- उषा आठले
इप्टा रायगढ़ का उन्नीसवाँ राष्ट्रीय नाट्य समारोह पाँच विभिन्न रसास्वादों और विचारों-अनुभूतियों के नाटकों तथा चार लघु फिल्मों के प्रदर्शन के साथ दि. 26 से 30 नवम्बर तक सम्पन्न हुआ। नाट्योत्सव के पहले दिन सुबह सम्पन्न हुए एक समारोह में प्रसिद्ध अभिनेता एवं निर्देशक श्री जुगल किशोर, लखनऊ को चतुर्थ शरदचन्द्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान से नवाज़ा गया। इप्टा की राष्ट्रीय समिति के सचिव श्री राकेश एवं वेदा, वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रभात त्रिपाठी, इप्टा रायगढ़ के संरक्षक श्री मुमताज भारती की उपस्थिति में श्री जुगलकिशोर को रू. 21000 की राशि, सम्मान पत्र तथा शाल-श्रीफल प्रदान किया गया। इस अवसर श्री जुगल किशोर के नाटकों, फिल्मों एवं उपलब्धियों के छायाचित्रों एवं अखबारी कतरनों की प्रदर्शनी आयोजित की गई थी तथा अनादि आठले द्वारा दृश्य-श्रव्य प्रस्तुतीकरण भी किया गया था। इप्टा के अलावा लगभग पंद्रह सांस्कृतिक-सामाजिक संगठनों ने जुगल किशोर का शाल-श्रीफल से स्वागत-अभिनंदन किया। सम्मान कार्यक्रम का संचालन अजय आठले ने किया। श्री जुगल किशोर ने अपने उद्बोधन में अपने रंग-यात्रा के पड़ावों पर प्रकाश डाला।
इसी दिन शाम को जुगल किशोर द्वारा निर्देशित नाटक ‘ब्रह्म का स्वांग’ मंचित किया गया। इस अवसर पर इप्टा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष श्री मधुकर गोरख विशेष रूप से उपस्थित रहे, उन्होंने श्री जुगल किशोर को इप्टा रायगढ़ की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किया। इस नाटक में वर्णाधारित समाज-व्यवस्था के पाखंड और विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है। साथ ही तथाकथित उच्चवर्णीय लोगों की कथनी और करनी में अंतर को भी उजागर किया गया।
नाट्योत्सव के दूसरे दिन चेन्नई निवासी ओजस सु.वि. ने मणिपुर से सशस्त्र सेना विशेषाधिकार अधिनियम को हटाने की मांग को लेकर पिछले बारह वर्षों से अनशन कर रही इरोम शर्मिला चानू के संघर्ष को अपने सशक्त अभिनय और कथ्य से प्रस्तुत किया। ओजस की पैंतालिस मिनट की एकल प्रस्तुति ने दर्शकों को भीतर तक हिला दिया। नाट्य-प्रस्तुति से पहले फिल्म संस्थान पुणे के लक्ष्मण उतेकर निर्देशित लघु फिल्म ‘खोया’ का प्रदर्शन किया गया। यह फिल्म मुंबई के पाँच पृथक-पृथक किरदारों के इर्दगिर्द घूमती है तथा जिंदगी के संजीदा फलसफे को सीधे और सधे तरीके से पेश करती है। इंदौर की सूत्रधार संस्था से आए श्री सत्यनारायण व्यास ने ओजस को स्मृतिचिन्ह प्रदान किया।
