29 अप्रैल, विश्व नृत्य दिवस ।
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"नाच वो शै है जो आपको सबसे ज़ुदा दिखाती है पर सबको हमारे करीब लाती है , एक ऐसी निजी पहचान जो हमारी देह से अभिव्यक्त होती है। पूरी दुनिया में कोई हूबहू आपके जैसी चाल जैसा नहीं चलता, वो केवल आप ही है जो ऐसा कर सकते हैं।"
परन ,घूमना गति की एक अभिव्यक्ति है। ऊपर , नीचे, दाएं-बाएं थिरकना, दौड़ना, और घूमना और घूमते रहना,जब तक कि सब कुछ आपके साथ न घूमे। मैं अपनी तरह, आप अपनी तरह, अपनी अपनी जगह पर जब तक घूमें जबतक मैं, मैं न हो जाऊं, आप, आप न हो जाएं, हाँ यही मैं,मैं हूँ , यही आप, आप हैं,मेरी अपनी पहचान, मेरी खुद तलाश की हुई पहचान, मेरी अनुकृति , मेरे सांचे, मेरा काम, भारतीय, अमेरिकन, कैनेडियन, क्यूबाई पुरुष।
तो ढालिए खुद को, घुमाइये खुद को अपनी धुरी पर और फिर आइये एक साथ
नृत्य महान एकजुटता है जिसकी आज हम सबको बहुत जरुरत है । आइये! दुनिया को अपनी बाहों में भर लीजिये।
"नही हमज़ाद मेरा , है कोई तू और शख्स,
मत कहो ऐसा , आओ करो बस रक़्स, रक़्स।
तभी हम विविधता का उत्सव मना सकते हैं, तभी एक दूसरे को गले लगा सकते हैं।
-रोजर सिन्हा
(इंग्लैड में जन्मे भारतीय पिता और अमरीकी माँ की संतान हैं
टोरंटो डांस थिएटर से स्नातक के बाद विश्व के दिग्गज नृत्य निर्देशकों हेलेन ब्लैकबर्न, सिल्वयन एमराल्ड, पियरे पाल और डेनियल सोल्वियस के साथ काम करने के बाद 1991 सिन्हा डांस नामक कंपनी बनायी, अपने भारतीय परिवेश से प्रभावित हो इन्होंने भरत नाट्यम के साथ दक्षिण भारतीय मार्शल आर्ट को पश्चिम के कंटेम्परेरी नृत्य के साथ मिला एक् मौलिक हाइब्रिड शैली को जन्म दिया जो अद्भुत विविधतापूर्ण नवीन नृत्य शैली है। 2016 में इनको कल्चरल डाइवर्सिटी पुरस्कार से नवाजा गया। रोजर सिन्हा का काम विविधता पूर्ण सौजन्यता के लिया जाना जाता है जो इस शैली के विकास के लिए आशापूर्ण कार्य है। )
भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के लिए
डॉ विजय शर्मा द्वारा अनूदित
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