भारतीय जन नाट्य संघ, अशोक नगर (मध्य प्रदेश) की सत्रहवीं नाट्य कार्यशाला का हुआ भव्य समापन
रंगकर्म और सांस्कृतिक क्षेत्र में 35 वर्षों से सक्रिय भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) अशोकनगर की सत्रहवीं बाल, किशोर एवं युवा नाट्य कार्यशाला का भव्य समापन समारोह 27 मई को संपन्न हुआ। 1 मई से 27 मई तक चली इस नाट्य कार्यशाला में 50 से ज़्यादा प्रतिभागियों ने भागीदारी की है और नाटक, नृत्य, जनगीत, क्राफ्ट, चित्रकला, लोक संगीत आदि अनेक कलारूपों का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रख्यात चित्रकार मुकेश बिजौले (उज्जैन) और कवयित्री आरती (भोपाल) ने किया। बता दें कि आरती "समय के साखी" पत्रिका की संपादक हैं। इस पत्रिका के कविता विशेषांक का विमोचन अनौपचारिक उद्घाटन के बाद कवि,लेखक और संपादक निरंजन श्रोत्रिय और मंच पर उपस्थित अतिथियों ने किया । इस विशेषांक में "2000 के बाद की युवा कविता" में अशोकनगर इप्टा के युवा कवि अभिषेक 'अंशु' और अरबाज खान की कविताएं भी प्रकाशित हुई हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत जन भावनाओं को प्रतिबिंबित करने वाले जनगीतों से हुई। इन गीतों में हरिओम राजोरिया द्वारा लिखित "पढ़ के हम तो इंकलाब लायेंगे" और आनंदमोहन द्वारा लिखित "ये फैसले का वक्त है" का सामूहिक गायन हुआ।
समापन समारोह में इस बार दो नाटकों का प्रदर्शन किया गया। पहला नाटक हैदराबाद से आये युवा रंगकर्मी रवि कुमार के निर्देशन में तैयार "हट्टमाला के उस पार" का मंचन हुआ। यह नाटक बांग्ला के ख्यात लेखक बादल सरकार ने लिखा है और इस नाटक का हिन्दी भावानुवाद अभिषेक गोस्वामी ने किया है। यह नाटक गैर-बराबरी पर खड़ी पूंजीवादी व्यवस्था के दोषों को उजागर करते हुए साम्यवादी सामाजिक व्यवस्था को स्थापित करने का संदेश देता है। इस नाटक में एक ऐसे गांव का ज़िक्र है जहां ना तो पैसों की अवधारणा है और ना ही संपत्ति संग्रह करने का कोई चलन। यह समाज पारस्परिक सहयोग से कार्य करता है। परिणामवश एक ऐसे समाज का निर्माण होता है जहां हत्या, लूटपाट, झगड़े जैसी विसंगतियां पहुंच ही नहीं पाई हैं। हट्टमाला से आए दो चोर इस दुनिया के साथ सामंजस्य बिठाने का संघर्ष करते हैं। वो विश्वास नहीं कर पाते कि ऐसी दुनिया हो भी कैसे सकती है जहां धन और पैसा का चलन नहीं और जहां लोगों ने जेलखाना, पुलिस स्टेशन जैसे शब्द सुने तक नहीं। दोनों चोर अपने पुराने चोरी- चपाटी वाले जीवन के अनुभवों के अनुसार ही यहां भी चोरी करने का प्रयत्न करते हैं। नाटक उनके इसी नए समाज में होने वाले संघर्ष के बारे में है। यह नाटक एक नई और अनूठी दुनिया की संकल्पना करता है। आमजन का प्रतिनिधित्व करने वाला "कोरस" भी इसी विचार को दृढ़ता से स्थापित करने में सहयोग करता है। हालांकि ऐसे समाज की परिकल्पना करना आज के समय में बेहद आदर्शवादी लगता है, परंतु यह नाटक एक उम्मीद छोड़ जाता है कि अगर समाज समग्र रूप से एक हो जाए तो हम विसंगतियों का उन्मूलन ज़रूर कर सकते हैं। एक स्वस्थ समाज वर्षों से चोरी के सिद्धांत में पारंगत लोगों को भी बदलने तथा उनके लिए समाज में जगह बनाकर उचित मार्ग पर लाने का माद्दा रखता है।
