हिंदी पट्टी में जहां नाटकों के दर्शकों की कमी का रोना रोया जाता हो और जहां मुफ्त पास बाँटने पर भी दर्शक दीर्घाओं में सन्नाटा-सा छाया रहता हो, वहां किसी नाट्योत्सव के आयोजन में बाकायदा टिकिटों की बिक्री की जाये और दर्शक पैसे खर्च कर प्रेक्षागृह तक पहुंचे, यह खबर थोड़ी चौंकाने वाली हो सकती है। लेकिन ‘इप्टा नाट्य रंगोत्सव, जयपुर’ के व्यवस्थापक श्री संजय विद्रोही का मानना है कि आज के युग में जब कोई भी चीज मुफ्त नहीं है तो नाटक ही इससे क्यों अछूता रहे? हालांकि एक दौर यहां पर भी ऐसा था जब भारी तादाद में आमंत्रण-पत्र बाँटे जाने के बावजूद अपेक्षित संख्या में दर्शक नहीं जुट पाते थे, लेकिन संस्था ने अपने सतत् प्रयासों से दर्शकों को अपनी रंगचेतना के साथ जोड़ा है और अपना एक दर्शक-वर्ग तैयार कर लिया है जो अब बाकायदा टिकिट लेकर नाटक देखता है। इन दर्शकों के साथ सतत् संपर्क व ‘फीडबैक’ के लिये उनके नाम, पते व मेल-ठिकानों को एकत्र करने की परंपरा भी कायम की गयी है।
इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए चौथे ‘इप्टा नाट्य रंगोत्सव’ का शुभारंभ जयपुर के रवीन्द्र मंच में दिनांक 13 फरवरी 2012 को किया जायेगा। आयोजन का उद्घाटन पूर्व न्यायाधीश श्री सी.एस. दवे करेंगे। पहले दिन रणवीर सिंह लिखित नाटक ‘संध्या काले प्रभात फेरी’ का मंचन किया जायेगा जिसे मेजबान इप्टा इकाई ने तैयार किया है और निर्देशन भी स्वयं श्री संजय विद्रोही का है।
14 फरवरी 2012 को असग़र वजाहत लिखित नाटक ‘असग़र’ का मंचन किया जायेगा जिसका निर्देशन वी. बालाकृष्णन ने किया है और प्रस्तुति है चैन्नई के समूह ‘‘थियेटर निशा’’ की। 15 फरवरी को एन.एस.डी. रंगमंडल, दिल्ली द्वारा नाटक ‘हमारा शहर उस बरस’ खेला जायेगा जिसे गीतांजलि श्री ने लिखा है और निर्देशन किया है कीर्ति जैन ने। एन.एस.डी., रंगमंडल नयी दिल्ली का एक और नाटक ‘कामरेड कुम्भकर्ण’ अगले दिन 16 फरवरी को खेला जायेगा जिसके लेखक रामूनाथन है। ‘कामरेड कुम्भकर्ण’ का निर्देशन मोहित टाकलकर ने किया है।
आयोजन की अंतिम प्रस्तुति ‘चन्द रोज़ और मेरी जान’ मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ की रचनाओं पर आधारित है। विंग्स कल्चरल सोसायटी, नयी दिल्ली की इस प्रस्तुति का निर्देशन सलीमा रज़ा ने किया है। आयोजकों ने उम्मीद जाहिर की है कि हमेशा की तरह इस नाट्योत्सव को भी अपार सफलता हासिल होगी।
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