Tuesday, April 2, 2013

'जूते का अविष्कार', 'डाकबाबू का पार्सल' और 'विटृठला'



मणिमय मुख़र्जी


इप्टा भिलाई ने मार्च में तीन महत्वपूर्ण आयोजन किये : 20 मार्च विश्व बाल एवं तरुण रंगमंच दिवस पर बच्चो का नाटक ,23 मार्च शहादत दिवस पर विचार गोष्ठी  एवं 27 मार्च -विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में 24 मार्च को दो नाटको का प्रदर्शन, क्योकि 27 को होली थी ।

'जूते का अविष्कार' का प्रभावी मंचन 
20 मार्च को लिटिल इप्टा के रंगकर्मियों ने विश्व बाल एवं तरुण रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में प्रसिद्ध लोक कथा ''जूते का अविष्कार '' का मंचन नीशू पाण्डे के निर्देशन में प्रस्तुत किया। नेहरु हाउस से.- 1 भिलाई के मुक्ताकाशी रंगमंच में उपस्थित दर्शको की अच्छी खासी संख्या ने मुक्त कंठ से बच्चो की प्रस्तुति की सराहना की । 

नाटक में राजा के चरित्र में चित्रांश श्रीवास्तव एवं रानी आरती ने अपनी अदभुत अभिनय-क्षमता का प्रदर्शन कर नाटक को और अधिक मनोरंजक बनाया। अन्य पात्रो में निकिता , अंकित , शैलेन्द्र , डेनिअल , रवि, बिट्टू , दीपेश , आशीष, मोना, श्रुति, विशाखा, नुपुर, अदिता, अंकिता, संगीता, अनीश, अन्नू आदि थे। नाटक के प्रारंभ में संस्था के रणदीप अधिकारी ने विश्व बाल एवं तरुण रंगमंच दिवस`में जारी मिखाइल मोरपुर्गो का संदेश का वाचन किया। उक्त दिवस पर बड़ी मात्रा में बच्चो ने रंगमंच से जुड़ने की अपनी तीव्र लालसा दिखाई जो निश्चय ही बहुत आशाजनक है ,जरूरत है उनकी इस इच्छा और लालसा को सही ढंग से संजोकर सकारात्मक और प्रगतिशील कला कार्यो में लगाया जाये ।


शहादत दिवस पर विचार गोष्ठी 
23 मार्च शहीदेआजम भगत सिंह ,राजगुरु ,सुखदेव की शहादत को याद करने इप्टा भिलाई ने एक विचार गोष्ठी का आयोजन नेहरु हाउस में किया। गोष्ठी का विषय ''आज का समय और भगत सिंह ''था । गोष्ठी में भिलाई की कई रंग संस्थाओ के युवा रंगकर्मियों ने भागीदारी की। 

मुख्य अतिथि एवं वक्ता इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री सुभाष मिश्र थे, जिन्होंने भगत सिंह के विचारो को बहुत ही रोचक और सरल ढंग से आज के सन्दर्भ से जोड़ते हुये युवाओ को अध्ययन करने और साहित्य पढने की भगत सिंह की लालसा के बारे में बताते हुये कहा की जेल में होने के वावजूद अपने मित्र को इंग्लैंड से पुस्तक भेजने हेतु पत्र लिखा करते थे। आज जब हम आजाद है सारी सुबिधाये है ,एक क्लिक में कुछ भी इंटरनेट पर देख सकते है फिर भी आज के युवा में अध्ययन के प्रति रूचि कम होती नजर आती है। उन्होंने युवाओ को उन्नत तकनीको का भरपूर उपयोग अपनी सकारात्मक सृजनशीलता को बढ़ाने और देश के विकास में लगाने का आव्हान किया .सुभाष जी ने कई संदर्भो में भगत सिंह द्वारा लिखे गये पत्रों का भी जिक्र किया । 

उक्त अवसर पर अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध कथाकार श्री लोकबाबू ,विशेष अतिथि प्रो. जयप्रकाश ने भी अपने उदगार व्यक्त किये। अतिथियों का स्वागत संस्था की अध्यक्षा श्रीमती सुचिता मुख़र्जी एवं सचिव नीशू पाण्डे ने किया। संचालन इप्टा के राष्ट्रीय सहसचिव राजेश श्रीवास्तव एवं आभार प्रदर्शन मणिमय मुख़र्जी ने किया। गोष्ठी के अंत में मुट्ठी संस्था के रंगकर्मियों ने गुलाम हेदर के निर्देशन में भगत सिंह नाटक के कुछ अंशो का पाठ किया .

विश्व रंगमंच दिवस में दो नाटको का मंचन
24 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में नेहरु हाउस के मुक्ताकाशी रंगमंच में दो नाटको का प्रदर्शन किया गया। पहला नाटक इप्टा भिलाई की प्रस्तुति द्रोण वीर कोहली की कहानी पर आधरित 'डाकबाबू का पार्सल' था, जिसे लिखा और निर्देशित किया अशफाक खान ने। यह नाटक ग्रामीण युवकों का शहर और शहरी युवको का विदेश पलायन पर चिंता और प्रश्न खड़ा करता है।  

नाटक में रणदीप अधिकारी ,राजेश श्रीवास्तव ,मणिमय मुख़र्जी ,नीशू पाण्डे ,देवनारायण ,शैलेष कोडापे, जगन्नाथ ,राज ,गोविन्द ,भावना सिंह ,नीतू जैन ,सुचिता मुख़र्जी ,रोशन घडेकर ,किशोर, जागेश्वर ,चित्रांश डेनियल ,अनीष ,दीपेश ,अंकित ,पी ० वरुणा आदि ने अभिनय किया तथा भारत भूषण परगनिहा ,सुनील मिश्रा ,सुमय मुख़र्जी ने संगीत दिया। प्रकाश व्यवस्था शानिद अहमद ,अशफाक खान एवं विशेष सहयोग चारू श्रीवास्तव ,अजय शर्मा ,शिशिर श्रीवास्तव ने किया। नाटक की स्वाभाविक गति को दर्शको ने बहुत पसंद किया .

दूसरा नाटक के रूप में इप्टा की सहयोगी संस्था ''अंकुर ''ने विजय तेदुलकर के नाटक ''विट्ठ्ला ''का प्रदर्शन वल्देव सिंह पाटील के निर्देशन में किया।  नाटक में प्रेत बने वीर सिंह और विलास ने पूरे समय दर्शको को बांधे रखा। फेंटेसी में चलते इस नाटक ने भी दर्शकों का खूब मनोरजन किया। नाटक में सुलेमान खान ,महेश कुमार भारती ,सुमन ,एरिक ,जॉन ,अरविन्द ,राव आदि ने अपनी भूमिकाओ के साथ न्याय किया। कुल मिलाकर इप्टा भिलाई ने उक्त तीन कार्यक्रमों से न सिर्फ अपनी वल्कि भिलाई के रंगकर्म की भी सक्रियता बढाई .


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