत हूँ !” – अपने होने , उसको स्वीकारने और अपने ‘अस्तित्व’ को विभिन्न रूपों में खंगोलने,अन्वेषित करने की यात्रा है . नाटक ‘मैं औरत हूँ!’ पितृसत्तात्मक भारतीय समाज की सोच , बधनों , परम्पराओं , मान्यताओं को सिरे से नकारता है और उससे खुली चुनौती देकर अपने ‘स्वतंत्र मानवीय अस्तित्व’ को स्वीकारता है . नाटक महिला को पुरुष की बराबरी के आईने में नहीं देखता अपितु ‘नारी’ के अपने ‘स्वतंत्र मानवीय अस्तित्व’ को रेखांकित और अधोरेखित करता है .
ये नाटक ‘कलाकार और दर्शकों’ के लिए आत्म मुक्तता का माध्यम है . नाटक में अभिनय करते हुए ‘जेंडर समानता’ की संवेदनशीलता से कलाकार रूबरू होतें हैं और नाटक देखते हुए ‘दर्शक’ ‘जेंडर बायस’ से मुक्त होते हैं . नाटक ‘मैं औरत हूँ’ कलाकार और दर्शक पर अद्धभुत प्रभाव छोड़ता है . ‘नारी’ मुक्ति का बिगुल बजा उसे अपने ‘अधिकार’ के लिए संघर्ष करने को प्रेरित कर ‘सक्षम’ करता है . इस नाटक की लेखन शैली अनोखी है . ‘नारी विमर्श’ पर लिखे इस नाटक को एक कलाकार भी परफ़ॉर्मर कर सकती है / सकता है और अनेक कलाकार भी .. इस नाटक की ‘हिंदी’ के अलावा अलग –अलग भाषाओँ में देश भर में हजारों प्रस्तुतियां हो चुकी हैं और निरंतर हो रही हैं ...
8 मार्च को होने वाली इस प्रस्तुति में अश्विनी नांदेडकर,सायली पावसकर और कोमल खामकर अपनी ‘अभिनय’ प्रतिभा से नारी विमर्श को एक नया आयाम देगीं !
Can I access the script of “मैं औरत हूँ !” Thanks.
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