Wednesday, February 29, 2012

बात का बतंगड़


मुंबई। मगन संग्रहालय के सहयोग के साथ उन्हीं के परिसर में दिनांक 17 से 18 फरवरी को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ भारतेंदु समूह के गायन के साथ हुआ। इसके पश्चात मुंबई के ‘कबीरा’ समूह ने नाटक ‘बात का बतंगड़’ का मंचन किया, जिसका निर्देशन किया है शाहिद कबीर ने। नाट्यालेख भी उन्हीं का है। यह नाटक बताता है कि किस तरह एक समस्याग्रस्त परिवार राजनेताओं की नापाक हरकतों के कारण सांप्रदायिक माहौल के गर्त में जा धँसता है। इसके पश्चात लोक कला मंच, अहमदाबाद द्वारा दो अन्य नाटकों का प्रदर्शन हुआ। एक था, ‘आओ, संसद-संसद खेलें’ जो राजनीतिज्ञों के आधिपत्य व करतूतों का बखान करता है। दूसरा नाटक एक कपड़ा मिल के बंद होने, बेरोजगारी उत्पन्न होने व परिणाम स्वरूप सांप्रदयिकता फैलने की गाथा बयान करता है। दोनों ही नाटकों का अंत शांति व भाईचारे के संदेश के साथ होता है।

दूसरे दिन 18 फरवरी को दोनों ही नाट्य समूहों ने एक बार फिर विश्वविद्यालय-कर्मियों व छात्रों के लिये अपने नाट्य प्रदर्शनों को दोहराया व इन प्रस्तुतियों को खूब सराहना मिली। इसी दिन प्रेसकर्मियों से बातचीत का कार्यक्रम भी रखा गया था। डॉ. असगर अली इंजीनियर, डॉ. राम पुनियानी व श्री एल. एस. हरदेनिया ने संवाददाताओं से बातचीत की व उनके विभिन्न सवालों का जवाब दिया। यह साक्षात्कार विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित हुआ तथा ‘द हितवाद’ में प्रकाशित हुआ। दिनांक 19 फरवरी को अयोध्या मंदिर के महंत श्री जुगलकिशोर सरण शास्त्री द्वारा एक किताब  “Freedom of Religion in India"  का लोकार्पण किया गया तथा यह किताब प्रतिभागियों के बीच वितरीत की गयी।

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