आगरा: जन कवि मियां नजीर अकबरावादी के याद में उनकी मजार पर बसंत मेले का आयोजन किया, जिसमें नजीर की रचनाओं का गायन किया गया। इसके अलावा शहर में अन्य कार्यक्रम भी हुए।
ताजगंज स्थित नजीर की मजार पर मेले की शुरुआत विद्यार्थियों ने प्रभातफेरी निकाल कर किया। मजार पर चादरपोशी बज्म ए नजीर के अध्यक्ष उमर तैमूरी ने की। उन्होंने कहा कि नजीर हर मजहब के शायर थे। इप्टा के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्र रघुवंशी ने नजीर के आगरा से संबंध की चर्चा की। जवाहरलाल गुप्ता, ईश्वरदयाल, अनिल जैन, ब्रजमोहन अरोरा, आरिफ तैमूरी, अशोक दौहरे, अशोक वर्मा आदि ने नजीर के जीवन पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर नजीर की रचनाओं का पाठ किया। गजल गायक सुधीर नारायन ने उनकी लोकप्रिय रचना सुनाई-'सब ठाट धरा रह जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा'। सुबोध गोयल, डॉ.विजय शर्मा, प्रमोद सारस्वत, मनीष कुमार ने नजीर की रचनाएं सुनाईं। अंत में धन्यवाद ब्रजमोहन अरोरा ने दिया।
यादगार ए आगरा: मेवा कटरा स्थित हजरत मैकश के स्थान पर जश्न ए बसंत का आयोजन किया, जिसमें सूफी संगीत भी प्रस्तुत किया गया। इमरान ने अमीर खुसरो की कव्वाली पेश की। इप्टा के दिलीप रघुवंशी, अंकित शर्मा, विक्रम सिंह, अजय शर्मा, निर्मला सिंह, भगवान स्वरूप ने नजीर की कई रचनाओं को प्रस्तुत किया। शाहीद नदीम, सईद आदि ने रचनाएं सुनाई। संस्था के अध्यक्ष कलाम अहमद ने बसंत बहार लेख का वाचन किया। जितेंद्र रघुवंशी ने नजीर अकबरावादी को याद किया। संचालन विशाल रियाज ने किया।
ताजगंज स्थित नजीर की मजार पर मेले की शुरुआत विद्यार्थियों ने प्रभातफेरी निकाल कर किया। मजार पर चादरपोशी बज्म ए नजीर के अध्यक्ष उमर तैमूरी ने की। उन्होंने कहा कि नजीर हर मजहब के शायर थे। इप्टा के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्र रघुवंशी ने नजीर के आगरा से संबंध की चर्चा की। जवाहरलाल गुप्ता, ईश्वरदयाल, अनिल जैन, ब्रजमोहन अरोरा, आरिफ तैमूरी, अशोक दौहरे, अशोक वर्मा आदि ने नजीर के जीवन पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर नजीर की रचनाओं का पाठ किया। गजल गायक सुधीर नारायन ने उनकी लोकप्रिय रचना सुनाई-'सब ठाट धरा रह जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा'। सुबोध गोयल, डॉ.विजय शर्मा, प्रमोद सारस्वत, मनीष कुमार ने नजीर की रचनाएं सुनाईं। अंत में धन्यवाद ब्रजमोहन अरोरा ने दिया।
यादगार ए आगरा: मेवा कटरा स्थित हजरत मैकश के स्थान पर जश्न ए बसंत का आयोजन किया, जिसमें सूफी संगीत भी प्रस्तुत किया गया। इमरान ने अमीर खुसरो की कव्वाली पेश की। इप्टा के दिलीप रघुवंशी, अंकित शर्मा, विक्रम सिंह, अजय शर्मा, निर्मला सिंह, भगवान स्वरूप ने नजीर की कई रचनाओं को प्रस्तुत किया। शाहीद नदीम, सईद आदि ने रचनाएं सुनाई। संस्था के अध्यक्ष कलाम अहमद ने बसंत बहार लेख का वाचन किया। जितेंद्र रघुवंशी ने नजीर अकबरावादी को याद किया। संचालन विशाल रियाज ने किया।
साभार : दैनिक जागरण
AGRA: The city of the Taj Mahal woke up to a sunny Tuesday, heralding the onset of spring with Basant Panchmi. But Agra has other reasons to celebrate too - 100 years of Dayalbagh, a utopian spiritual commune of the Radhasoami faith, and the birthday of the 18th century people's poet mian Nazeer Akbarabadi who gave Agra its literary recognition along with Mirza Ghalib and Meer Taqi Meer.
Mian Nazir Akbarabadi, described as "people's poet in sharp contrast to Mirza Ghalib and Mir who were patronised by the elite, the sophisticated and cultured citizenry", said Jitendra Raghvanshi of the Indian People's Theatre Association.
The modest tomb of Nazir will be lit up as admirers will queue up to pay homage to the poet who sang of love and the life of the common man in Agra and gave the city its unique literary identity.
He wrote about ordinary things that touched the hearts of both Muslims and Hindus, like festivals, dance and theatre, bird fights and kite-flying. Nazir looked at the follies of the royalty with disdain but sang about the antics of Lord Krishna and poked fun at fundamentalists.
The staging of his "Agra Bazar" play made noted theatre personality Habib Tanvir famous. His poem "Sab thath pada rah jayega jab lad chalega banjara," is still popular in Agra.
Courtesy : The Times of India
AGRA: The city of the Taj Mahal woke up to a sunny Tuesday, heralding the onset of spring with Basant Panchmi. But Agra has other reasons to celebrate too - 100 years of Dayalbagh, a utopian spiritual commune of the Radhasoami faith, and the birthday of the 18th century people's poet mian Nazeer Akbarabadi who gave Agra its literary recognition along with Mirza Ghalib and Meer Taqi Meer.
Mian Nazir Akbarabadi, described as "people's poet in sharp contrast to Mirza Ghalib and Mir who were patronised by the elite, the sophisticated and cultured citizenry", said Jitendra Raghvanshi of the Indian People's Theatre Association.
The modest tomb of Nazir will be lit up as admirers will queue up to pay homage to the poet who sang of love and the life of the common man in Agra and gave the city its unique literary identity.
He wrote about ordinary things that touched the hearts of both Muslims and Hindus, like festivals, dance and theatre, bird fights and kite-flying. Nazir looked at the follies of the royalty with disdain but sang about the antics of Lord Krishna and poked fun at fundamentalists.
The staging of his "Agra Bazar" play made noted theatre personality Habib Tanvir famous. His poem "Sab thath pada rah jayega jab lad chalega banjara," is still popular in Agra.
Courtesy : The Times of India
No comments:
Post a Comment