Sunday, November 4, 2012

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और 'हल्कट जवानी'


-विनय द्विवेदी
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के मौके पर 1 नवम्बर को रायपुर में आयोजित समारोह पूरी तरह से हल्कट जवानी फेम करीना कपूर के नाम रहा। छत्तीसगढ़ के खास लोगों के लिए सरकारी पैसे से अभिनेत्री करीना कपूर का इस मौके पर शो आयोजित किया गया जिसमें करीना के 'हल्कट जवानी' गाने पर उनके डान्स पर नेता और नौकरशाह तालियाँ बजा रहे थे। मध्य प्रदेश में भी इसी दिन एक सरकारी आयोजन हुआ, इसमें देश के जाने माने संगीतकार ए आर रहमान सहित कुछ दूसरे बोलीबुड कलाकारों के कार्यक्रम आयोजित हुए। करोड़ों रुपये इन दोनों आयोजनों में खर्च किये गए लेकिन इससे प्रदेश के आम लोगों को क्या मिला? दोनों हो आयोजनों में ऐसा तो कुछ भी नहीं था जिसे घर में टेलीविजन रखने वाले लोग नहीं देश चुके हैं या देख नहीं सकते। फिर, इस तरह के "फ़िल्मी आयोजन" जिसे सांस्कृतिक आयोजन बताया गया के औचित्य पर सवाल उठाया जाना स्वाभाविक है। छत्तीसगढ़ सरकार के सांस्कृतिक आयोजन के नाम पर निहायत फ़िल्मी आयोजन में हल्कट जवानी फेम करीना कपूर को बुलाये जाने का सुझाव किस अधिकारी या नेता का था? कहीं ऐसा तो नहीं कि इसके पीछे किसी नौकरशाह या नेता ने अपनी आशिकी की मानसिक ग्रंथि को तुष्ट करने के लिए इस तरह के आयोजन का खाका तैयार करवाया और उसे अमलीजामा पहनवा दिया।

संयोग से दोनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है-जो खुद को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का चैम्पियन बताते नहीं थकती। फिर इस आयोजन में हल्कट जवानी जैसे गाने और प्रदर्शन भी क्या सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है? अगर नहीं तो फिर भाजपा को अपनी सरकार से इस मामले में जबाव मांगना चाहिए और लोगों को बताना चाहिए कि इस तरह के प्रदर्शन से वो सहमत नहीं है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस के मौके पर हर साल इस तरह के आयोजन होते हैं। इन आयोजनों के पीछे की समझदारी के विपरीत अब ये आयोजन पूरी तरह से भव्यता प्रदर्शन और कुछ ख़ास नेताओं और नौकरशाहों के दिमाग की किसी ख़ास ग्रंथि को तुष्ट करने के माध्यम बन गए हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भाजपा के मुख्यमंत्री रमन सिंह तो नहीं ही चाहेंगे कि इस तरह के आयोजन में हल्कट जवानी का शो किया जाए-क्योंकि उनके राजनीतिक संस्कार तो दूसरे ही हैं। फिर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पैरोकार मुख्यमंत्री से इस तरह की उम्मीद तो कोई नहीं कर सकता।

मध्य प्रदेश में भी आयोजन हुआ-भारी भरकम खर्च किया गया। पिछले वर्ष का मध्य प्रदेश का आयोजन भी सवालों के घेरे में रहा क्योंकि भाजपा नेत्री और जानी मानी अभिनेत्री हेमा मालिनी को नृत्य प्रस्तुति के लिए बुलाया गया था। इस तरह के आयोजनों में बुलाई जाने वाली हस्तियों की प्रस्तुतियां देखने में भले मजेदार लगें लेकिन इसके पीछे भारी भरकम भुगतान के रूप में दिया जाने वाला पैसा किसी मुख्यमंत्री, सरकार या नौकरशाह की निजी कमाई का नहीं-बल्कि जनता का पैसा है। फिर उसे किसी नेता-अधिकारी या पार्टी की सुविधा और शौक के लिए कैसे बर्बाद किया जा सकता? राजनीति में ज्ञान बघारना एक बात होती है और व्यवहार में उसे उतारना दूसरी बात है।

बड़ा सवाल ये है कि इस तरह के फ़िल्मी आयोजनों का प्रदेश की कला और संस्कृति से कोई रिश्ता भी है क्या? प्रदेश के स्थापना समारोह में कहीं पर भी प्रदेश की कला या संस्कृति की झलक दिखती है क्या? जब प्रदेश का प्रदेश के लोगों के लिए आयोजन है तो उन्हें प्रदेश की कला और संस्कृति के बारे में बताइये श्रीमान मुख्यमंत्री जी। हल्कट जवानी प्रदेश की संस्कृति नहीं है। मध्यप्रदेश के स्थापना समारोह के लिए भी दूसरे शब्दों में कमोबेश यही बात कही जा सकती है। क्या दोनों प्रदेशों में कला और संस्कृति का कोई इतिहास, वर्तमान और भविष्य नहीं हैं? दोनों ही प्रदेश कला और संस्कृति के मामले में बेहद संपन्न होने के बाद भी स्थापना आयोजन पूरी तरह से "फ़िल्मी आयोजन" बनाए जा रहे हैं। इसे प्रदेश की कला, संस्कृति और कलाकारों के अपमान के रूप में भी देखा जा रहा है।

खैर, सरकार हमारी-तो चलेगी भी तो हमारी ही। हम चाहे ये करें, हम चाहे वो करें-मेरी मर्जी। आज के दौर की राजनीति की दिक्कत भी यही है। कितना बेहतर होता कि इस अवसर पर प्रदेश के लोगों के लिए सर्वानुमति से ऐसे आयोजन किये जाते जिनसे प्रदेश के लोगों को प्रदेश की कला और संस्कृति से अवगत कराया जाता और उनके जीवन की कठिनाइयों को दूर करने की एक संयुक्त ठोस पहल की जाती। इस मामले में अगर भाजपा अपने रास्ते पर चल रही है तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस का अतीत भी बहुत बेहतर नहीं है। उसने भी ऐसा कोई प्रयास कभी नहीं किया जो ये बताता हो कि प्रदेश के विकास के मामले में राजनीति को दरकिनार कर सर्वानुमति से काम किया गया है।

साभार : http://www.kharinews.com

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