भिलाई इप्टा द्वारा आयोजित 18 वें बाल एवं तरुण नाट्य कार्यशाला का समापन 25मई 2014 को "जन संस्कृति दिवस" के रूप में नेहरू सांस्कृतिक भवन सेक्टर 1 में सम्पन्न हुआ। इप्टा भिलाई के इस प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन में 7वर्ष से 22 वर्ष आयु समूह के कुल 164 बच्चों/युवाओं ने भागीदारी की।
दर्शकों से ठसाठस भरे नेहरू सांस्कृतिक भवन के सभागार मे शिविर के समापन के अवसर पर 5 जनगीत, पर्यावरण,उच्च पदों पर बैठे लोगों की मूर्खता,मल्टीनेशनल कंपनियों से लघु/कुटीर उद्योग को खतरा,लालच, पारिवारिक रिश्तों इत्यादि विषयों पर आधारित नाटक "सपनो का डर" (नि.-निशू पाण्डे ),"कौओं की गिनती" (नि.-चारु श्रीवास्तव), "जूते और बौने" (नि.-जगनाथ साहू),"चुरकी और मुरकी" (नि.-नीतू जैन),"पा" (नि.-सुमय मुखर्जी)तथा रोशन घड़ेकर,रूचि गोखले,जगनाथ साहू,बी.किशोर,चारु श्रीवास्तव के निर्देशन में 5 नृत्य प्रस्तुत किये गये। इस शिविर की सबसे बड़ी विशेषता यही थी कि इसमें 5 में से 4 नाटक और 4 नृत्य इप्टा की कार्यशाला से प्रशिक्षित पुराने प्रशिक्षार्थियों चारु श्रीवास्तव,सुमय मुखर्जी,नीतू जैन,जगनाथ साहू,रूचि गोखले बी. किशोर ने तैयार किये।
5 मई से प्रारम्भ इस नाट्य शिविर में प्रतिदिन बच्चों को थियेटर गेम्स,इम्प्रोवाइजेशन( भाविक रूपड़ा,संदीप गोखले,राजेश श्रीवास्तव ) के जरिये नाटकों की समझ विकसित करने का प्रयास किया गया। बच्चों को योग(अरुण पंडा ) और चित्रकला (तृप्ति मित्रा ) का भी नियमित प्रशिक्षण दिया गया। वरिष्ठ साथियों मणिमय मुखर्जी,सुचिता मुखर्जी ने गायन की कक्षाओं में जनगीत तथा भारत भूषण परगनिहा ने छत्तीसगढ़ी सुआ,कर्मा,जस गीत,फ़ाग गीत भी तैयार किये। प्रसिद्द पंडवानी गायिका उषा बारले,गायक प्रभंजय चतुर्वेदी तथा भंडारा(महाराष्ट्र) के नाट्य निर्देशक रंगकर्मी मनोज दाढ़ी ने भी शिविर के दौरान बच्चों से अपने अनुभव बांटे।
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