पटना। नाट्य दल 'दस्तक' द्वारा तीन दिवसीय नाट्योत्सव "रंग-दस्तक -2017" का आयोजन 24 जनवरी से किया जा रहा है। इस उत्सव में दस्तक के तीन नाटकों का मंचन किया जाएगा। धूमिल की लंबी कविता पटकथा का मंचन प्रेमचंद रंगशाला, पटना में 24 जनवरी 2017 को संध्या 6:30 बजे होगा। भूख और किराएदार नामक नाटकों का मंचन क्रमशः 25 व 26 जनवरी 2017 को कालिदास रंगालय, पटना में संध्या 6:30 बजे से किया जाएगा।
पटकथा हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित लंबी कविताओं में से एक है जो भारतीय आम अवाम के सपने, देश की आज़ादी और आज़ादी के सपनों और उसके बिखराव की पड़ताल करती है। देश की आज़ादी से आम आवाम ने भी कुछ सपने पाल रखे थे किन्तु सच्चाई यह है उनके सपने पुरे से ज़्यादा अधूरे रह गए। अब हालत यह है कि अपनी ही चुनी सरकार कभी क्षेत्रीय हित, साम्प्रदायिकता, तो कभी धर्म, भाषा, सुरक्षा, तो कभी लुभावने जुमलों के नाम पर लोगों और उनके सपनों का दोहन कर रही है। इस कविता के माध्यम से धूमिल व्यवस्था के इसी शोषण चक्र को क्रूरतापूर्वक उजागर किया है और लोगो को नया सोचने, समझने तथा विचारयुक्त होकर सामाजिक विसंगतियो को दूर करने की प्रेरणा भी देते हैं। कहा जा सकता है कि पटकथा प्रजातंत्र के नाम पर खुली भिन्न – भिन्न प्रकार के बेवफाई की बेरहम दुकानों से मोहभंग और कुछ नया रचने के आह्वान की कविता है। यह कविता बेरहमी, बेदर्दी और बेबाकी से कई धाराओं और विचारधाराओं और उसके नाम के माला जाप करने वालों के चेहरे से नकाब हटाने का काम करती है; वहीं आम आदमी की अज्ञानता-युक्त शराफत और लाचारी भरी कायरता पर भी क्रूरता पूर्वक सवाल करती है।
किरायेदार फ़्योदोर दोस्तोव्येसकी की लंबी कहानी "रजत रातें" से प्रभावित नाटक है जो एक लड़का, एक लड़की और एक आदमी के माध्यम से प्रेम की संवेदनाओं सम्बन्धों की पड़ताल दुनियावी मान्यताओं से परे जाकर करता है। यहाँ प्रेम पाने, खोने, यथार्थवादी, आध्यात्मवादी मान्यताओं के परे जाकर एहसासों की बात करता है। यहाँ प्रेम एक मनःस्थिति है न कि खोना, पाना या हासिल करना।
नाटक भूख हाल ही की एक सच्ची घटना है जब एक महानगर में तीन बहनों ने अपने आपको घर के अंदर क़ैद कर लिया था और अपने आपको मजबूरन भूखों मरने के लिए छोड़ दिया था। इस क्रम में छोटी बहन की मौत हो गई और किसी प्रकार दो बहनों को ज़िंदा बचा लिया गया। इस पूरी घटना की पड़ताल करने पर कई पहलू निकलकर सामने आते हैं और हमें देश, समाज, सामाजिक - राजनैतिक और प्रशासनिक व्यवस्था समेत मानवता के क्रूरतम पक्ष से साक्षात्कार कराते हैं। एक ऐसे देश में जिसकी पहचान ही कृषि प्रधान देश के रूप में हो, वहां इंसानों का भूख से दम तोड़ देना एक भयानक घटना और क्रूरतम सच्चाई नहीं तो और क्या है?
