Wednesday, March 25, 2015

जीने की तमीज सिखाती हैं पाश की कवितायें

शोकनगर , दिनांक 23- 03 – 2015 को प्रगतिशील लेखक संघ एवं भारतीय जन नाट्य संघ ( इप्टा ) ने अमर शहीद भगतसिंह , सुखदेव , राजगुरु एवं पंजाब के क्रांतिकारी कवि अवतारसिंह ‘पाश’ पर केन्द्रित वैचारिक गोष्ठी का आयोजन किया |आज जब दक्षिणपंथी राजनैतिक ताकतें भी भगतसिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों का नाम लेकर अपने-अपने राजनैतिक स्वार्थ भुनाने में लगी है तब भगतसिंह को और उनके विचारों को करीब से जानने की आवश्यकता महसूस होती है ,इसी तारतम्य में अनेक वक्ताओं ने इस गोष्ठी में अपने विचार रखे |

इप्टा ने अपनी परम्परा के अनुसार कार्यक्रम की शुरुआत जनगीत से की और सीमा राजोरिया तथा निवेदिता शर्मा द्वारा बल्ली सिंह ‘चीमा’ का जनगीत ‘ले मशालें चल पड़े है लोग मेरे गाँव के’ का गायन किया | हरिओम राजोरिया ने आधार वक्तव्य देते हुए कहा कि – “ आज हम देख रहे हैं कि भगतसिंह के क्रांतिकारी वैचारिक और दार्शनिक पक्ष को भुलाने की साजिश चल रही है और उन्हें एक वीर बालक की तरह प्रचारित किया जा रहा है | भगतसिंह के सपने और उनके विचार को प्राचारित करने की जारूरत आज सबसे जियादा है जब धार्मिक कट्टरतावादी और जातिवादी ताकतें हमारी  साझा सांस्कृतिक विरासत को बांटने पर आमादा हैं “ | हरिओम राजोरिया ने अपने वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज ही के दिन भगतसिंह की विरासत को आगे बढ़ाने वाले क्रन्तिकारी कवि ‘अवतार सिंह पाश’ को भी शहादत मिली| पाश मूल रूप से पंजाब के थे| वे धार्मिक कट्टरता तथा आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हुए आतंकवादियों की गोली का शिकार बने | उनकी रचनायें आज भी हमें आदमी होकर जीने की तमीज सिखाती हैं |

संजय माथुर ने भगतसिंह के दो लेख ‘सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज’ तथा ‘अछूत समस्या’ का पाठ किया ‘ गोष्ठी में भगतसिंह एवं उनके क्रांतिकारी साथियों के कुछ पत्रों का पाठ भी किया गया | वे कहते हैं कि वह समाज जिसमें ऐसे व्यक्ति रहते है जिन्हें मानव अधिकार तक प्राप्त नहीं हैं | जिन्हें छूने भर से आपका धर्म भ्रष्ट हो जाता हैं| ऐसे समाज के व्यक्तियों को स्वतंत्रता की मांग करने का क्या अधिकार है? भगतसिंह सांस्कृतिक बदलाव की मांग करते हुए कहते हैं, कि सबसे पहले हमें खुद अपने भीतर बदलाव करने होंगे उसके बाद संगठित होकर आज़ादी की लड़ाई के लिए तैयार हो जाना होगा| वे युवाओ से अपील करते है कि देश का प्रत्येक युवा राजनीति में आये तथा देश के विकास में अपनी भूमिका अदा करे| 

  अभिषेक ’अंशु’ ने कहा कि कथित राष्ट्रवादी ताकतें भगतसिंह का असली चेहरा जनता के सामने आना नहीं देना चाहती हैं | वे अन्य नेताओ के मामले में भी इसी तरह की नीतियों पर चल रहीं हैं| जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र रघुवंशी ने कहा कि “इस घोर अन्याय और निराशा के दौर में भगतसिंह के मार्ग पर चलकर ही हम वास्तविक आज़ादी प्राप्त कर सकते हैं |” जहाँ विनोद शर्मा ने भगतसिंह के विचारो को जनता के सामने आने न देने के लिए लगातार हो रहे षडयन्त्रो का खुलासा किया वहीं सीमा राजोरिया ने उनके विचारो को जनता तक पहुँचाने के लिए मुहिम चलाये जाने की बात कही | रामबाबू कुशवाह ने भगतसिंह के विचारों को आत्मसात करने पर जोर दिया | अरबाज़ खांन ने कहा कि भगतसिंह क्रन्तिकारी के साथ- साथ विचारक भी थे | वे उस समय फ्रांस, इटली, रूस आदि की क्रांतियो का अध्ययन कर भारतीय क्रांति की रूपरेखा बनाते हुए आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे | वे ऐसी आज़ादी का सपना देखते थे जिसमे प्रत्येक व्यक्ति आजाद होगा. वे चिंतित थे कि आज़ादी कुछ गिने-चुने लोगो के हाथो में सिमटकर न रह जाये | शिवानी ने भगतसिंह के जीवन को काफी प्रेरणादायक बताया | डॉ अर्चना प्रसाद, निवेदिता शर्मा, उमा दुबे तथा अन्य साथी भी बातचीत में शामिल हुए| श्री एस एन सक्सेना ने युवाओ के राजनीति से लगातार दूर होते जाने पर चिंता व्यक्त की| संजय माथुर ने आये हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए बैठक का समापन किया |

3 comments:

  1. बढ़िया काम कर रहे हैं आप लोग , बधाई !!

    ReplyDelete
  2. राष्ट्रहित में ऐसे चिंतन बैठक जरुरी हैं ..
    सार्थक पहल ...

    ReplyDelete
  3. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
    शुभकामनाएँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    ReplyDelete