‘हाथ पड़ता है कहीं , पड़ता है पाँव कही
सबकी खबर तुमको , अपनी खबर कुछ भी नही’
भारतीय जन नाट्य संघ, इप्टा कें राष्ट्रीय अध्यक्ष ए० के० हंगल साहब के निधन पर इप्टा चाईबासा शाखा ने एक सभा स्थानीय स्कॉट बालिका उच्च विद्यालय में आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। साथ ही दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शान्ति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई।
संरक्षक रतनलाल दोदराजका, अजय मित्रा, राजीव नयनम् एवं इप्टा के सभी सदस्यों ने उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। राष्ट्रीय अध्यक्ष ए० के० हंगल साहब के पिता हरिकिशन हंगल के इस सपूत का जन्म 01 फरवरी 1917 को सियालकोट में हुआ जिन्होने 50 वर्ष की उम्र में “तीसरी कसम” से अपना फिल्मी सफर आरम्भकर बावर्ची, शोले, अभिमान, नमक हराम, शौकीन, आँधी, अर्जुन, तपस्या सहित 250 से अधिक यादगार फिल्म देने वाले हंगल साहब, 26 अगस्त 2012 को सुबह लगभग 9.00 बजे हमें छोड़ गए। हंगल जी को नाटक का शौक विरासत में मिला। बचपन पेशावर में बीता। अंतिम फिल्म ”पहेली“ व 2012 में रविन्द्र गौतम निर्देशित ”मधुबाला“ सीरियल रही। फिल्म ”शोले“ में रहीम चाचा का यह कथन इतना सन्नाटा क्यों है भाई ... को भुलाया नहीं जा सकता।
ख्याति प्राप्त रंगकर्मी व अभिनेता जो भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा कें राष्ट्रीय अघ्यक्ष थे, जिन्हें वर्ष 2006 को भारत सरकार की ओर से पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। " मैंने अपने लिए नहीं कमाया", "सारा जीवन समाज के लिए है" जैसे विचार रखने वाले ए० के० हंगल साहब की कमी इप्टा कर्मियों को खलती रहेगी। इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम के अवसर पर इप्टा के संजय चौधरी, कैशर परवेज, कृष्ण कुमार जयसवाल, शीतल बागे, रवि वर्मा, प्रकाश कुमार गुप्ता, मानस गोराई, तारा चंद शर्मा, राजेश कुमार, अभिजीत डे, नरेश राम, रोबिन्स कुमार, सुभाष मिश्रा, प्रभाकर तिवारी, आनन्द शर्मा, बसन्ती गोप, पुजा कुमारी, शिवशंकर राम, राजू] प्रजापति, विकास कुमार, प्रदीप कुमार शंकर उजिया सहित इप्टा के सभी रंगकर्मी उपस्थित थे।
सबकी खबर तुमको , अपनी खबर कुछ भी नही’
भारतीय जन नाट्य संघ, इप्टा कें राष्ट्रीय अध्यक्ष ए० के० हंगल साहब के निधन पर इप्टा चाईबासा शाखा ने एक सभा स्थानीय स्कॉट बालिका उच्च विद्यालय में आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। साथ ही दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शान्ति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई।
संरक्षक रतनलाल दोदराजका, अजय मित्रा, राजीव नयनम् एवं इप्टा के सभी सदस्यों ने उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। राष्ट्रीय अध्यक्ष ए० के० हंगल साहब के पिता हरिकिशन हंगल के इस सपूत का जन्म 01 फरवरी 1917 को सियालकोट में हुआ जिन्होने 50 वर्ष की उम्र में “तीसरी कसम” से अपना फिल्मी सफर आरम्भकर बावर्ची, शोले, अभिमान, नमक हराम, शौकीन, आँधी, अर्जुन, तपस्या सहित 250 से अधिक यादगार फिल्म देने वाले हंगल साहब, 26 अगस्त 2012 को सुबह लगभग 9.00 बजे हमें छोड़ गए। हंगल जी को नाटक का शौक विरासत में मिला। बचपन पेशावर में बीता। अंतिम फिल्म ”पहेली“ व 2012 में रविन्द्र गौतम निर्देशित ”मधुबाला“ सीरियल रही। फिल्म ”शोले“ में रहीम चाचा का यह कथन इतना सन्नाटा क्यों है भाई ... को भुलाया नहीं जा सकता।
ख्याति प्राप्त रंगकर्मी व अभिनेता जो भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा कें राष्ट्रीय अघ्यक्ष थे, जिन्हें वर्ष 2006 को भारत सरकार की ओर से पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। " मैंने अपने लिए नहीं कमाया", "सारा जीवन समाज के लिए है" जैसे विचार रखने वाले ए० के० हंगल साहब की कमी इप्टा कर्मियों को खलती रहेगी। इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम के अवसर पर इप्टा के संजय चौधरी, कैशर परवेज, कृष्ण कुमार जयसवाल, शीतल बागे, रवि वर्मा, प्रकाश कुमार गुप्ता, मानस गोराई, तारा चंद शर्मा, राजेश कुमार, अभिजीत डे, नरेश राम, रोबिन्स कुमार, सुभाष मिश्रा, प्रभाकर तिवारी, आनन्द शर्मा, बसन्ती गोप, पुजा कुमारी, शिवशंकर राम, राजू] प्रजापति, विकास कुमार, प्रदीप कुमार शंकर उजिया सहित इप्टा के सभी रंगकर्मी उपस्थित थे।
No comments:
Post a Comment