नहीं रहे अलखनंदन : देश भर से रंगकर्मियों की श्रद्धांजलि
15 अगस्त 1948 को बिहार के कल्याणपुर में जन्मा संघर्षशील, अनुशासित, मिलनसार, लेखक, कवि, नाट्य लेखक और रंगनिर्देशक.. जिसकी सांसों में रंगकर्म धड़कता और संवादों में साहित्य व रंगभाषा की महक थी। वह महज एक नाम नहीं, समकालीन हिंदुस्तानी रंगकर्म की जीती जागती परिभाषा था। रंगमंच में अनुभवों का विराट संसार समेटे, रंग-आंदोलन की अलख जगाते 63 वर्षीय वरिष्ठ रंगकर्मी अलखनंदन रविवार को सुबह 11 बजे रंगमंच से पर्दा गिरा गए।
अलखनंदन अब हमारे बीच नहीं हैं। वे अपने पीछे पत्नी रेखा, बेटा अंशपायन, नटबुंदेले संस्था और हजारों रंगकर्मी शिष्यों की जमात छोड़ गए। उनके जाने से कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। हाल ही में उनके रंगकर्म में योगदान के लिए संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड देने की घोषणा हुई थी, लेकिन इस प्रतिष्ठित सम्मान लेने से पहले वे दुनिया को अलविदा कह गए। ऐतिहासिक नाटक महानिर्वाण में अलखनंदन के निर्देशन में भारतीय रंगमंच के शीर्ष पुरुष बव कारंत ने अभिनय भी किया था। पहली बार भारत भवन के रंगमंडल में बव कारंत को अभिनय करते दर्शकों ने इसी नाटक में देखा था।
अलखनंदन की तुलना सिर्फ अलखनंदन से ही हो सकती है। उन्होंने अपने शुरुआती रंगकर्मी जीवन से अविभाजित मध्यप्रदेश के जिलों और गांवों तक एक सार्थक, सृजनात्मक रंगकर्म की अलख जगाई थी और अनेक रंगकर्मियों के साथ एक हिंदी क्षेत्र का नया रंग मुहावरा गढ़ा और उसके सजाया संवारा। उन्होंने रंगकर्म के लिए सेंट्रल गर्वर्मेंट की बड़ी नौकरी तक छोड़ दी।
बगैर किसी सरकारी मदद के लिए रंगआंदोलन को नई गति देते रहे। नट बुंदेले संस्था में नया रंग भरना, नए कलाकारों को रंगकर्म की जुबान समझाने वाला जुझारू व्यक्तित्व, अनुशासनप्रिय, कवि, समय का पाबंद, जीवटता से भरपूर, प्रयोगधर्मिता उनके व्यक्तित्व की खासियत थी। लौटकर याद करने पर ऐसा इंसान नजर आता है, जिसकी निगाहें आप पर पड़े तो आप हमेशा के लिए उसी के हो जाएं। वे गंभीर बात को सहज रूप में व्यक्त करते थे।
पुरस्कार एवं सम्मान
उन्हें रंगकर्म के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2006 के लिए प्रतिष्ठित शिखर सम्मान, संस्कृति विभाग भारत द्वारा समकालीन हिन्दी रंगमंच में बुंदेलखण्डी स्वांग के पुनराविष्कार के लिए सीनियर फैलोशिप (1992-1996), मास्टर फिदा हुसैन नरसी सम्मान, श्रेष्ठ कला आचार्य सम्मान मधुबन भोपाल, ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ सम्मान रंग आधार भोपाल, हबीब तनवीर सम्मान और हाल में उन्हें संगीत नाटक एकेडमी ने रंगकर्म में निर्देशन के लिए संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड के लिए चुना।
