रघुवंशमणि की लंबी रपट की दूसरी किस्त
इस सब के बाद भी फैज़ाबाद शहर शान्त ही रहा। मगर 24 अक्टूबर को दुर्गापूजा विसर्जन के दौरान कुछ घटित हुआ जिससे फैजाबाद में आगजनी की घटना प्रारम्भ हुई। कथित तौर पर इसे किसी लड़की के साथ छेड़खानी की घटना बताया जाता है जिसका बहाना लेकर सारी कार्यवाही हुई। स्थानीय पुलिस के पास इस घटना की कोई प्राथमिकी नहीं है। वास्तव में यह सब एक सोची-समझी नीति के तहत हुआ क्योंकि शहर के बीचोबीच स्थित चौक में मिट्टी का तेल, पेट्रोल या पत्थर के ढेर सारे टुकड़े बिना योजनाबद्ध हुए नहीं आ सकते थे। विसर्जन के दौरान चौक और रिकाबगंज के बीच स्थिति रॉयल प्लाजा के पास से ये घटनाएं प्रारम्भ हुईं। रायल प्लाजा के निचले भाग में स्थित दुकानों को आग लगाने से शुरुआत हुई। वहीं करीब स्थित कनक टाकिज के आगे वाले हिस्से में कपड़े की दुकानों में आग लगायी गयी। ये दुकाने अस्थायी थीं। फिर उसी पटरी पर स्थित कई स्थायी दुकानों को जलाया गया जो मुस्लिमों से सम्बन्धित थीं। चौक में स्थित जूतों की मशहूर दूकान शहाब बूट हाउस को लूटा गया और फिर उसमें आग लगायी गयी जो जलकर खाक हो गयी। चौक के दक्षिण में स्थित कुछ दुकानों में आग लगायी गयी। फिर दंगायी चौक की मस्जिद में घुस गये और तोड़फोड़ की। वहॉं मस्जिद की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और वहॉं स्थित दुकानों को जलाया गया। मस्जिद के ऊपर स्थित उर्दू अखबार के एक दफ्तर को क्षति पहुंचायी गयी। यह दफ्तर सम्पादक/पत्रकार मंज़र मेहदी का है जो आपकी ताकत नामक एक द्विभाषीय हिन्दी-उर्दू अखबार निकालते हैं। यह अखबार हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देता है। बगल स्थित सब्जीमंडी की भी कुछ दुकानों को जलाया गया। मस्जिद के बगल में स्थित स्टार बेकरी को भी पत्थरों से क्षतिग्रस्त किया गया। चौक के पश्चिम में स्थित एक दरे के नीचे की दूकानों को भी जलाया गया।
यह उपद्रव शाम से देर रात तक चलता रहा। इस बात पर विश्वास करना कठिन है कि छेड़छाड़ की घटना को लेकर इस प्रकार का लम्बा और व्यवस्थित उपद्रव संभव है। यह कोई स्वतः स्फूर्त घटना नहीं है। यह एक घृणित और सुनियोजित प्रयास था। दूसरे दिन सुबह प्रशासन की लापरवाही के चलते फिर पत्थरबाजी हुई। प्रशासन को रात में ही चौक की परिस्थितियों को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था रखनी चाहिए थी। मगर कर्फ्यू तब लगाया गया जब उत्तेजित भीड़ ने समाजवादी पार्टी के स्थानीय विधायक पवन पाण्डेय पर हमला करने की कोशिश की। बाद में प्रशासन सख्त हुआ लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।
