आगरा। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में परिचर्चा कार्यक्रम हुआ। इसमें शहर के उभरते हुए उपन्यासकार शक्ति प्रकाश के ‘हजारों चेहरे ऐसे’ उपन्यास पर चर्चा की। दिल्ली से आए वरिष्ठ व्यंगकार डॉ. प्रेम जनमेजय ने कहा कि रचनाकार बदलती व्यवस्था का संकेतक है। जहां बाजार स्वामी बन गया है और नारी वस्तु। वरिष्ठ कथाकार सूरज प्रकाश ने कहा कि उपन्यास में दमित इच्छाएं बेबाकी से प्रकाशित की गई हैं। केएमआई निदेशक प्रो. हरीमोहन शर्मा ने उपन्यास में आगरा के परिवेश के प्रस्तुतीकरण की सराहना की।
वरिष्ठ रंगकर्मी जितेंद्र रघुवंशी ने कहा कि स्त्री शिकार से शिकारी बनने की कोशिश करती है, लेकिन मर्दवादी वर्चस्व का शिकार बनना ही नायिका की नियति है। इप्टा के कलाकारों ने उपन्यास की कहानी पर नुक्कड़ नाटक किए। प्रो. जय सिंह नीरद, मिर्जा शमीम, नीतू दीक्षित, डॉ. विजय, मानसी, सूरज आदि रहे।
• अमर उजाला से साभार
वरिष्ठ रंगकर्मी जितेंद्र रघुवंशी ने कहा कि स्त्री शिकार से शिकारी बनने की कोशिश करती है, लेकिन मर्दवादी वर्चस्व का शिकार बनना ही नायिका की नियति है। इप्टा के कलाकारों ने उपन्यास की कहानी पर नुक्कड़ नाटक किए। प्रो. जय सिंह नीरद, मिर्जा शमीम, नीतू दीक्षित, डॉ. विजय, मानसी, सूरज आदि रहे।
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