कला जगत ने जताया शोक
- वरिष्ठ साहित्यकार ज्ञानरंजन ने कहा कि नाटक करने की प्यास, लगन, पागलपन के कारण अलखनंदन ने सेंट्रल गर्वर्मेंट का जॉब तक छोड़ दिया था। नाटक में प्रयोग करना, नए कलाकारों को साहित्य रंगमंच से रूबरू कराने वाले अलख के जाने से रंगमंच का एक अध्याय खत्म हो गया।
- रंगकर्मी आलोक चटर्जी ने कहा कि मैं जो कुछ भी हूं। उसमें बड़ा योगदान अलखनंदन जी का है। रंगमंच में अनुशासन का दूसरा नाम थे अलखनंदन। मप्र ही नहीं पूरे देश के रंगमंच के लिए यह अपूरणीय क्षति है।
- रंगकर्मी केजी त्रिवेदी ने कहा कि वे रंगमंच के डिजाइनर थे, जो नाटक को इस तरह डिजाइन करते थे कि नाटक दर्शकों से संवाद करता था।
- रंगकर्मी कमल जैन ने कहा कि मैंने उनसे और कारंत साहब से रंगमंच को जाना। उनके निर्देशन में मुझे महानिर्वाण में कारंत साहब के साथ अभिनय करने का मौका मिला, जो मेरे लिए अविस्मरणीय है।
- रंगकर्मी अशोक बुलानी ने कहा कि उनसे हमने रंगकर्म में जीना सीखा। उनके पास जाने पर हमेशा नया सीखने को मिलता था।
- लेखक मंजूर एहतेशाम ने कहा कि वे हमारी मित्र मंडली के थे। उनमें साहित्य की समझ, कल्पनाशीलता अद्भुत थी। उनके सामने शब्द बौने हो जाते थे।
- कला समीक्षक श्याम मुंशी ने कहा कि वे बहुत अच्छे मित्र, व्यक्ति थे। उन्होंने पूरी जिंदगी थियेटर को दे दी। ऐसे विचार वाले जुझारू व्यक्तियों की आज बेहद जरूरत है।
- आर्ट डायरेक्टर जयंत देशमुख ने कहा कि अलख जी को कलाकार के अंदर से अभिनय निकालना आता था। वे ठोंक-पीट कर कुम्हार की तरह मिट्टी रूपी युवाओं को कलाकार बना देते थे। वे रंगमंच के आदिपुरुष थे।
- रंगकर्मी सतीश मेहता ने कहा कि रंगमंच को समर्पित नाम था अलखनंदन। अब नटबुंदेले के उनके सैकड़ों शिष्य रंगआदोलन को आगे बढ़ाएंगे।
दैनिक भास्कर से साभार
Hrishikesh Sulabh
अलखनन्दन नहीं रहे। आज भोपाल में उनका देहावसान हो गया। हिन्दी रंगमंच के महत्त्वपूर्ण निर्देशक अलखनन्दन को उनकी कई प्रस्तुतियों ''गौड़ा ला देखत हन'','' चन्दा बेड़िनी'','' चारपाई'' आदि के लिए हमेशा याद किया जायेगा। कुछ ही दिन पहले 7 फरवरी को उन्हें पटना में ''पाटलिपुत्र'' सम्मान से विभूषित किया गया था। उन्हें अंतिम प्रणाम.......
Arun Kathote
अलखनन्दन नहीं रहे। आज भोपाल में उनका देहावसान हो गया। हिन्दी रंगमंच के महत्त्वपूर्ण निर्देशक अलखनन्दन को उनकी कई प्रस्तुतियों ''गौड़ा ला देखत हन'','' चन्दा बेड़िनी'','' चारपाई'' आदि के लिए हमेशा याद किया जायेगा। कुछ ही दिन पहले 7 फरवरी को उन्हें पटना में ''पाटलिपुत्र'' सम्मान से विभूषित किया गया था। उन्हें अंतिम प्रणाम.......
Arun Kathote
अलखनंदन ने रायपुर इप्टा के लिए भी मंचन और शिविर किये थे. साथी के जाने की खबर से ही दिनभर उदासी छाई रही.
