- सुरेन्द्र रघुवंशी
अशोकनगर म.प्र.- महान क्रन्तिकारी कवि कबीर की जयंती के अवसर पर जनवादी।लेखक संघ इकाई अशोकनगर ने सुरेन्द्र रघुवंशी के आवास पर " समकालीन विद्रूपताओं में कबीर एक समाधान कारक कवि" विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया।
प्रमुख समकालीन कवि, और रंगकर्मी हरिओम राजोरिया ने कहा कि कबीर पूर्व मध्य काल की उस धारा के कवि हैं जो श्रमशील समाज से आये और अपनी निडरता और प्रखरता से उस समय के अग्रगण्य कवि के रूप में स्थापित हुए और आज भी समयावधि के कालखण्ड को पार करते हुए उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि अपने समकाल में थे। कवि और समाज सुधारक के तौर पर उन्होंने जनचेतना का प्रसार किया ।
प्रमुख समकालीन कवि और जनवादी लेखक संघ के प्रांतीय संयुक्त सचिव सुरेन्द्र रघुवंशी ने कबीर पर अपने वक्तव्य में कहा कि कबीर ने आजीवन अपने समय में पाखंड , धार्मिक कट्टरता और अन्याय के ख़िलाफ़ निर्भीक होकर आवाज़ उठाई और व्यवस्था को न्याय की स्थापना के लिए ललकारा। आज भी लोगों को अपने जनाधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा देने वाला कबीर से बड़ा कोई तेज धार वाला कोई दूसरा कवि हमारे पास नहीं है।कबीर पाखण्ड, धार्मिक कट्टरता, शोषण और विभाजन के ख़िलाफ़ मनुष्यता के आवाहन के एक क्रन्तिकारी कवि हैं। कबीर आज और भी ज्यादा प्रासंगिक हैं और समकालीन सामाजिक , राजनैतिक विद्रूपताओं में वे एक समाधानकारक कवि हैं।
प्रमुख समकालीन चित्रकार और रंगकर्मी पंकज दीक्षित ने कबीर को कालजयी ,जनवादी प्रगतिशील और वैज्ञानिक मानवीय मूल्यों के लिए लड़ने वाला प्रमुख क्रन्तिकारी कवि बताते हुए आज भी उनसे प्रेरणा लेने की बात पर विशेष बल दिया।उन्होंने कहा कि कबीर अन्याय और शोषण सहित पाखंड के ख़िलाफ़ समाज और जन को लड़ते रहने की प्रेरणा देते हैं।
युवा कवि संजय माथुर ने कबीर के पदों का पाठ किया । पाठ के बाद कबीर के पदों पर सविस्तार बात हुई।कबीर की सांगीतिक रागात्मकता सहित लोक जीवन में उनकी गहरी पैठ पर भी सविस्तार चर्चा हुई। तथा समकालीन समाज में जन चेतना के विस्तार हेतु कबीर के पुनर्पाठ की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया।
इस विचार गोष्ठी में कबीर के विषय में संजय माथुर, आदित्य निर्मलकर और जलेस के साथी सावन बैरागी, श्याम शाक्य,नीलेश सेठी, रीना सेठी, सुखबीर केवट, गजेन्द्र नामदेव, अतुल बोहरे, , कमल सिंह ने भीअपनी विचार व्यक्त किए। साथ ही राजपाल और रवीन्द्र ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई।
इस विचारगोष्ठी में सभी सहभागी साथियों और लेखकों ने कबीर के मार्ग पर चलते हुए जनवादी , प्रगतिशील मूल्यों की की रक्षा के लिए अपनी बचनबद्धता दोहराई।
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