आगरा में 19 जनवरी को रांगेय राघव स्मृति पर्व के रूप में गोवर्धन होटल के ओंकार हाल में ‘वर्ग चेतना के अनसुने स्वर’ विषय पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य रांगेय राघव के लेखन और उनकी प्रगतिशील विचार धारा पर चिंतन करना था। संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. प्रदीप सक्सेना पूर्व विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने शिरकत की।
प्रो. गोविंद रजनीश ने रांगेय राघव के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए अपने अनुभवों को साझा किया। जितेंद्र रघुवंशी ने इप्टा और रांगेय राघव के सहकर्म पर राजेंद्र रघुवंशी व कुमार जसूजा के संस्मरण पढ़े। दलित कवि मलखान सिंह ने अपनी कविताओं का पाठकर उन्हें रांगेय राघव की स्मृति को समर्पित किया। वहीं प्रो. प्रदीप सक्सेना ने उन के लेखन का मूल्याकंन करने की आवश्यकता जाहिर की। साथ ही उन्होंने अपने संभाषण में कहा कि रांगेय राघव ने जहां अपना जीवन बिताया, जिस कॉलेज में अध्ययन किया, आज उसी कॉलेज में उनके लेखन को छोड़िए, स्मृति में एक कार्यक्रम तक आयोजित नहीं किया गया। उन्होंने राम विलास शर्मा और रांगेय राघव के आपसी मतभेदों पर सवाल खड़े किये. हिंदी में नवजागरण के प्रश्न पर दोनों के मत अलग थे। उनका और उनके लेखन का मूल्यांकन नहीं हो पाया। आज यह जरूरी है कि हम दोनों के मतों का वैज्ञानिक और तर्कपूर्ण विश्लेषण करें न कि किसी अंधश्रद्धा का अनुसरण । यहीं किसी भी लेखक का सच्चा सम्मान है। रांगेय राघव को अभी तक यह सम्मान नहीं मिला है।
इस अवसर पर हुई चर्चा में प्रो.राजेंद्र कुमार,सोम ठाकुर,सरोज गौरिहार,शशि तिवारी,अर्जुन सवेदिया,खुशीराम शर्मा,मुकेश अग्रवाल तथा बाहर से आये लेखकों दामोदर,सुमित कुमार,दिलीप कनेरिया,शैलेन्द्र एवं संजीव माथुर ने भाग लिया .इप्टा के कलाकारों ने राघव जी की कविताओं की प्रस्तुति की . संगोष्ठी का संचालन डॉ.विजय शर्मा ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सूरज बड़त्या ने किया।
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