तीसरे दिन फ्लेम पुणे के स्कूल आफ परफार्मिंग आर्ट्स द्वारा स्व. हरिशंकर परसाई की लघुकथा ‘दस दिन का अनशन’ पर आधारित नाटक ‘लड़ी नजरिया’ का मंचन हुआ। श्री प्रसाद वनारसे निर्देशित एवं श्री समीर डुबले के संगीत निर्देशन में खेले गए इस नाटक में एक सीधेसादे व्यक्ति का धूर्त धार्मिक और राजनीतिक शक्तियों के हाथों का खिलौना बन जाने की त्रासदी को तीखे कटाक्षों के माध्यम से व्यक्त किया गया। नाट्य विभाग के रंग-विद्यार्थियों की इस उर्जस्वित प्रस्तुति ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। नाट्य-मंचन से पहले फिल्म संस्थान पुणे की स्नातक दीप्ति खुराना निर्देशित लघु फिल्म ‘रिज़वान’ प्रदर्शित की गई। यह फिल्म कश्मीर के लोगों पर होने वाली फौजी ज़्यादतियों से उभरने वाली मार्मिक पीड़ा को व्यक्त करती है। दैनिक भास्कर के यूनिट एडिटर श्री अजय तिवारी एवं जेएसपीएल के वाइस प्रेसिडेंट श्री आर.एस.डबास द्वारा संयुक्त रूप से इप्टा के स्मृति चिन्ह से ‘लड़ी नजरिया’ के निर्देशक श्री प्रसाद वनारसे को सम्मानित किया गया।
चौथे दिन हम थियेटर ग्रुप भोपाल द्वारा श्री बालेन्द्र सिंह निर्देशित नाटक ‘लाला हरदौल’ की प्रस्तुति हुई। बुंदेलखंड के लोकनायक के जीवन पर आधारित इस नाटक में पारम्परिक बंुदेली लोकगीतों एवं लोकनृत्यों के प्रयोग ने दर्शकों को बुंदेलखंड की लोकसंस्कृति से रूबरू कराया। इस दिन लघु फिल्म ‘तत्पश्चात’ दिखाई गई। फिल्म संस्थान पुणे के तृतीय वर्ष के छात्र आदीश केलुस्कर निर्देशित इस फिल्म में बाल सुधार गृह में रखे किशोरों के प्रति वहाँ के कर्मचारियों-अधिकारियों के दोहरे रवैये को दिखाया गया है। रायगढ़ के बाल चिकित्सक एवं नाट्यप्रेमी डाॅ. रघुवर पटवा ने श्री बालेन्द्र सिंह को इप्टा का स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
पाँचवें एवं अंतिम दिन निर्माण कला मंच पटना का श्री संजय उपाध्याय निर्देशित नाटक ‘कम्पनी उस्ताद’ मंचित किया गया। बिहार के क्रांतिकारी कवि महेन्द्र मिश्र के व्यक्तित्व एवं रचनाओं पर केन्द्रित इस नाटक में भोजपुरी गीत-संगीत एवं संवादों की बेहतरीन लयकारी थी। सधे हुए अभिनय और सटीक प्रकाश-व्यवस्था ने नाटक को प्रभावशाली बना दिया। इप्टा रायगढ़ के संरक्षक श्री जी.एन.श्रीवास्तव ने श्री संजय उपाध्याय की अनुपस्थिति में प्रकाश परिकल्पक श्री कमल जैन को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। इस दिन फिल्म संस्थान पुणे के छात्र अभिलाष विजयन निर्देशित लघु फिल्म ‘द्वंद्व’ का प्रदर्शन किया गया, जिसमें नक्सली आंदोलन को कुचलने वाले सेना के अधिकारी और एक नाई के द्वंद्व को दिखाया गया है।