Nand Kashyap
Nand Kashyap
अलखनंदन का हमारे बीच नहीं होना ,इतने जल्दी ,बात हजम नहीं होती लेकिन स्वीकारना तो पड़ेगा ,उनके साथ काफी समय रहने और ड्रामा वर्कशॉप में रहने का मौका मिला ,जितने प्यारे अंदाज़ में वह कलाकारों को अबे साले कहते हुए समझाते थे वह आवाज़ उनके साथ के कलाकार अब नहीं सुन पाएंगे और न हम ,अलख तुम हमेशा यादों में रहोगे
Vandana Shukla
Vandana Shukla
चन्दा बेडनी अविस्मरणीय नाटक था उनका ,ना सिर्फ भोपाल बल्कि मध्यप्रदेश के कई शहरों में उसका मंचन हुआ था |....श्रद्धांजली
Rajesh Chandra
Rajesh Chandra
बहुत दुखद खबर है...आज सुबह ही भानु भारती जी के साथ उनकी तबियत के बारे में चर्चा की थी और उन्होंने मेरे समक्ष ही उनके नंबर पर फोन मिलाया था... आनंद ने बताया कि वे लोग अलख नंदन जी को अस्पताल ले जा रहे हैं. अचानक उनकी हालत बिगड़ गयी है...हमने हिन्दी रंगमंच के एक और अवाँगार्द को खो दिया है...उन्हें सलाम.
Hrishikesh Sulabh
Hrishikesh Sulabh
पटना के रंगकर्मी 7 फरवरी को उनका पटना में इंतज़ार कर रहे थे, पर अस्वस्थता के कारण वे नहीं आए....काश वे आए होते....एकऔर मुलाक़ात हो जाती......पिछले साल रायगढ़ में उनके नाट्यदल को ''सुपनवा का सपना'' मंचित करना था और वे नाट्यदल के साथ आनेवाले थे, पर बुरी तरह अस्वस्थ हुए और नहीं आए.....मैं रायगढ़ में प्रतीक्षा ही करता रह गया। .....
Prem Chand Gandhi
Prem Chand Gandhi
आज का दिन बहुत दुखदायी है। पहले विद्या सागर नौटियाल जी और अब अलखनंदन जी के निधन की सूचना... दोनों को सादर नमन।
Prabhakar Chaube
Prabhakar Chaube
alakhnandan ke nidhan ka samachar sunkar bahut dukh hua.bahut hi atmiya mitr the...1 tarah se hum sathiyo k bich parivarik mitr the. meri shrandhali......
Hariom Rajoria
आज सुबह ग्यारह बजे भोपाल में जाने -माने नाट्य निर्देशक अलखनंदनजी नहीं रहे| म .प्र .नहीं वरन देश भर के लिए यह एक बड़ी छति है | म .प्र. इप्टा की और से उन्हें विनम्र श्रधांजलि |उनके निधन की सूचना इप्टा रीवा के साथी विधाप्रकाशजी के माध्यम से मिली है--
Ishwar Dost
Hariom Rajoria
आज सुबह ग्यारह बजे भोपाल में जाने -माने नाट्य निर्देशक अलखनंदनजी नहीं रहे| म .प्र .नहीं वरन देश भर के लिए यह एक बड़ी छति है | म .प्र. इप्टा की और से उन्हें विनम्र श्रधांजलि |उनके निधन की सूचना इप्टा रीवा के साथी विधाप्रकाशजी के माध्यम से मिली है--
Ishwar Dost
बेहद दुखद खबर। भारतीय रंगमंच ने एक महत्त्वपूर्ण प्रतिभा को खो दिया। वे निरंतर सक्रिय थे और अभी बहुत कुछ सामने आना बाकी था। उनकी तबियत नरम-गरम होने की खबर एकाध-बार मिली थी, पर यह नहीं लगा था कि इस तरह अचानक चले जाएंगे। उनकी शख्सियत से मेरा परिचय तब हुआ था जब साइकिल से जबलपुर भर में पुस्तकें पाठकों के पास पहुंचाने वाले कामरेड तरलोक सिंह पर उनकी एक शानदार कविता पढ़ी थी। उनकी कविताएं भी उल्लेखनीय हैं।
