Monday, May 21, 2018

आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक

-हनुमन्त किशोर

विवेचना जबलपुर द्वारा दिनांक १९ /५/२०१८ को गोपाल सदन ,दमोह नाका जबलपुर में 'आज का समय और रंगकर्म की चुनौतियां ' शीर्षक से राष्टीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया |

जिसकी अध्यक्षता भारतीय जन नाट्य  संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर सिंह ने की |विषय प्रवर्तन संस्कृति कर्मी नूर ज़हीर ने किया | उन्होंने अपमी बात प्रतीक रूप में एक  कथा के  जरिये प्रस्तुत की | कथा जंगल के राजा शेर की है जिसकी शेरनी की सोने की अंगूठी उसके बेड रूम से चोरी हो जाती है | शेर चोर का पता लगाने के लिए जंगल के जीव जंतुओं को अपने दरबार में तलब करता है | हाथी-बन्दर-भालू -चीता सभी बड़े जानवर डरे सहमे से शेर के दरबार की तरफ चले जा रहे होते हैं कि पता नहीं शेर उनकी क्या दुर्गत करेगा .....वहीँ एक चूहा सबसे आगे नाचता गाता ..अलमस्त चला जा रहा होता ..किसी ने चूहे से पूछा "तुम्हे दूसरे जीवों की तरह डर नहीं लग रहा?'

चूहे ने जवाब दिया ...कि डर तो बाद की बात है ..पहले तो ख़ुशी इस बात की है शेर ने हमे इस काबिल तो समझा कि हम उसके बेड रूम में घुसकर उसकी शेरनी की अंगूठी चुरा सकते हैं .." नूर ज़हीर ने कहा कि आज का रंगकर्म पूरे परिदृश्य में भले लघुतम इकाई दिखाई दे रहा हो लेकिन यदि वह अपनी भूमिका सही ढंग से निभाता है तो वह कितना भी छोटा हो सत्ता के आगे मेटर करेगा ...और यही रंगकर्म की शक्ति और उसका औचित्य  है |

इप्टा के राष्टीय महा सचिव साथी राकेश ने चार्ल्स डिकेंस की 'ए  टेल  आफ टू सिटीज ' के रूपक के  माध्यम से समय की विडम्बना को परिभाषित किया जो एक साथ बुद्धिमत्ता और मूर्खता ..क्रान्ति और भ्रान्ति.. संघर्ष और सौदे  का चरम है | ब्रेख्त के गेलेलियो और शहीद भगत सिंह के ट्रायल  के हवाले से उन्होंने वैज्ञानिक और क्रांतिकारी चेतना के आत्म संघर्ष और बलिदान को व्याख्यायित करते हुये श् अपनी संस्कृतिक  यात्रा के निष्कर्ष साझा  किये |

शैलेन्द्र कुमार  ने  संस्कृति की स्वावलंबन की जगह संस्कृति  के अंतर अवलंबन को यथार्थ निरुपित  किया |शैलेन्द्र कुमार ने ग़ालिब के शेर ' आह को  चाहिए एक उम्र असर होने तक ..' को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम १८५७ के परिप्रेक्ष्य में रखते हुए अपना वक्तव्य शुरू किया और फैज़ की  शायरी के हवाले से अपनी परिणति तक पहुंचाया |

पटना इप्टा के साथी तनवीर अख्तर ने रंगकर्मी को जनता की सुनने और जनता से सीखने के सूत्र को स्पष्ट करते हुए उस पर अमल की फौरी ज़रूरत पर बल दिया |

अध्यक्षीय उद्बोधन में राष्ट्रीय अध्यक्ष साथी रणवीर सिंह ने रंगकर्म की चुनोती को नाटककार की अनुपस्थिति से रेखांकित करते हुए नाटककार की वापसी की जरूरत बताई |
जयपुर के और राष्ट्रीय रंगकर्म को  विश्लेषित करते हुए रणवीर सिंह ने सांस्कृतिक नीति के विचलन को उद्घाटित किया |

संचालन विवेचना के हिमाशुं राय और आभार प्रदर्शन विवेचना के निर्देशक वसंत काशीकर ने किया |

हमारे समय की व्याख्या और समय के साथ रंगकर्म के समीकरण को समझने की दिशा में  यह गोष्ठी उपयोगी रही और लम्बे समय तक याद की जाती रहेगी .

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