25 और 26 की रात को अफवाहों का बाजार गर्म रहा। बाद में प्रशासन ने कुशलता से काम किया और तनावपूर्ण स्थितियों को काबू से बाहर नहीं जाने दिया। जगह-जगह पुलिस, पी.ए.सी., अर्धसैनिक कमांडो, ए.टी.एस. और एस.टी. एफ. के जवान तैनात किये गये थे। प्रशासन ने मुस्लिमों से बस स्टेशन के पास स्थित ईदगाह पर सामूहिक नमाज पढ़ने के बजाय आपने-अपने इलाकों में नमाज अदा करने का अनुरोध किया जिसे मुस्लिम लोगों ने मान लिया। इसी प्रकार प्रशासन ने संक्षिप्त रामलीला करायी और रावण के पुतलों को अपनी उपस्थिति में जलवाया। पूरे समय में एकमात्र आगजनी की घटना साकेत स्टेशनरी की दुकान पर हुई जिसे दुकान के पीछे लगी खिड़की को तोड़कर किया गया। इस घटना से काफी आर्थिक क्षति हुई। मगर इसके अलावा और कोई घटना नहीं घटित हुई। 6 नवम्बर को कुछ युवकों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस द्वारा एक मस्जिद में प्रवेश को लेकर शहर में फिर तनाव का माहौल बना मगर प्रशासन ने तेजी से चौक में चौकसी कायम की और किसी अप्रिय घटना को नहीं होने दिया। मस्जिद से जुड़े लोगों का यह कहना था कि पुलिस ने मस्जिद के अंदर कुछ सामानों को क्षति पहुंचायी है।
चौक फैज़ाबाद शहर का हृदय है। शहर के बीचोबीच स्थित यह हिस्सा दुकानों से भरा हुआ है और बेहद सघन है। सामान्य स्थितियों में यहॉं सुबह से लेकर देर रात तक लोग टहलते-घूमते और चाय पीते रहते हैं। रात देर तक मिठाइयों और चाय के ठेले खड़े रहते हैं। रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद आन्दोलन के दौर से ही चौक में हर समय पुलिस की उपस्थिति रहती है। आश्चर्य की बात है कि ऐसे स्थान पर आगजनी की घटनाएं खुले आम अंजाम दी गयीं और पुलिस चुपचाप देखती रही। तर्क यह दिया गया कि इतनी भारी भीड़ पर पुलिस के कुछ लोग कैसे नियंत्रण कर सकते थे? मगर आज के सूचना विस्फोट के दौर में क्या पुलिस अपने वायरलेस या फोन से सूचना देकर और पुलिस बल नहीं बुला सकती थी। चौक में जहॉं ये घटनाएं घट रही थीं वहॉं से दो-तीन सौ मीटर की दूरी पर कोतवाली है और दो किलोमीटर से भी कम की दूरी पर शहर का पुलिस लाइन स्थित है। इस बात को लेकर अल्पसंख्यकों का यह शक सही भी हो सकता है कि घटनास्थल पर उपस्थित पुलिस ने दंगाइयों का साथ दिया। आखिर पुलिस की निरपेक्षता का यही तो मतलब निकलेगा। बाद में जगमोहन यादव ए.डी.जी. कानून व्यवस्था ने यह स्वीकार किया कि सारा कुछ प्रशासन के निकम्मेपन के कारण हुआ। कुछ लोग इस बात को मुद्दा बनाते हैं कि दुर्गाभक्त नशे में धुत्त थे और प्रशासन इसलिए भी दोषी है कि उस दिन शहर में शराब की दुकानें खुली थीं। वास्तव में उन्हें बंद होना चाहिए था। उसी बीच ए.डी.एम. सिटी श्रीकांत मिश्र, एस. पी. सिटी रामजी यादव, तिलकधारी यादव और भुल्लन यादव को राज्य सरकार ने लापरवाही बरतने के कारण निलम्बित कर दिया।