दूसरा नाटक इप्टा अशोकनगर के साथियों के संयुक्त प्रयास से निर्देशित "ये दुनिया रंगीन" (लेखक : सफदर हाशमी) में छोटी उम्र के अनेक अभिनेताओं ने अभिनय किया। इस नाटक का संगीत अशोकनगर के युवा रंगकर्मी हर्ष चौबे ने तैयार किया है। यह नाटक एकदम नए बच्चों को लेकर तैयार किया गया है। नाटक पूरी दुनिया में फैले हुए रंगों की विविधता और इसे बचाये रखने की बात करता है। विविध रंगों ने ही इस दुनिया को आशा, उम्मीद और जोश से परिपूर्ण बनाया है। यदि रंग न हों तो पूरी दुनिया नाउम्मीदी, निराशा से लबालब होकर बेरंगी हो जाएगी। इस नाटक की साधारणता और वैज्ञानिकता इसे रोचक और असाधारण बनाती है। नाटक में बच्चे अनेकता में एकता की बात करते हैं और संदेश देते हैं कि दुनिया में अगर ये रंग नहीं रहे तो ये दुनिया अपनी पहचान खो देगी। नाटक संगीत प्रधान है और इस नाटक में रंगों के गीत हैं और हर पात्र नाच और गाकर अपनी बात करता है। छोटे बच्चे रंगों की जरूरत को नाचकर , गाकर बड़ी खूबसूरती से व्यक्त करते हैं इस नाटक में विभिन्न रंगों के माध्यम से दुनिया को रंगीन दिखाकर यह संदेश दिया गया है कि जिस तरह कई रंगों से मिलकर एक सुंदर सतरंगी इंद्रधनुष बनता है उसी तरह विभिन्न देश, धर्म, संप्रदाय, जाति, भाषा, संस्कृति, रहन-सहन, रीति-रिवाज, आचार-विचार जैसी विविधताओं से एक सुंदर और रंगीन दुनिया बनती है। इसी अनेकता में एकता से बनी दुनिया खुशहाल, रंगीन और खूबसूरत होती है।
नाटकों के अलावा "बधाई" लोकनृत्य की प्रस्तुति हुई। इस सामूहिक नृत्य का निर्देशन अशोकनगर इप्टा की युवा रंगकर्मी दीपिका शर्मा ने किया है।
इस अवसर पर बच्चों की रचनात्मकता को रेखांकित करने वाली रंग गतिविधियों तथा कलाकृतियों की फ़ोटो प्रदर्शनी भी पंकज दीक्षित के निर्देशन में लगाई गई।
इप्टा अशोकनगर की अध्यक्ष सीमा राजोरिया ने बताया कि इप्टा अशोकनगर ने बच्चों के थिएटर पर पिछले वर्षों में 16 नाट्य कार्यशालाएं की हैं और बच्चों, किशोरों और युवाओं की सांस्कृतिक अभिरुचियों को परिष्कृत में मदद की। वहीं इप्टा अशोकनगर के सचिव अभिषेक अंशु ने कहा कि इप्टा ने अपनी सक्रियता से राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान रेखांकित की है और अनेक अभिनेता, गायक, चित्रकार, संगीतकार, निर्देशक और लेखक तैयार किए हैं।
इस सांस्कृतिक और रचनात्मक कार्यक्रम में शहर भर के आम जन, रंगकर्मी, कलाकार, लेखक, कवि, छात्र आदि की सक्रिय उपस्थिति रही।
रिपोर्ट: इप्टा, अशोक नगर
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