आगरा। ‘ब्रिटिश हुकूमत के फैसले तो अब इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं। न तो हममें इनको सुनने की ख्वाहिश बची है और न ही इनका इंतजार करने का सब्र’। लाहौर षड़यंत्र केस की सुनवाई के दौरान भगत सिंह का यह बयान शहीद-ए-आजम की जयंती के मौके पर इप्टा की ओर से पेश किए गए नाटक में दोहराया गया। भावपूर्ण नाट्य प्रस्तुति ने लोगों को गुलाम भारत की तस्वीर दिखा दी।
शुक्रवार को शहीद स्मारक पर भारतीय नाट्य संघ की ओर से नाटक पेश कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कलाकारों ने भगत सिंह के किरदार को जीवंत कर दिया। नाटक देखने आए दर्शकों ने भी हर दृश्य पर जमकर तालियां बजाई। पीयूष मिश्रा लिखित नाटक ‘गगन दमामा बाज्यों’ का समन्वयन दिलीप रघुवंशी और संयोजक डॉ. विजय शर्मा ने किया। शहीद भगत सिंह की अनेक भूमिकाओं को अर्जुन गिरी, मानव रघुवंशी, निर्मल सिंह, सूरज सिंह, मनीष कुमार, स्वीकृति सेठी, मोनिका जैन ने निभाया।
रघुवंशी स्कूल आफ एक्टिंग, टूंडला के छात्रों ने ‘सरफरोशी की तमन्ना’ गीत पेश कर लोगों का दिल जीत लिया। इस दौरान कलाकारों ने राजेंद्र रघुवंशी, शलभ श्रीराम और खेम सिंह नागर के सामयिक गीतों का गायन किया। ‘डूब गयी कीमत तेरे रुपैया की, हैं चोरन के सर्राटे मुश्किल है मेहनत करवैया की’। कार्यक्रम का शुभारंभ सरोज गौरिहार, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. अनुराग शुक्ला, सुबोध गोयल आदि ने क्रांतिकारियों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। जितेंद्र रघुवंशी, डॉ मनुकांत शास्त्री, जगदीश शर्मा, चंद्रमोहन पाराशर आदि ने शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी। इससे पूर्व कलाकारों ने नूरी दरवाजा स्थित शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर देश भक्ति गीत गाए। ‘फांसी का फंदा चूम कर मरना सिखा दिया, मरना सिखा दिया हमें जीना सिखा दिया’।
साभार : अमर उजाला
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