सच्ची घटना पर आधारित इस नाटक का लेखन पुंज प्रकाश ने किया है। इस वृतचित्रात्मक नाटक में रेखा सिंह, अरुण कुमार, राहुल कुमार, सुजीत कुमार, मंज़र हुसैन, अमन कुमार, बादल कुमार आदि अभिनेता/अभिनेत्री काम कर रहे हैं।
नाट्य दल दस्तक के बारे में
रंगकर्मियों को सृजनात्मक, सकारात्मक माहौल एवं रंगप्रेमियों को सार्थक, सृजनात्मक, नवीन और उद्देश्यपूर्ण कलात्मक अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से “दस्तक” की स्थापना सन 2 दिसम्बर 2002 को पटना में हुई। दस्तक ने अब तक मेरे सपने वापस करो (संजय कुंदन की कहानी), गुजरात (गुजरात दंगे पर आधारित विभिन्न कवियों की कविताओं पर आधारित नाटक), करप्शन जिंदाबाद, हाय सपना रे (मेगुअल द सर्वानते के विश्वप्रसिद्ध उपन्यास Don Quixote पर आधारित नाटक), राम सजीवन की प्रेम कथा (उदय प्रकाश की कहानी), एक लड़की पांच दीवाने (हरिशंकर परसाई की कहानी), एक और दुर्घटना (दरियो फ़ो लिखित नाटक) आदि नाटकों का कुशलतापूर्वक मंचन किया है। दस्तक का उद्देश्य केवल नाटकों का मंचन करना ही नहीं बल्कि कलाकारों के शारीरिक, बौधिक व कलात्मक स्तर को परिष्कृत करना और नाट्यप्रेमियों के समक्ष समसामयिक, प्रायोगिक और सार्थक रचनाओं की नाट्य प्रस्तुति प्रस्तुत करना भी है।
पटकथा हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित लंबी कविताओं में से एक है जो भारतीय आम अवाम के सपने, देश की आज़ादी और आज़ादी के सपनों और उसके बिखराव की पड़ताल करती है। देश की आज़ादी से आम आवाम ने भी कुछ सपने पाल रखे थे किन्तु सच्चाई यह है उनके सपने पुरे से ज़्यादा अधूरे रह गए। अब हालत यह है कि अपनी ही चुनी सरकार कभी क्षेत्रीय हित, साम्प्रदायिकता, तो कभी धर्म, भाषा, सुरक्षा, तो कभी लुभावने जुमलों के नाम पर लोगों और उनके सपनों का दोहन कर रही है। इस कविता के माध्यम से धूमिल व्यवस्था के इसी शोषण चक्र को क्रूरतापूर्वक उजागर किया है और लोगो को नया सोचने, समझने तथा विचारयुक्त होकर सामाजिक विसंगतियो को दूर करने की प्रेरणा भी देते हैं। कहा जा सकता है कि पटकथा प्रजातंत्र के नाम पर खुली भिन्न – भिन्न प्रकार के बेवफाई की बेरहम दुकानों से मोहभंग और कुछ नया रचने के आह्वान की कविता है। यह कविता बेरहमी, बेदर्दी और बेबाकी से कई धाराओं और विचारधाराओं और उसके नाम के माला जाप करने वालों के चेहरे से नकाब हटाने का काम करती है; वहीं आम आदमी की अज्ञानता-युक्त शराफत और लाचारी भरी कायरता पर भी क्रूरता पूर्वक सवाल करती है।
किरायेदार फ़्योदोर दोस्तोव्येसकी की लंबी कहानी "रजत रातें" से प्रभावित नाटक है जो एक लड़का, एक लड़की और एक आदमी के माध्यम से प्रेम की संवेदनाओं सम्बन्धों की पड़ताल दुनियावी मान्यताओं से परे जाकर करता है। यहाँ प्रेम पाने, खोने, यथार्थवादी, आध्यात्मवादी मान्यताओं के परे जाकर एहसासों की बात करता है। यहाँ प्रेम एक मनःस्थिति है न कि खोना, पाना या हासिल करना।
नाटक भूख हाल ही की एक सच्ची घटना है जब एक महानगर में तीन बहनों ने अपने आपको घर के अंदर क़ैद कर लिया था और अपने आपको मजबूरन भूखों मरने के लिए छोड़ दिया था। इस क्रम में छोटी बहन की मौत हो गई और किसी प्रकार दो बहनों को ज़िंदा बचा लिया गया। इस पूरी घटना की पड़ताल करने पर कई पहलू निकलकर सामने आते हैं और हमें देश, समाज, सामाजिक - राजनैतिक और प्रशासनिक व्यवस्था समेत मानवता के क्रूरतम पक्ष से साक्षात्कार कराते हैं। एक ऐसे देश में जिसकी पहचान ही कृषि प्रधान देश के रूप में हो, वहां इंसानों का भूख से दम तोड़ देना एक भयानक घटना और क्रूरतम सच्चाई नहीं तो और क्या है?
सच्ची घटना पर आधारित इस नाटक का लेखन पुंज प्रकाश ने किया है। इस वृतचित्रात्मक नाटक में रेखा सिंह, अरुण कुमार, राहुल कुमार, सुजीत कुमार, मंज़र हुसैन, अमन कुमार, बादल कुमार आदि अभिनेता/अभिनेत्री काम कर रहे हैं।
नाट्य दल दस्तक के बारे में
रंगकर्मियों को सृजनात्मक, सकारात्मक माहौल एवं रंगप्रेमियों को सार्थक, सृजनात्मक, नवीन और उद्देश्यपूर्ण कलात्मक अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से “दस्तक” की स्थापना सन 2 दिसम्बर 2002 को पटना में हुई। दस्तक ने अब तक मेरे सपने वापस करो (संजय कुंदन की कहानी), गुजरात (गुजरात दंगे पर आधारित विभिन्न कवियों की कविताओं पर आधारित नाटक), करप्शन जिंदाबाद, हाय सपना रे (मेगुअल द सर्वानते के विश्वप्रसिद्ध उपन्यास Don Quixote पर आधारित नाटक), राम सजीवन की प्रेम कथा (उदय प्रकाश की कहानी), एक लड़की पांच दीवाने (हरिशंकर परसाई की कहानी), एक और दुर्घटना (दरियो फ़ो लिखित नाटक) आदि नाटकों का कुशलतापूर्वक मंचन किया है। दस्तक का उद्देश्य केवल नाटकों का मंचन करना ही नहीं बल्कि कलाकारों के शारीरिक, बौधिक व कलात्मक स्तर को परिष्कृत करना और नाट्यप्रेमियों के समक्ष समसामयिक, प्रायोगिक और सार्थक रचनाओं की नाट्य प्रस्तुति प्रस्तुत करना भी है।
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