‘अपनी गहराई को अपने मानवीकरण पर सतही मत बनाओ, मोती पाने को जिंदगी दांव पर लगानी पड़ती है। इसे समझो, तब सच तुम्हारे निकट होगा।’ मगर, क्या पता था कि अपने अंतिम नाटक के लिए लिखे इन डायलॉग के माध्यम से दुनिया को जब डा. जितेंद्र रघुवंशी सच की परिभाषा समझाने की कोशिश कर रहे थे, तब वह खुद ‘अंतिम सच’ के काफी करीब थे। 23 फरवरी को ताज महोत्सव में ‘रंग मानसरोवर’ के माध्यम से उन्होंने अपनी जिंदगी के अंतिम नाट्य रूपांतरण को जीवंत किया। उनके निधन की सूचना शनिवार को हुई तो कला, साहित्य और सांस्कृतिक शहर में शोक की लहर दौड़ गई।
वरिष्ठ रंगकर्मी राजेंद्र रघुवंशी के पुत्र डा. जितेंद्र रघुवंशी का जन्म 13 सितंबर 1951 को आगरा में ही हुआ था। डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के केएमआई में रूसी भाषा के विभागाध्यक्ष भी रहे। पिछले वर्ष ही सेवानिवृत्त हुए थे। वर्ष 1962 से भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से जुड़े थे। अभिनय के क्षेत्र में उनका आखिरी नाटक ‘फ्लैश..फ्लैश..फ्लैश’ था। इसके बाद जागते रहो, बिजूका, नजीर-शाह-फकीर, खूनी पंजा के नाट्य रूपांतरण के अलावा रांगे राघव और मुंशी प्रेमचंद की कहानियों का भी नाट्य रूपांतरण किया। ‘लाल टेलीफोन’ नाटक का मंचन तो देशभर में हुआ। अफसर शाही और भ्रष्टाचार पर प्रहार करता यह नाटक रेडियो पर भी प्रसारित किया गया था। बलराज साहनी अभिनीत फिल्म ‘गर्म हवा’ में पिता राजेंद्र रघुवंशी के साथ काम किया था।
जितेंद्र रघुवंशी अपने पीछे पत्नी भावना रघुवंशी, पुत्र मानस रघुवंशी और पुत्री सौम्या रघुवंशी छोड़ गए हैं। वह अभिनेता अंजन श्रीवास्तव के समधी थे। वह कम्युनिस्ट पार्टी से भी जुड़े रहे थे। शनिवार शाम को ताजगंज शमशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। शवयात्रा में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डा. रामशंकर कठेरिया, पूर्व सांसद राजबब्बर, पूर्व विधायक अनुराग शुक्ला, सैय्यद अजमल अली शाह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश मिश्र, इप्टा आगरा के प्रमोद सारस्वत, डा. विजय शर्मा, विशाल, रियाज, केएन अग्निहोत्री, सुबोध गोयल आदि उपस्थित थे।
रंगमंच में एक ऐसी क्षतिपूर्ति है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती।
- अंजन श्रीवास्तव, वरिष्ठ रंगकर्मी
जितेंद्र रघुवंशी ने हमेशा सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की कोशिश की।
- अनिल शुक्ला, वरिष्ठ रंगकर्मी
वह हमेशा कोशिश करते थे कि युवा पीढ़ी को रंगमंच की बारीकियों से रूबरू कराएं।
- पुरुषोत्तम मयूरा, रंगकर्मी
केएमआई में सोमवार को शोकसभा
डा. जितेंद्र रघुवंशी के निधन पर केएमआई के प्रो. हरिमोहन, प्रो. प्रदीप श्रीधर, प्रो. हरिवंश सोलंकी, उपेंद्र शर्मा आदि ने शोक संवेदना व्यक्त की है। इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. जयसिंह नीरद के अनुसार सोमवार को मध्याह्न 12 बजे शोकसभा होगी। �
बज्म ए नजीर ने दी श्रद्धांजलि
डा. जितेंद्र रघुवंशी बज्म ए नजीर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी थे। बज्म-ए-नजीर के अध्यक्ष उमर तैमूरी ने बताया कि वह 1972 से अब तक लगातार संस्था के उपाध्यक्ष रहे। शोकसभा में हाजी इकबाल पच्चेकार, पंडित रमाकांत सारस्वत, आरिफ तैमरी, राकेश दीक्षित, ब्रह्म दत्त शर्मा आदि मौजूद रहे।
इप्टा सदस्यों ने लिया संकल्प