इस पूरे समारोह में नटवर स्कूल के प्राचार्य श्री पी.आर.साय, पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर, जेएसपीएल, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, जनमित्रम, सहयोग समिति, नवा विहान, बिहारीलाल कंस्ट्रक्शन एवं रायगढ़ नगर के समस्त दानदाताओं तथा दर्शकों का भरपूर सहयोग मिला। उन्नीसवें राष्ट्रीय नाट्य समारोह में सर्वाधिक उल्लेखनीय सहयोग प्रेस जगत का रहा। विभिन्न अखबारों में प्रतिदिन प्रकाशित होने वाली रपटों और फोटो ने प्रतिभागी नाट्य दलों और इप्टा के सभी सदस्यों को उत्साहित किया। इप्टा के युवा एवं किशोर सदस्यों भरत निषाद, टोनी चावड़ा, संदीप स्वर्णकार, श्याम देवकर, अनादि आठले, लोकेश्वर निषाद, आलोक बेरिया, अजेश शुक्ला, ब्रिजेश तिवारी, अमित सोनी, सुरेन्द्र बरेठ, अमित दीक्षित, दीपक यादव, वासुदेव निषाद, बाबू खान, विष्णु हिमधर के अलावा वरिष्ठ सदस्यों मुमताज भारती, विनोद बोहिदार, अपर्णा, अर्पिता श्रीवास्तव, अजय आठले, उषा आठले, अभिषेक श्रीवास्तव का योगदान रहा।
इप्टा रायगढ़ का उन्नीसवाँ राष्ट्रीय नाट्य समारोह पाँच विभिन्न रसास्वादों और विचारों-अनुभूतियों के नाटकों तथा चार लघु फिल्मों के प्रदर्शन के साथ दि. 26 से 30 नवम्बर तक सम्पन्न हुआ। नाट्योत्सव के पहले दिन सुबह सम्पन्न हुए एक समारोह में प्रसिद्ध अभिनेता एवं निर्देशक श्री जुगल किशोर, लखनऊ को चतुर्थ शरदचन्द्र वैरागकर स्मृति रंगकर्मी सम्मान से नवाज़ा गया। इप्टा की राष्ट्रीय समिति के सचिव श्री राकेश एवं वेदा, वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रभात त्रिपाठी, इप्टा रायगढ़ के संरक्षक श्री मुमताज भारती की उपस्थिति में श्री जुगलकिशोर को रू. 21000 की राशि, सम्मान पत्र तथा शाल-श्रीफल प्रदान किया गया। इस अवसर श्री जुगल किशोर के नाटकों, फिल्मों एवं उपलब्धियों के छायाचित्रों एवं अखबारी कतरनों की प्रदर्शनी आयोजित की गई थी तथा अनादि आठले द्वारा दृश्य-श्रव्य प्रस्तुतीकरण भी किया गया था। इप्टा के अलावा लगभग पंद्रह सांस्कृतिक-सामाजिक संगठनों ने जुगल किशोर का शाल-श्रीफल से स्वागत-अभिनंदन किया। सम्मान कार्यक्रम का संचालन अजय आठले ने किया। श्री जुगल किशोर ने अपने उद्बोधन में अपने रंग-यात्रा के पड़ावों पर प्रकाश डाला।
इसी दिन शाम को जुगल किशोर द्वारा निर्देशित नाटक ‘ब्रह्म का स्वांग’ मंचित किया गया। इस अवसर पर इप्टा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष श्री मधुकर गोरख विशेष रूप से उपस्थित रहे, उन्होंने श्री जुगल किशोर को इप्टा रायगढ़ की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किया। इस नाटक में वर्णाधारित समाज-व्यवस्था के पाखंड और विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है। साथ ही तथाकथित उच्चवर्णीय लोगों की कथनी और करनी में अंतर को भी उजागर किया गया।
