कामरेड गीता महाजन आैर गोविंद पानसरे के साथ मंजुल भारद्वाज |
डॉ. मेघा पानसरे
सन 2005 में कोल्हापुर में एक कार्यशाला आयोजित की गयी जिसमें वाम आंदोलन के 50 लड़के और लडकियाँ ने सहभागिता की । इस कार्यशाला से पहली बार नाट्य निर्माण की एक नयी, एक अलग प्रक्रिया अनुभव करने को मिली। "थियेटर ऑफ़ रेलेवंस" नाट्य दर्शन के तत्वों के अंतर्गत नाट्य कार्यशाला का संचालन करने के लिए मंजुल भारद्वाज को आमंत्रित किया था। नाट्य कार्यशाला का विषय था “पथनाट्य” उसकी वैचारिक प्रतिबद्धता और चुनौतियां।
उसके बाद "लिंगचयन " इस विषय पर स्कूल के बच्चों के लिए नाट्य कार्यशाला आयोजित की । २००१ की जनगणना ने अनुसार कोल्हापुर जिले के पन्हाला तहसील में 0 ते 6 आयु के लड़के लडकियों का लिंग अनुपात धोखादायक था। इस जनसरोकारी विषय पर जनजागृती के अभियान में लिंगचयन पर पन्हाला तहसील के गाँव गाँव में पथनाट्य के सैकड़ों प्रयोग हुए। एक अत्यंत गंभीर ज्वलंत सामाजिक प्रश्न पर सामूहिक स्तर पर भीड़ने का ये प्रयत्न था। जिसका सफलतम परिणाम २०११ की जनगणना में दिखाई पड़ा किपन्हाला तहसील में लड़कियों की जन्म अनुपात दर बढ़ी ! लड़कियों का जन्म प्रमाण दर बढ़ाने में "थियेटर ऑफ़ रेलेवंस" के सांस्कृतिक आंदोलन का बहुत बड़ा योगदान है।
इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए २०१४ में कॉलेज और स्कूल के छात्रों के लिए पांच और सात दिवसीय आवासीय नाट्य कार्यशाला 'छेड़छाड़ क्यों ? इस मंच नाटक की प्रस्तुति के लिए आयोजित की । इस नाटक को दोनों समूहों ने भालजी पेंढारकर सांस्कृतिक केंद्र ,कोल्हापुर में प्रस्तुत किया । नव्हंबर 2014 में मंजुल भारद्वाज लिखित – निर्देशित 'गर्भ' नाटक की प्रस्तुति तैयार करने के लिए सात दिवसीय आवासीय नाट्य कार्यशाला हुई । 'गर्भ' नाटक की प्रस्तुति भी भालजी पेंढारकर सांस्कृतिक केंद्र में हुई। उसी समय भारतीय जन नाट्य संघ की (IPTA) कोल्हापुर शाखा की स्थापना करने का निर्णय हुआ। उसके बाद जयसिंहपूर में दिसम्बर 2014 में युवाओं के लिए 'राजनैतिक संवेदनशीलता' इस विषय पर नाट्य कार्यशाला हुई। इसमें ग्रामीण युवा-युवती सहभागी हुए थे।
पिछले 10 साल के सतत रंग अभियान और नाट्य कार्यशालाओं से मंच और पथनाट्य की उत्तम संहिताओं (स्क्रिप्ट) का लेखन और नाट्य प्रस्तुतियों का निर्माण हुआ। नाटक 'छेड़छाड़ क्यों?' की कार्यशाला में तैयार हुए कलाकारों ने कोल्हापुर परिसर के बीस महाविद्यालयों में इस नाटक के प्रयोग किये। हर प्रयोग के बाद लिंग भेद विषमता और महिलाओं पर अत्याचार इस ज्वलंत सामाजिक विषयों पर दर्शकों से विस्तृत चर्चा हुई। छेड़ छाड़ करने वालों और छेड़ छाड़ से पीड़ित ऐसे दोनो घटकों ने इस शोषण और दमनकारी हिंसक व्यवहार के गंभीर परिणाम को समझ लिया। इस नाटक के माध्यम से महिलाओं के ऊपर होने वाले अत्याचार के सवाल अजेंडे पर आये।
14 ते 18 अगस्त 2015 में इप्टा की तरफ से ' थियेटर ऑफ़ रेलेवंस 'नाट्य तत्वों पर नाट्यलेखन कार्यशाला आयोजित हुई । पूंजीवादी व्यवस्था की भूमंडलीकरण की नीति के वजह से होने वाले आर्थिक शोषण,दारिद्र्य, सांस्कृतिक आक्रमण,बढती हुई धर्मांधता और असहिष्णुता, अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का गला घोटना,वैचारिक विरोध के लिए अमानवीय हिंसा इस पार्श्व भूमि को ध्यान में रखते हुए नाट्य लेखन हुआ ।
इप्टा कोल्हापुर की टीम |
इस पांच दिवसीय नाट्य लेखन कार्यशाला में नाट्य लेखन के लिए मुलभूत विषयों को खोंगोला और तराशा गया मसलन सामजिक ,राजनैतिक , आर्थिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया का विश्लेषण , नाट्य शिल्प , नाट्य लेखन शिल्प ,मंच शिल्प , कथा , दृश्य , संवाद और दर्शक की दृष्टि उसके सरोकारों पर विस्तृत वैचारिक और व्यवहारिक अभ्यास हुआ. 21 वी सदी की परिस्थिति में शोषितों को मानवी इतिहास की शोषण परम्पराओं को खुला करके बताने का यह प्रयास हैं। इस नाटक से महाराष्ट्र की सामान्य जनता को शोषण विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रवृत्त किया जाएगा।
थियेटर केवल मनोरंजन नहीं हैं । बदलाव का माध्यम है। "थियेटर ऑफ़ रेलेवंस" ये भूमिका इप्टा की कला प्रतिबद्धता भूमिका से सुसंगत है। चैतन्य अभ्यास, प्रभावी संवाद प्रस्तुति करने के लिए आवाज का अभ्यास, दीर्घ कालीन दबी हुई और बंदी मानसिकता खोलकर व्यक्ति को खुलेपन से सांस लेने के लिये आसमान देना और नाटक के सामजिक आयाम पर विस्तृत चर्चा और भूमिका निश्चित करना इसके साथ नाट्यलेखन, निर्मिती और प्रदर्शन प्रक्रिया में सामुहिक चेतना देने वाला "थियेटर ऑफ़ रेलेवंस" नाट्य सिद्धांत का यह अनुभव मराठी रंगभूमि को समृद्ध करनेवाला हैं।
संपर्क : डॉ. मेघा पानसरे - 09822421806
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