आगरा। रोचक और संदेशपरक कार्यक्रमों के साथ 8 जून को स्थानीय सूर सदन प्रेक्षागृह में 39 वें लिटिल इप्टा ग्रीष्म शिविर का रंगारंग समापन समारोह आयोजित हुआ। इसका शीर्षक था - ‘‘ किताबें करती हैं बातें।’’ सफदर हाशमी लिखित ‘किताबें’ और प्रेम धवन के गीत ‘मिल के चलो’ के समवेत गायन से प्रस्तुतियों की शुरूआत हुई। शास्त्रीय नृत्य, कत्थक नृत्य, भाव नृत्य ‘आन मिलो’ ओर सूफी नृत्य प्रभावी थे। नन्हें-मुन्हों द्वारा प्रस्तुत ‘परियों की रानी’ तथा ‘रियलिटी शो लाइव’ ने दर्शकों की खूब वाहवाही बटोरी। इसमें लोकप्रिय गीतों के साथ रोजमर्रा की समस्याओं को पिरोया गया था।
ब्रज लोकनृत्यों ‘सट्टेबाजी में लगाय है बलमा आग’ और ‘तीतुर’ एवं गुजराती डांडिया ने सभी का मन मोह लिया। दुष्यंत कुमार की
कविता ‘तुमने
देखा’ का मंचन
झकझोरने वाला था। वहीं तुर्की लेखक अजीज नेसिन के व्यंग्य पर आधारित जितेन्द्र रघुवंशी
रचित नाटक ‘मेरा कसूर’ में जवाबदेही एक-दूसरे पर टालने की प्रवृत्ति पर चोट थी।
संगीत पक्ष डॉ. शशि तिवारी, महेन्द्र राही, सुनीता धाकड़, संजय वर्मा, राजू मास्टर ने संभाला। नृत्य-निर्देशिकायें
थीं ज्योति खंडेलवाल, अलका धाकड़, स्वर्णिमा रघुवंशी, रक्षा गोयल। नाट्य एवं भावाभिनय निर्देशन जुगल किशोर,
डॉ. विजय शर्मा, नीतू दीक्षित और मानस रघुवंशी ने किया।
इस अवसर पर अवध बिहार ट्रस्ट की ओर से शैलेन्द्र रघुवंशी स्मृति सम्मान डॉ. विजय
शर्मा को दिया गया। लिटिल इप्टा के संरक्षक सुरेश चंद्र गुप्ता, अध्यक्ष एम.एल. गुप्ता,
ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावत
के क्षेत्रीय प्रबंधक अशोक कुमार शुक्ला ने सभी प्रतिभागियों को डॉ. अचिन्त माथुर स्मृति
पुरस्कार प्रदान किया। शिविर में हिस्सा लेने वालों को हेमलता गोयल चित्रकला प्रोत्साहन
पुरस्कार व निर्देशकों को सत्यवती रावत स्मृति पुरस्कार दिये गये। बाबूलाल श्रीवास्तव
नृत्य पुरस्कार स्वर्णिमा रघुवंशी व रक्षा गोयल को, वीरेन्द्र सिंघल पुरस्कार निर्मल
सिंह को, अनिता
सिंघल पुरस्कार अलका धाकड़ को दिये गये। चित्तप्रसाद चित्रकला प्रतियोगिता के विभिन्न
वर्गों के एक दर्जन विजेताओं को भी इनाम मिले।
सांस्कृतिक संध्या का संचालन मानस रघुवंशी, रक्षा गोयल, नव्या अग्निहोत्री ने किया।
पार्श्व मंच संभालने वालों में पं. राजनारायण शर्मा, सह समन्वयक भावना रघुवंशी,
अशोक थापर,
सुनील वार्ष्णेय,
मुक्ति किंकर,
अमीर अहमद,
मिलिन्द नांदेड़कर,
कृष्णा शिशौदिया,
रत्तीलाल, रेनू गोयल और प्रमोद सारस्वत
प्रमुख थे। समन्वयन जितेन्द्र रघुवंशी ने व संयोजन सुबोध गोयल ने किया।
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