दो माह के अथक परश्रम के बाद विजय तेंदुलकर कृत नाटक 'कन्यादान' का मंचन 16 सितम्बर 2106 को आगरा के सूरसदन प्रेक्षागृह में हुआ. नाटक के चयन से लेकर उसके मंचन तक की प्रक्रिया के बीच कलाकार कई वैचारिक मतभेदों से गुज़रे. कई बार चर्चा इस मुक़ाम तक पहुँच जाती कि लगता इस स्क्रिप्ट को ड्रॉप कर के किसी और स्क्रिप्ट पर काम करते हैं. कुछ साथियों का सुझाव था की नाटक का अंत बदल दिया जाए लेकिन तब नाटककार के साथ न्याय ना होता. लम्बी कश्मकश के बाद ये तय हुआ की नाटक को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ उसकी मूल स्क्रिप्ट के साथ ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया जाए और सही ग़लत का निर्णय दर्शकों पर छोड़ दिया जाए. आख़िर सामाजिक मुद्दों का समाधान समाज के बीच से ही आना चाहिए. अन्य गम्भीर नाटकों के तरह ही ' कन्यादान' के साथ भी ये डर लगातार बना हुआ था कि नाटक बोझिल ना हो जाए.
मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के सहयोग से
रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान की
नाट्य प्रस्तुत 'कन्यादान'
बहरहाल, तमाम जटिलताएँ के साथ रिहर्सल चलता रहा. युवा साथी, मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय, भोपाल से स्नातक गरिमा मिश्रा ने निर्देशन की ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभाया.कम पात्रों वाले नाटक के चयन के समय ये विचार भी था कि अभिनेताओं को ख़ुद पर काम करने के लिए पर्याप्त समय मिले. कहना होगा कि बतौर अभिनेता गरिमा मिश्रा, प्रखर सिंह, रेनू मुस्कान, यश उप्रेती, शैलेंद्र यादव, रोहित राठोर ने दर्शकों को बांधे रखा.
नाट्य परिकल्पना व मंच परिकल्पना सारांश भट्ट की थी. सोचिए नाटक के मंचन के लिए पूर्व निर्धारित स्थान में 5 दिन पूर्व परिवर्तन हो जाए.. तब??? तब सारांश जैसे प्रशिक्षित कलाकार ही नैया पार लगा सकते हैं. मंच निर्माण में आकाश कुमार, रोहित राठोर, जितेंद्र चौहान, इमरान कुरेशी ने सहयोग किया.प्रकाश परिकल्पना व संचालन के लिए साथी भूषण शिम्पी हमारे साथ थे. भूषण मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हैं और वर्तमान में मुंबई में स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं.
संगीत संयोजन व संचालन हर्षिता मिश्रा एवं धीरज मिश्रा ने संभाला.पूर्व में रंगलोक द्वारा मंचित नाटकों के चित्रों की ख़ूबसूरत प्रदर्शनी आकृति सारस्वत, संस्कार जोशी और इशिता भटनागर ने लगाई. दीपक जैन, डॉ. विजय शर्मा व अमन मित्तल जैसे साथियों के सहयोग से यह मंचन सफल हो सका.
कार्यक्रम का संचालन संयोजक, डिम्पी मिश्रा ने किया. प्रस्तुति के समय आयकर आयुक्त आगरा श्री अमित सिंह, हिंदुस्तान कॉलेज आफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़ के निदेशक डॉ. नवीन गुप्ता, रंगलोक के संरक्षक डॉ. सुबोध दुबे, प्रख्यात कवयित्री डॉ. शशि तिवारी, वरिष्ठ रंग निर्देशक बसंत रावत, आदि गणमान्य दर्शक उपस्थित थे.
बहरहाल, तमाम जटिलताएँ के साथ रिहर्सल चलता रहा. युवा साथी, मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय, भोपाल से स्नातक गरिमा मिश्रा ने निर्देशन की ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभाया.कम पात्रों वाले नाटक के चयन के समय ये विचार भी था कि अभिनेताओं को ख़ुद पर काम करने के लिए पर्याप्त समय मिले. कहना होगा कि बतौर अभिनेता गरिमा मिश्रा, प्रखर सिंह, रेनू मुस्कान, यश उप्रेती, शैलेंद्र यादव, रोहित राठोर ने दर्शकों को बांधे रखा.
नाट्य परिकल्पना व मंच परिकल्पना सारांश भट्ट की थी. सोचिए नाटक के मंचन के लिए पूर्व निर्धारित स्थान में 5 दिन पूर्व परिवर्तन हो जाए.. तब??? तब सारांश जैसे प्रशिक्षित कलाकार ही नैया पार लगा सकते हैं. मंच निर्माण में आकाश कुमार, रोहित राठोर, जितेंद्र चौहान, इमरान कुरेशी ने सहयोग किया.प्रकाश परिकल्पना व संचालन के लिए साथी भूषण शिम्पी हमारे साथ थे. भूषण मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हैं और वर्तमान में मुंबई में स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं.
संगीत संयोजन व संचालन हर्षिता मिश्रा एवं धीरज मिश्रा ने संभाला.पूर्व में रंगलोक द्वारा मंचित नाटकों के चित्रों की ख़ूबसूरत प्रदर्शनी आकृति सारस्वत, संस्कार जोशी और इशिता भटनागर ने लगाई. दीपक जैन, डॉ. विजय शर्मा व अमन मित्तल जैसे साथियों के सहयोग से यह मंचन सफल हो सका.
कार्यक्रम का संचालन संयोजक, डिम्पी मिश्रा ने किया. प्रस्तुति के समय आयकर आयुक्त आगरा श्री अमित सिंह, हिंदुस्तान कॉलेज आफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़ के निदेशक डॉ. नवीन गुप्ता, रंगलोक के संरक्षक डॉ. सुबोध दुबे, प्रख्यात कवयित्री डॉ. शशि तिवारी, वरिष्ठ रंग निर्देशक बसंत रावत, आदि गणमान्य दर्शक उपस्थित थे.
No comments:
Post a Comment