गोरखपुर। इप्टा की गोरखपुर इकाई के सदस्यों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। संस्था के पदाधिकारियों ने भविष्य के लिए तैयार की गई उनकी हर योजना को साकार करने का संकल्प लिया। प्रांतीय सचिव डॉ. मुमताज खान एस रफत, धमेंद्र दुबे टाटा, विनोद चंद्रेश, सीमा मुमताज, रीना श्रीवास्तव, आसिफ सईद, एमके तिवारी, शैलेंद्र निगम, प्रियंका आदि शामिल रहे।
वरिष्ठ रंगकर्मी राजेंद्र रघुवंशी के पुत्र डा. जितेंद्र रघुवंशी का जन्म 13 सितंबर 1951 को आगरा में ही हुआ था। डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के केएमआई में रूसी भाषा के विभागाध्यक्ष भी रहे। पिछले वर्ष ही सेवानिवृत्त हुए थे। वर्ष 1962 से भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से जुड़े थे। अभिनय के क्षेत्र में उनका आखिरी नाटक ‘फ्लैश..फ्लैश..फ्लैश’ था। इसके बाद जागते रहो, बिजूका, नजीर-शाह-फकीर, खूनी पंजा के नाट्य रूपांतरण के अलावा रांगे राघव और मुंशी प्रेमचंद की कहानियों का भी नाट्य रूपांतरण किया। ‘लाल टेलीफोन’ नाटक का मंचन तो देशभर में हुआ। अफसर शाही और भ्रष्टाचार पर प्रहार करता यह नाटक रेडियो पर भी प्रसारित किया गया था। बलराज साहनी अभिनीत फिल्म ‘गर्म हवा’ में पिता राजेंद्र रघुवंशी के साथ काम किया था।
जितेंद्र रघुवंशी अपने पीछे पत्नी भावना रघुवंशी, पुत्र मानस रघुवंशी और पुत्री सौम्या रघुवंशी छोड़ गए हैं। वह अभिनेता अंजन श्रीवास्तव के समधी थे। वह कम्युनिस्ट पार्टी से भी जुड़े रहे थे। शनिवार शाम को ताजगंज शमशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। शवयात्रा में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डा. रामशंकर कठेरिया, पूर्व सांसद राजबब्बर, पूर्व विधायक अनुराग शुक्ला, सैय्यद अजमल अली शाह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश मिश्र, इप्टा आगरा के प्रमोद सारस्वत, डा. विजय शर्मा, विशाल, रियाज, केएन अग्निहोत्री, सुबोध गोयल आदि उपस्थित थे।
रंगमंच में एक ऐसी क्षतिपूर्ति है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती।
- अंजन श्रीवास्तव, वरिष्ठ रंगकर्मी
जितेंद्र रघुवंशी ने हमेशा सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की कोशिश की।
- अनिल शुक्ला, वरिष्ठ रंगकर्मी
वह हमेशा कोशिश करते थे कि युवा पीढ़ी को रंगमंच की बारीकियों से रूबरू कराएं।
- पुरुषोत्तम मयूरा, रंगकर्मी
केएमआई में सोमवार को शोकसभा
डा. जितेंद्र रघुवंशी के निधन पर केएमआई के प्रो. हरिमोहन, प्रो. प्रदीप श्रीधर, प्रो. हरिवंश सोलंकी, उपेंद्र शर्मा आदि ने शोक संवेदना व्यक्त की है। इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. जयसिंह नीरद के अनुसार सोमवार को मध्याह्न 12 बजे शोकसभा होगी। �
बज्म ए नजीर ने दी श्रद्धांजलि
डा. जितेंद्र रघुवंशी बज्म ए नजीर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी थे। बज्म-ए-नजीर के अध्यक्ष उमर तैमूरी ने बताया कि वह 1972 से अब तक लगातार संस्था के उपाध्यक्ष रहे। शोकसभा में हाजी इकबाल पच्चेकार, पंडित रमाकांत सारस्वत, आरिफ तैमरी, राकेश दीक्षित, ब्रह्म दत्त शर्मा आदि मौजूद रहे।
इप्टा सदस्यों ने लिया संकल्प
गोरखपुर। इप्टा की गोरखपुर इकाई के सदस्यों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। संस्था के पदाधिकारियों ने भविष्य के लिए तैयार की गई उनकी हर योजना को साकार करने का संकल्प लिया। प्रांतीय सचिव डॉ. मुमताज खान एस रफत, धमेंद्र दुबे टाटा, विनोद चंद्रेश, सीमा मुमताज, रीना श्रीवास्तव, आसिफ सईद, एमके तिवारी, शैलेंद्र निगम, प्रियंका आदि शामिल रहे।
साभार : अमर उजाला
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