इप्टा प्लैटिनम
जुबली कार्यक्रम के तहत के त्याग, प्रेम,
सहिष्णुता, भाईचारा और बंधुत्व के लिए प्रेम
राग.....रंगभूमि नाट्य समारोह 12 अप्रैल से प्रेमचंद रंगशाला परिसर में प्रारंभ होगा। भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा), पटना और प्रेरणा (जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा) के संयुक्त तत्वावधान में पटना, रायपुर (छत्तीसगढ़) एवं मधुबनी की रंग
संस्थाएँ 11 नाटकों, जनवादी गीतों और कविताओं की प्रस्तुति करेंगी। वर्तमान सामाजिक-सांस्कृतिक
चुनौतियों के दरपेश जनसंवाद का आयोजन किया जायेगा, जिसे वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो० डेजी नारायण, प्रसिद्ध पत्रकार नासिरूद्दीन, वरीय चिकित्सक डाॅ० सत्यजीत और रंगकर्मी हसन
इमाम उपस्थित दर्शकों से संवाद करेंगे।
प्रेमचंद
रंगशाला परिसर में अस्थाई तौर पर निर्मित कविवर कन्हैया रंगभूमि पर 12 अप्रैल को सफदर हाशमी के 64वें जन्मदिवस के अवसर पर उन्हें याद करते हुए
राजनन्दन सिंह के जो
गिरा से रंगभूमि नाट्य समारोह से शुरूआत होगी। वरिष्ठ संगीतकार
सीताराम सिंह कैफी आजमी की नज़्म ‘सोमनाथ’
का गायन करेंगे।
पटना इप्टा द्वारा समरेश बसु की कहानी पर आधारित एवं तनवीर अख्तर
निर्देशित नाटक ‘ख़ुदा हाफ़िज़’ की प्रस्तुति में होगी। प्रेरणा के द्वारा हसन इमाम लिखित एवं निर्देशित नाटक ‘खोजत भये अधेड़’
का मंचन किया
जायेगा। नव सांस्कृतिक विहान के कलाकारों के द्वारा जनगीतों की प्रस्तुति होगी और
द आर्ट मेकर के कलाकार जनम दिल्ली के नाटक ‘राजा का बाजा’
की प्रस्तुति
करेंगे। कोरस,
पटना के द्वारा
समता राय लिखित एवं निर्देशित नाटक ‘मन की बात’
प्रस्तुत किया
जाएगा।
13
अप्रैल को
प्रसिद्ध अभिनेता बलराज साहनी के 45वें निधन दिवस के अवसर पर प्रेरणा द्वारा हसन इमाम के नाटक ‘पोल खुला पोर पोर’ कर प्रस्तुति की जायेगी। धमार फाउण्डेशन के
कलाकार रूबी खातुन निर्देशित नाटक ‘हमें बोलने दो’
और द स्ट्रगलर्स द्वारा राहुल कुमार रवि के निर्देशन में ‘सोल्ड’
का मंचन होगा।
मो0
जानी के
निर्देशन में नाद, पटना के कलाकार ‘जनतागिरी’ नाटक प्रस्तुत करेंगे।
14
अप्रैल को राहुल
सांस्कृत्यायन के 55वें निधन दिवस एवं बाबा साहब भीम अंबेदकर के 127वें जन्मदिवस के अवसर पर रायपुर (छत्तीगढ़)
इप्टा के कलाकार गम्मत शैली में ‘टैच बेचैया’ नाटक की प्रस्तुति निसार अली के निर्देशन में करेंगे। मधुबनी इप्टा के द्वारा वागीश झा के व्यंग्य नाटक ‘महाभारत एक्सटेंषन’ की प्रस्तुति की जायेगी। कार्यक्रम का समापन
पटना इप्टा के चर्चित नाटक ‘समरथ को नहिं
दोष गुसाईं’
के मंचन से
होगा।
आयोजन की
जानकारी देते हुए बिहार इप्टा के सचिव फीरोज़ अशरफ खाँ ने बताया है कि इप्टा की
कोशिश साम्प्रादायिक-फासीवादी ताक़तों से आगाह करने
की है और इन्हें शिकस्त देने के लिए आम जन को लामबंद करना है। दंगे की आग में
झुलसने वाला सबसे पहले इंसान होता है उसके बाद ही उसकी कोई धार्मिक, जातिय पहचान होती है। विगत 3 अप्रैल 2018 से पटना के विभिन्न मुहल्लों में सांस्कृतिक अभियान चलाने के बाद पटना इप्टा
का साझा आयोजन दरपेश है।
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