हरदा। अपने अंचल की पुरातन धरोहरों को सहेजने के लिए अब रंग मंच से जुड़े कलाकारों ने पहल की है। करीबी ग्राम उड़ा में स्थित पुरानी बावड़ी की सफाई के लिए इप्टा के कलाकार रविवार को हाथों में कुदाल, गेंती व फावड़ा और तगाड़ी लेकर नीचे उतरे। इसके पीछे कलाकारों की यह सोच थी कि हरदा शहर और आसपास की इस तरह की धरोहरों को संजोने के लिए स्थानीय स्तर पर जागरुकता लाकर औरों को भी प्रेरित किया जाए। इप्टा से जुड़े कलाकारों ने बताया कि विकास के नाम पर ये धरोहरें धीरे धीरे समाप्त कर दी गई। अब पुरानी बावड़ी व कुओं का आसपास के लोगों के द्वारा जीर्णोद्घार करने के बजाय कचरा घर के तौर पर उपयोग किया जाने लगा है।
इप्टा के कलाकारों का मानना था कि सामाजिक सरोकारों के जुड़े नाटक करने से या केवल जागरुकता अभियान चलाने से कुछ नहीं हो पा रहा है। इसके लिए आगे आकर श्रमदान की यह पहल स्थानीय लोगों के साथ मिलकर करने की जरुरत है। जिससे वे प्रेरित होकर अपनी धरोहरों को सहेजने एवं संरक्षित रखने का कार्य स्वप्रेरणा से कर सकें। श्रमदान में इप्टा के सुरेन्द्र चौहा, इरशाद खान, सुरेन्द्र राजपूत, संदीप, अमन बंसल, निकिता बंसल, मनोज विश्वकर्मा, अतुल जोशी, सुनीता जैन, शोभा बाजपेयी, मनोज जैन, संजय तेनगुरिया सहित अनेक ग्रामीण थे।
इप्टा अभिनय के जरिए समाज को जागरुक करने में लगा हुआ है। पुरानी धरोहरों को सहेजने के लिए जनता की भागीदारी भी जरुरी है। इसे देखते हुए रविवार को उड़ा में बावड़ी की सफाई की।
-संजय तेनगुरिया, संयोजक इप्टा हरदा
स्रोत : नई दुनिया
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