Jeevesh Chaube
अलखनंदनजी से काफी लोगों के नजदीकी संबंध रहे हैं...रायपुर में उनके निर्देशन में एक माह के रंग शिविर का आयोजन किया गया था । उस दौरान उनके साथ लगभग रोज ही रंगकर्म और अन्य विषयों पर देर तक बातें होती रहती थी...रातें भी लम्बी चला करती थी जिसमें सभी विषयों (हल्के फुल्के, भी ) पर बातें होती.......इसी तरह आप लोगों के पास भी अनेक संस्मरण होंगे ...विमर्श में इन्हीं संस्मरणों को साझा करने की योजना है.....इन संस्मरणों को व्यवसायिक मीडिया में संभवतः वो जगह न मिले क्योंकि उनके लिए यह कोई लाभप्रद उपक्रम नहीं रहा , मगर हम विमर्श में अपनी रचना बिरादरी में अपने साथियों को इस तो याद कर ही सकते है......
Jeevesh Chaube
अलखनंदनजी से काफी लोगों के नजदीकी संबंध रहे हैं...रायपुर में उनके निर्देशन में एक माह के रंग शिविर का आयोजन किया गया था । उस दौरान उनके साथ लगभग रोज ही रंगकर्म और अन्य विषयों पर देर तक बातें होती रहती थी...रातें भी लम्बी चला करती थी जिसमें सभी विषयों (हल्के फुल्के, भी ) पर बातें होती.......इसी तरह आप लोगों के पास भी अनेक संस्मरण होंगे ...विमर्श में इन्हीं संस्मरणों को साझा करने की योजना है.....इन संस्मरणों को व्यवसायिक मीडिया में संभवतः वो जगह न मिले क्योंकि उनके लिए यह कोई लाभप्रद उपक्रम नहीं रहा , मगर हम विमर्श में अपनी रचना बिरादरी में अपने साथियों को इस तो याद कर ही सकते है......
इप्टा बिलासपुर
हमें साथियों से यह दुखद सूचना प्राप्त हुई कि आज सुबह भोपाल में प्रसिद्ध रंगनिदेशक श्री अलखनंदन का निधन हो गया ,सचमुच यह पुरे रंगजगत के लिये अपूर्णीयक्षति है |इप्टा बिलासपुर का अलख जी से आत्मीय संपर्क रहा है 'अलख जी के निर्देशन में इप्टा बिलासपुर ने अनेक नाटकों का मंचन किया जिनके नाम है "मोटेराम का सत्याग्रह " ,"एक था गधा ", "अंधों का हाथी" "समरथ को नहीं दोस गोसाई " पुनर मुषको भव |इप्टा परिवार की ओर से उन्हें सविनम्र श्रद्धांजली............
हमें साथियों से यह दुखद सूचना प्राप्त हुई कि आज सुबह भोपाल में प्रसिद्ध रंगनिदेशक श्री अलखनंदन का निधन हो गया ,सचमुच यह पुरे रंगजगत के लिये अपूर्णीयक्षति है |इप्टा बिलासपुर का अलख जी से आत्मीय संपर्क रहा है 'अलख जी के निर्देशन में इप्टा बिलासपुर ने अनेक नाटकों का मंचन किया जिनके नाम है "मोटेराम का सत्याग्रह " ,"एक था गधा ", "अंधों का हाथी" "समरथ को नहीं दोस गोसाई " पुनर मुषको भव |इप्टा परिवार की ओर से उन्हें सविनम्र श्रद्धांजली............
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