लखनऊ । नाटक "बापू ने कहा था" 19 जनवरी को भारतेन्दु नाट्य अकादमी में मंचित हुआ।नाटक गांधी की विचारधारा, उनके सत्य के प्रयोगों का व्यक्तिगत जीवन में एक प्रयोग है। तारकेश्वर पाण्डेय एक आम आदमी है जो दंगे की ज्वाला में अपने इकलौते बेटे सूरज को खो देता है। इसी हिंसक माहौल में उसकी मुलाकात गांधी से होती है। जो दंगा रोकने के लिए उपवास पर बैठे हैं। वो पीड़ा के असहनीय आवेश में गांधी को ललकारते हुए यह बताता है कि अहिंसा और सत्याग्रह की उनकी विचारधारा खोखली है। गांधी उसे समझाते हैं कि एक अनाथ मुसलमान बच्चे को गोद लेकर उसकी परवरिश करो। तुम्हारे दुःख, घृणा और विश्वास को दूर करने का एकमात्र यही रास्ता है।
तारकेश्वर गांधी की बात मानकर एक अनाथ मुसलमान बच्चे की परवरिश करता है। आफ़ताब नाम का यह बच्चा बड़ा होकर घृणा और द्वेष की आंधी का शिकार होता है। एक बार फिर गांधीवादी विचारधारा धार्मिक उन्माद के समक्ष दम तोड़ती हुई दिखाई देती है। आफ़ताब एक आतंकवादी संगठन से जुड़ जाता है। एक आतंकवादी घटना को अंजाम देने के बाद वो अन्दर तक तड़प् जाता है और इस बात का अहसास करता है कि बापू का रास्ता ही सही रास्ता है।
यह नाटक इस बात की पुष्टि करता है कि व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में दोनों में ही गांधीवादी विचारधारा ही सर्वश्रेष्ठ है। नाटक में मंच पर अभिनय करने वालों में आशीष गुप्ता - गांधी, शुभम दुबे - तारकेश्वर पाण्डे, गौरांशी श्रीवास्तव - सुमित्रा, अमन वर्मा - आफ़ताब आदि कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को झकझोर दिया।नाटक में संगीत परिकल्पना एवं संचालन बीएनए से प्रशिक्षण प्राप्त शिवा सक्सेना प्रकाश परिकल्पना व संचालन मनीष सैनी व प्रस्तुति सहयोग निशान्त गुप्ता का रहा। नाटक का निर्देशन प्रिवेन्द्र सिंह ने किया।
तारकेश्वर गांधी की बात मानकर एक अनाथ मुसलमान बच्चे की परवरिश करता है। आफ़ताब नाम का यह बच्चा बड़ा होकर घृणा और द्वेष की आंधी का शिकार होता है। एक बार फिर गांधीवादी विचारधारा धार्मिक उन्माद के समक्ष दम तोड़ती हुई दिखाई देती है। आफ़ताब एक आतंकवादी संगठन से जुड़ जाता है। एक आतंकवादी घटना को अंजाम देने के बाद वो अन्दर तक तड़प् जाता है और इस बात का अहसास करता है कि बापू का रास्ता ही सही रास्ता है।
यह नाटक इस बात की पुष्टि करता है कि व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में दोनों में ही गांधीवादी विचारधारा ही सर्वश्रेष्ठ है। नाटक में मंच पर अभिनय करने वालों में आशीष गुप्ता - गांधी, शुभम दुबे - तारकेश्वर पाण्डे, गौरांशी श्रीवास्तव - सुमित्रा, अमन वर्मा - आफ़ताब आदि कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को झकझोर दिया।नाटक में संगीत परिकल्पना एवं संचालन बीएनए से प्रशिक्षण प्राप्त शिवा सक्सेना प्रकाश परिकल्पना व संचालन मनीष सैनी व प्रस्तुति सहयोग निशान्त गुप्ता का रहा। नाटक का निर्देशन प्रिवेन्द्र सिंह ने किया।
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