Monday, June 1, 2015

भिलाई इप्टा द्वारा जितेंद्र रघुवंशी को समर्पित " जनसंस्कृति दिवस"

भिलाई इप्टा द्वारा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इप्टा के स्थापना दिवस " जनसंस्कृति " को काफी धूमधाम से मनाया गया । इस कार्यक्रम के मुख्यअतिथि भिलाई इस्पात संयंत्र के महा प्रबंधक श्री एच रायचौधरी थे। ज्ञातव्य है की भिलाई इप्टा ने इस वर्ष 5 मई से आयोजित "19 वीं बाल एवं तरुण नाट्य कार्यशाला" साथी जीतेन्द्र रघुवंशी को समर्पित की थी । इस कार्यशाला में 9 वर्ष से 25 वर्ष उम्र के कुल 150 बच्चों को प्रक्षिक्षण दिया गया । कार्यशाला का समापन 24 मई को नेहरू सांस्कृतिक भवन साथी सुभाष मिश्रा के मुख्य आतिथ्य  में संपन्न हुआ । इस अवसर पर  दो जनगीत ईश्वर अल्ला तेरे जहाँ में ( जावेद अख्तर) एवं हम वो दीपक हैं     ( कैफ़ी आज़मी ) तथा दो छत्तीसगढ़ी लोक गीत कोई लीला कोई लीला तथा झम झमा झम पानी गिरे से कार्यक्रम की शुरुआत हुई । शिविर में तैयार तीन नृत्य जंगल  सफारी,लावणी एवं छत्तीसगढ़ी नृत्य तथा भ्रूण हत्या पर नाटक "वेयर इस माई होम " (निर्देशक-नीतू जैन), जंगलों की अंधाधुंध कटाई पर " थोड़ा हमें भी जी   लेने दो" ( निर्देशक - विक्रम मिश्रा ) तथा किताबों की उपयोगिता बतलाता  नाटक " पुस्तक हंडी " ( निर्देशक-प्रखर सक्सेना ) के मंचन किये गए । 

जनसंस्कृति दिवस पर आयोजित रंगारंग कार्यक्रम की शुरुआत  शैलेन्द्र के "तू जिन्दा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर " जनगीत से हुई । शिविरार्थी बच्चों ने कुछ छत्तीसगढ़ी गीत भी प्रस्तुत किये । शिविर में रोशन घड़ेकर,रूचि गोखले,बी किशोर,चारु श्रीवास्तव,अर्चना ध्रुव द्वारा तैयार तीन नृत्य की प्रस्तुतु के साथ पानी की समस्या पर नाटक " उधार का पानी " ( निर्देशक - निशु पाण्डेय ), " आल इस वैल " ( निर्देशक - चारु श्रीवास्तव  एवं भीष्म साहनी की जन्म शताब्दी पर विशेष रूप से " कबीरा" ( निर्देशक - अनिल शर्मा ) के मंचन भी किये गए । 

पिछले 19 वर्षों से जारी इस नाट्य शिविर में इस वर्ष बच्चों को और बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के नाट्य विभाग के स्नातकोत्तर छात्र प्रखर सक्सेना ( भोपाल ) और अनिल शर्मा ( फरीदावाद ) को  विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था । थिएटर गेम्स में  संदीप गोखले और राजेश श्रीवास्तव ने योग मे  अरुण पंडा, जनगीत मे  मणिमय मुखर्जी,सुचिता मुखर्जी छत्तीसगरी गीतों में भारत भूषन परगनिहा तथा चित्रकला मे  तनुश्री सेनगुप्ता ने अपना योगदान दिया । इस वर्ष भी सारे नाटक बाल नाट्य शिविर से प्रशिक्षित शिवरार्थी बच्चों ने ही तैयार किये । मंच संचालन सुवास मुदुली,सोनाली चक्रवर्ती तथा शिविरार्थी बच्चों ने किया ।

जनसंस्कृति दिवस आयोजन के पहले नेहरू सांस्कृतिक भवन परिसर में प्रखर सक्सेना के निर्देशन में हरिशंकर परसाई के  व्यंग " भोलाराम का जीव " का नुक्कड़ प्रदर्शन भी किया गया । 
राजेश श्रीवास्तव  

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