इप्टा जम्मू कश्मीर इकाई ने 20 सितंबर 2016 को के.एल. सहगल सभागार में दो एकल प्रस्तुतियां दी।पहली प्रस्तुति गुलज़ार की "रावी पार"पर आधारित थी।
प्रस्तुति का कथानक बँटवारे के समय को दर्शाता है।सरदार दर्शन सिंह भी पाकिस्तान से विस्थापित हो कर अपनी पत्नी के साथ हिन्दोस्तान आ रहा है। दो जुड़वाँ बच्चे उस के साथ हैं ।एक बच्चे की मौत रास्ते में हो जाती है। जब गाडी रावी का पुल पार कर रही होती है, दर्शन सिंह मृत बच्चे को रावी में फेंक देता है। लेकिन बाद में उसे एहसास होता है कि मृत बच्चे के जगह उसने जीवित बच्चे को फैंक दिया है।
इस एकल की परिकल्पना एवं प्रस्तुति इप्टा के साथी दीपक विर्दी की थी। शाम की दूसरी प्रस्तुति डॉ.बलजीत रैना की कहानी " अजब देश की" पर आधारित थी। कहानी एक पात्र बेली राम के इर्द गिर्द घूमती है जिसे बार बार किसी न किसी वजह से धर्म परिवर्तन करना पड़ता है। अन्ततः वो सिख धर्मअपना लेता है। पर उसे उग्रवादी होने के शक में गिरफ्तार कर लिया जाता है। अदालत उसे निर्दोश मानती है और वो वापिस अपने गाँव जाने के लिए ट्रेन पकड़ता है पर रास्ते में ही दंगाई उसे उग्रवादि समझ कर ज़िंदा जला दिया जाता है। मनोज भट द्वारा इस नाटक को निर्देशित संजय ने किया था।
प्रस्तुति का कथानक बँटवारे के समय को दर्शाता है।सरदार दर्शन सिंह भी पाकिस्तान से विस्थापित हो कर अपनी पत्नी के साथ हिन्दोस्तान आ रहा है। दो जुड़वाँ बच्चे उस के साथ हैं ।एक बच्चे की मौत रास्ते में हो जाती है। जब गाडी रावी का पुल पार कर रही होती है, दर्शन सिंह मृत बच्चे को रावी में फेंक देता है। लेकिन बाद में उसे एहसास होता है कि मृत बच्चे के जगह उसने जीवित बच्चे को फैंक दिया है।
इस एकल की परिकल्पना एवं प्रस्तुति इप्टा के साथी दीपक विर्दी की थी। शाम की दूसरी प्रस्तुति डॉ.बलजीत रैना की कहानी " अजब देश की" पर आधारित थी। कहानी एक पात्र बेली राम के इर्द गिर्द घूमती है जिसे बार बार किसी न किसी वजह से धर्म परिवर्तन करना पड़ता है। अन्ततः वो सिख धर्मअपना लेता है। पर उसे उग्रवादी होने के शक में गिरफ्तार कर लिया जाता है। अदालत उसे निर्दोश मानती है और वो वापिस अपने गाँव जाने के लिए ट्रेन पकड़ता है पर रास्ते में ही दंगाई उसे उग्रवादि समझ कर ज़िंदा जला दिया जाता है। मनोज भट द्वारा इस नाटक को निर्देशित संजय ने किया था।
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