प्रगतिशील लेखक संघ और भारतीय जन नाट्य संघ ( इप्टा ) की अशोकनगर इकाई ने अमर शहीद भगतसिंह ,सुखदेव और राजगुरू के शहादत दिवस २३ मार्च को एक महत्वपूर्ण वैचारिक आयोजन किया और शहर के लेखक , कलाकार , संस्कृतिकर्मियों और छात्रों ने अमर शहीदों को याद किया और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की |
कार्यक्रम की शुरूआत क्रांतिकारी गीतों के गायन के साथ इप्टा से जुड़े बच्चों के द्वारा की गयी | सिद्धार्थ शर्मा , आदित्य रूसिया और कबीर के निर्देशन में फैज़ अहमद फैज़ और साहिर लुधियानवी के गीतों के गायन के साथ इस वैचारिक आयोजन का आगाज़ हुआ | इसके पश्चात प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव संजय माथुर ने भगत सिंह के लेख - " विद्यार्थी और राजनीति " का वाचन किया |
गोष्ठी में बोलते हुए सुरेन्द्र रघुवंशी ने कहा - " आज भगतसिंह को और उनसे जुड़े प्रतीकों से मौजूदा व्यवस्था का परहेज चिंता का विषय है | जिस भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया उन जैसे राष्ट्रनायक के जन्म और शहीद दिवस सरकारों द्वारा क्यों नहीं मनाये जाते ?" इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष और कवि हरिओम राजरिया ने कहा कि - " भगतसिंह ने जाति और धर्म से अलग हटकर वर्गीय आधार राजनैतिक चेतना का प्रसार किया | उन्होंने शोषक और शोषित के बीच चल रहे संघर्ष को रेखांकित किया " |
गोष्ठी की अध्यक्षता जाने माने चित्रकार पंकज दीक्षित ने की उन्होंने कहा कि - " आज भगत सिंह की छवि एक वीर बालक की तरह बनाई जा रही है , जबकि वे एक क्रांतिकारी विचारक थे , भारत में युवाओं को हमेशा भगतसिंह के विचारों और साहित्य से दूर रखा गया है " | सत्र का संचालन अभिषेक अंशु ने किया | कार्यकृम के दरम्यान पंजाबी क्रन्तिकारी कवि अवतार सिंह ' पाश ' को भी याद किया गया | इस सत्र के बाद गौहर रज़ा की फिल्म - " इंक़लाब " का प्रदर्शन किया गया | हिन्दी में यह एकमात्र फिल्म है जो तटस्थ होकर भगतसिंह की सच्ची और विश्वसनीय छवि की निर्मिती करती है |
इस आयोजन में भगतसिंह को समजखने का एक अवसर शहर के कलाकारों , संस्कृतिकर्मियों और छात्रों को उपलब्ध करवाया | प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव संजय माथुर ने आमंत्रित जनों का आभार व्यक्त किया |
- सीमा राजोरिया , अध्यक्ष , इप्टा ,अशोकनगर
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