मगर ये बातें इस तथ्य से हमारा ध्यान नहीं हटा सकतीं कि यह सारा घटनाक्रम योजनाबद्ध था। यह एक पक्षीय था जिसमें मुस्लिम दुकानों को ही निशाना बनाया गया। इस प्रक्रिया में काफी सावधानी अपनायी गयी। मगर एक-दो हिन्दू दुकानें भी लपटों से क्षतिग्रस्त हुईं जो मुस्लिम दुकानों के अगल-बगल थीं। आखिर आग तो दुर्गाभक्तों की तरह हिन्दू और मुस्लिम में भेद तो नहीं करती। इस समूचे घटनाक्रम को कुछ सतर्क नागरिकों ने विडियो क्लिपों में कैद भी किया है जिसमें जलती दुकानों के सामने कुछ दंगाई दुर्गाभक्त जयश्रीराम बोलते नजर आते हैं। मस्जिद के अंदर लगे क्लोज सर्किट कैमरे में भी बहुत उपद्रवियों की तस्वीरें कैद हैं। इनमें वे काफी निश्चिंत दिखायी देते हैं और उन्हें किसी भी प्रकार से प्रशासन का कोई भय नहीं है। लेकिन ये वीडियो क्लिप्स उन्हें जेल तक ले जा सकती हैं। अद्यतन सूचना यह है कि पुलिस ने पूरे फैज़ाबाद जिले में 85 लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
फैजाबाद में क्षतिग्रस्त हुई दुकानों की एक लिस्ट तैयार की गयी है। इस सूची को तैयार करने में फैजाबाद के कामरेड आफताब ने मेरी बहुत सहायता की है। सूची निम्नवत हैः
1. मेहदी हसन कज्जू की दुकान। इस दुकान को दंगाइयों ने जला डाला।
2. रायल प्लाजा। इसमें तोड़फोड़ और आगजनी की गयी।
3. शकील अहमद पुत्र श्री मो शफी की गुमटी को जलाया गया।
4. इण्डिया ट्रेडिंग कम्पनी, पेण्ट की दुकान जिसके मालिक हैं मोहम्मद रिजवान, खुर्रम बैग वाले।
5. कनक चित्र मंदिर के सामने के तख्त जलाये गये जिन पर मुस्लिम लोग अस्थायी दुकाने लगाते थे।
6. सस्ता जनरल स्टोर, रिफ्यूजी मार्केट के सामने आगजनी का शिकार हुआ।
7. नसीम मेडिकल स्टोर्स आगजनी का शिकार हुआ।
8. मोहम्मद कलीम, मोहम्मद सलीम जनरल स्टोर्स।
9. मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद फुरकान बैग की दुकान।
10. मोहम्मद शारिफ, बैग की दुकान।
11. मोहम्मद हारून, संसार लाक हाउस।
12. मोहम्मद शोएब, ताला टार्च वाले।
13. मोहम्मद जुबैर, ताला टार्च वाले।
14.मोहम्मद आरिफ ताला चाबी टार्च की दुकान।
15. तुफैल अहमद, अलीगढ़ लाक हाउस।
16.वकील खॉं, पुत्र स्व. करीम खॉं, बर्तन की दुकान।
17. मोहम्मद उस्मान, फलवाले।
18. मोहम्मद आफताब फलवाले।
19. शोएब इलाही, पुत्र श्री अहमद इलाही, बैग की दुकान।
20. मोहम्मद सलीम, पुत्र श्री अब्दुल वहाब, अण्डर गारमेंट की दुकान।
21.ए. तारिक एण्ड कम्पनी, कास्मेटिक्स की दुकान।
22. मोहम्मद इलाही एण्ड सन्स, रहमत इलाही, पुत्र श्री मोहम्मद इलाही, बन्दूक और जनरल मर्चेन्ट।
23. राजू बैग स्टोर्स, स्व. इरफान इलाही।
24. अभय, शटर जला हुआ है।
25. शकील पुत्र श्री जहीरुद्दीन, कास्मेटिक्स, बिसातखाना।
26. मोहम्मद असलम, पुत्र स्व. वजीउद्दीन, प्लास्टिक की दुकान।
27. मोहम्मद फिरोज़, पुत्र स्व. वजीउद्दीन, प्लास्टिक की दुकान।
28. मोहम्मद जमालुद्दीन, पुत्र श्री रइसुद्दीन, प्लास्टिक एवं फैंसी आइटम्स।
29. इरशाद गारमेन्ट्स।
30. सादकीन, पुत्र श्री मो. आरकीन, चप्पल जूते की दुकान।
31. मोहम्मद यासीन एण्ड सन्स, मो. शकील पुत्र श्री मो. कलीम।
32. न्यू राइट वाच हाउस, जावेद।
33. श्याम होजरी।
34. राजू चप्पल स्टोर्स।
35. शाहिद चप्पल स्टोर्स।
36. खालिद चप्पल स्टोर्स।
37. शहाब बूट हाउस, मुन्ना पुत्र स्व. श्री जियाउद्दीन।
38. ताज प्रोविजनल स्टोर्स।
