"पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय राज्य का एकमात्र कला एवं शिल्प महाविद्यालय है और राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत का साक्षी है. कॉलेज के विद्यार्थियों के साथ हुए दुर्व्यवहार, उनको नुकसान पहुंचाने का कृत्य दुःखद और शर्मसार करने वाला है. हम पटना के कलाकार-रंगकर्मी-संस्कृतिकर्मी और 30 नाट्य संस्थाएं महामहिम राज्यपाल से माँग करते हैं कि पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय की गरिमा बचाने के लिए अविलम्ब हस्तक्षेप करें". पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय के विद्यार्थियों के 52 दिनों से चले आ रहे आंदोलन और उनकी माँगों के समर्थन में आयोजित "जनसंवाद यात्रा-सह-सांस्कृतिक प्रतिरोध मार्च" को सम्बोधित करते हुए बिहार इप्टा के महासचिव एवं वरिष्ठ रंगकर्मी तनवीर अख्तर ने यह बातें कहीं.
पटना की 30 नाट्य संस्थाओं ने 21 जून, 2016 को एन.आई.टी. मोड़ से "जनसंवाद यात्रा-सह-सांस्कृतिक प्रतिरोध मार्च"
निकाला और 'तू ज़िन्दा है.......', 'ये वक़्त की आवाज़ है.......', 'हमें ज़िन्दगी का वो गीत गाने नहीं देतें.....', 'वे सारे हमारी क़तारों में शामिल......' आदि गीत गाते व 'इंक़लाब ज़िंदाबाद', 'कलाकारों की एकजुटता ज़िंदाबाद', 'कला एवं शिल्प महाविद्यालय के छात्रों का आंदोलन ज़िन्दाबाद', आदि नारे लगाते हुए रंगकर्मियों-संस्कृति कर्मियों ने राजभवन की ओर कूच किया. कारगिल चौक (गांधी मैदान) के पास जिला प्रशासन ने राजभवन की ओर प्रतिरोध मार्च कर रहें रंगकर्मियों-संस्कृतिकर्मियों को रोक दिया. प्रशासन के द्वारा रोके जाने पर कलाकारों ने वहीं जनसभा की और आंदोलनरत विद्यार्थियों के समर्थन में राज्यपाल के नाम सम्बोधित 6 सूत्री माँग का ज्ञापन प्रशासन के प्रतिनिधि को सौपा. पटना की 30 नाट्य संस्थाओं ने राज्यपाल से माँग की कि
निकाला और 'तू ज़िन्दा है.......', 'ये वक़्त की आवाज़ है.......', 'हमें ज़िन्दगी का वो गीत गाने नहीं देतें.....', 'वे सारे हमारी क़तारों में शामिल......' आदि गीत गाते व 'इंक़लाब ज़िंदाबाद', 'कलाकारों की एकजुटता ज़िंदाबाद', 'कला एवं शिल्प महाविद्यालय के छात्रों का आंदोलन ज़िन्दाबाद', आदि नारे लगाते हुए रंगकर्मियों-संस्कृति
- पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय के विद्यार्थियों के आन्दोलन को अविलंब समाप्त कराते हुए सम्मानजनक समझौता सुनिश्चित किया जाय;
- पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय के निलबिंत विद्यार्थियों का निलंबन वापस लेते हुए उन्हें परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाय;
- विद्यार्थियों के बेखौफ परीक्षा में शामिल होना सुनिश्चित किया जाय;
- पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय में प्रभारी प्राचार्य के द्वारा विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार की घटना, छात्रों को प्रताड़ित किये जाने तथा कुलपति के अंगरक्षकों द्वारा की गई फायरिंग, आदि की घटनाओं की निष्पक्ष जाँच एक स्वतंत्र टीम से कराई जाय, जिसमें छात्र प्रतिनिधि भी हों और दोषियों की पहचान करते हुए उनके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाय;
- गिरफ्तार छात्रों के विरूद्ध मुकादमा वापस लेते हुए उनकी अविलंब रिहाई सुनिश्चित की जाय;
- बिहार और झारखण्ड के एकमात्र पटना कला एवं षिल्प महाविद्यालय की गरिमा और विरासत को ध्यान को रखते हुए महाविद्यालय में कला एवं शिल्प प्रक्षेत्र के विषेषज्ञ व अनुभवी प्राचार्य की नियुक्ति की जाय।
जनसभा को रविकांत, सनत कुमार आदि ने भी सम्बोधित किया. सांस्कृतिक प्रतिरोध मार्च में वरिष्ठ रंगकर्मी सुरेश कुमार
हज्जू, हसन इमाम, अजीत कुमार, रणधीर कुमार, मृत्युंजय शर्मा, सजीना राहत, बिज्येंद्र टांक, जितेंद्र कुमार चौरसिया, मिथिलेश सिंह, सुबन्ति बनर्जी, वीरचन्द्र, आदि शामिल हुए.
हज्जू, हसन इमाम, अजीत कुमार, रणधीर कुमार, मृत्युंजय शर्मा, सजीना राहत, बिज्येंद्र टांक, जितेंद्र कुमार चौरसिया, मिथिलेश सिंह, सुबन्ति बनर्जी, वीरचन्द्र, आदि शामिल हुए.
"जनसंवाद यात्रा-सह-सांस्कृतिक प्रतिरोध मार्च" का आयोजन अक्षरा आर्ट्स, अजीत गांगुली एक्टिंग इंस्ट्टीयुट, अनहद, अदब, बिहार आर्ट थियेटर, भंगिमा, डिवाईन, एच.एम.टी., जोगांजलि, हिरावल, इप्टा पटना, इप्टा पटना सिटी, कला जागरण केन्द्र, कोरस, लोक पंच, निर्माण कला मंच, नट मंडप, प्रवीण सांस्कृतिक मंच, प्रयास, प्रागंण, प्रेरणा, रंगमाटी, राग, रंगमार्च, रंगकर्म, रंगसृष्टि, सदा दानापुर, सुरागंन, सूत्रधार खगौल, विश्वा, विहान सांस्कृतिक मंच के संयुक्त तत्वावधान में किया गया.
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