39. डायमण्ड वाच हाउस, गोदाम, मस्जिद के उपर, कमर हैदर।
40. साकेत स्टेशनर्स, मोहम्मद लईक
41. सोना ज्वैलर्स,
42. कैलाशनाथ विनय कुमार, मस्जिद के नीचे।
43. रामलखन एण्ड सन्स, अनुभव अग्रवाल।
44. बन्सल आभूषण भण्डार, एसी का बोर्ड जला है।
45 मोहम्मद नवाब घड़ी वाले, पूरी दुकान जल गयी।
46. मंजर मेहदी, सम्पादक आपकी ताकत, सामान लूट लिया। पुस्तकें और कम्पयूटर को क्षति पहॅंचायी।
47. जफर अब्बास, मोहर वाले। समान की लूट और तोड़ फोड़।
48. तवील अब्बास, दुकान में तोड़ फोड़।
49 मतलूब दुकान में तोड़ फोड़।
50. मस्जिद वक्फ हसन रज़ा खॉं, चौक की मस्जिद, फीज़र, राड, सी.एफ. एल., पंखे को क्षतिग्रस्त किया। किताबें फाड़ीं और चटाइयॉं जलाई।
51. मुन्ना कपड़े वाले का ताला तोड़ने का प्रयास। मस्जिद में।
52. स्टार बेकरी, पानगली का बोर्ड जलाया। मालिक अकील अहमद।
53. स्टार बेकरी, मो. अहमद, पथराव करके इमारत का नुकसान किया।
54. गिरीश कुमार किराना मर्चेंट। तरकारी मण्डी।
55. मैंहगी लाल अग्रवाल, किराना, गल्ले की दुकान ।
56. अशर्फीलाल, पुत्र श्री ठाकुर प्रसाद। फल, पान और स्क्रेच कार्ड की दुकान, रिफयूजी मार्केट।
इस सूची में फुटपाथ पर लगायी जाने वाली अस्थायी दुकानें शामिल नहीं हैं। फैज़ाबाद के व्यवसायियों ने नब्बे दुकानों के लिए मुआवजे़ की मॉंग की है।
फैज़ाबाद शहर में हुए उपद्रव ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैले जो कि अधिक खतरनाक वाकिया है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन का दबाव कम रहता है। पुलिस या किसी अन्य प्रकार के बल का वहॉं पहुंचना कठिन होता है। फिर वहॉं अफवाहों का फैलना-फैलाना अधिक आसान होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ये उपद्रव मुख्य रूप से भदरसा, रुदौली और शाहगंज क्षेत्रों में फैले जिनपर नियंत्रण देर से ही प्राप्त किया जा सका। भदरसा और रुदौली जैसे क्षेत्रों मे तो बाद तक कड़ाई बरतनी पड़ी। इनमें भदरसा क्षेत्र पहले से ही दिक्कततलब था। इस्लामाबाद, फुलवरिया, बिगहिया, लालपुर, बाबूशाह का पुरवा और फत्तेपुर संवेदनशील क्षेत्र थे।
इन सभी क्षेत्रों में साम्प्रदायिकता को भड़काने की घटनाओं के पीछे अल्पसंख्यकों को उकसाने और उत्तेजित करने की प्रवृत्ति दिखायी दी। अल्पसंख्यकों के ऊपर और उनके पूजास्थल पर अबीर फेंकने की घटनाओं ने इनमें प्रमुख भूमिका निभायी। यहॉं भी प्रयास यही था कि अल्पसंख्यक उत्तेजित हों और कुछ दंगा किया जा सके। यहॉं फैज़ाबाद शहर जैसी स्थितियॉं नहीं थीं। लोग उत्तेजित हुए और टकराव की स्थितियॉं सामने आयीं। दुकाने जलाने, घर जलाने की घटनाओं के साथ दो लोगों के मारे जाने की भी सूचना आयी है।
जारी
लेखक से निम्न पते पर संपर्क किया जा सकता है :
रघुवंशमणि 365, इस्माइलगंज, अमानीगंज, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश-224001 फोन- 09452850745
ईमेल-raghuvanshmani@yahoo.co.in
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