नाट्योत्सव के दूसरे दिन चेन्नई निवासी ओजस सु.वि. ने मणिपुर से सशस्त्र सेना विशेषाधिकार अधिनियम को हटाने की मांग को लेकर पिछले बारह वर्षों से अनशन कर रही इरोम शर्मिला चानू के संघर्ष को अपने सशक्त अभिनय और कथ्य से प्रस्तुत किया। ओजस की पैंतालिस मिनट की एकल प्रस्तुति ने दर्शकों को भीतर तक हिला दिया। नाट्य-प्रस्तुति से पहले फिल्म संस्थान पुणे के लक्ष्मण उतेकर निर्देशित लघु फिल्म ‘खोया’ का प्रदर्शन किया गया। यह फिल्म मुंबई के पाँच पृथक-पृथक किरदारों के इर्दगिर्द घूमती है तथा जिंदगी के संजीदा फलसफे को सीधे और सधे तरीके से पेश करती है। इंदौर की सूत्रधार संस्था से आए श्री सत्यनारायण व्यास ने ओजस को स्मृतिचिन्ह प्रदान किया।
तीसरे दिन फ्लेम पुणे के स्कूल आफ परफार्मिंग आर्ट्स द्वारा स्व. हरिशंकर परसाई की लघुकथा ‘दस दिन का अनशन’ पर आधारित नाटक ‘लड़ी नजरिया’ का मंचन हुआ। श्री प्रसाद वनारसे निर्देशित एवं श्री समीर डुबले के संगीत निर्देशन में खेले गए इस नाटक में एक सीधेसादे व्यक्ति का धूर्त धार्मिक और राजनीतिक शक्तियों के हाथों का खिलौना बन जाने की त्रासदी को तीखे कटाक्षों के माध्यम से व्यक्त किया गया। नाट्य विभाग के रंग-विद्यार्थियों की इस उर्जस्वित प्रस्तुति ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। नाट्य-मंचन से पहले फिल्म संस्थान पुणे की स्नातक दीप्ति खुराना निर्देशित लघु फिल्म ‘रिज़वान’ प्रदर्शित की गई। यह फिल्म कश्मीर के लोगों पर होने वाली फौजी ज़्यादतियों से उभरने वाली मार्मिक पीड़ा को व्यक्त करती है। दैनिक भास्कर के यूनिट एडिटर श्री अजय तिवारी एवं जेएसपीएल के वाइस प्रेसिडेंट श्री आर.एस.डबास द्वारा संयुक्त रूप से इप्टा के स्मृति चिन्ह से ‘लड़ी नजरिया’ के निर्देशक श्री प्रसाद वनारसे को सम्मानित किया गया।
चौथे दिन हम थियेटर ग्रुप भोपाल द्वारा श्री बालेन्द्र सिंह निर्देशित नाटक ‘लाला हरदौल’ की प्रस्तुति हुई। बुंदेलखंड के लोकनायक के जीवन पर आधारित इस नाटक में पारम्परिक बंुदेली लोकगीतों एवं लोकनृत्यों के प्रयोग ने दर्शकों को बुंदेलखंड की लोकसंस्कृति से रूबरू कराया। इस दिन लघु फिल्म ‘तत्पश्चात’ दिखाई गई। फिल्म संस्थान पुणे के तृतीय वर्ष के छात्र आदीश केलुस्कर निर्देशित इस फिल्म में बाल सुधार गृह में रखे किशोरों के प्रति वहाँ के कर्मचारियों-अधिकारियों के दोहरे रवैये को दिखाया गया है। रायगढ़ के बाल चिकित्सक एवं नाट्यप्रेमी डाॅ. रघुवर पटवा ने श्री बालेन्द्र सिंह को इप्टा का स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
पाँचवें एवं अंतिम दिन निर्माण कला मंच पटना का श्री संजय उपाध्याय निर्देशित नाटक ‘कम्पनी उस्ताद’ मंचित किया गया। बिहार के क्रांतिकारी कवि महेन्द्र मिश्र के व्यक्तित्व एवं रचनाओं पर केन्द्रित इस नाटक में भोजपुरी गीत-संगीत एवं संवादों की बेहतरीन लयकारी थी। सधे हुए अभिनय और सटीक प्रकाश-व्यवस्था ने नाटक को प्रभावशाली बना दिया। इप्टा रायगढ़ के संरक्षक श्री जी.एन.श्रीवास्तव ने श्री संजय उपाध्याय की अनुपस्थिति में प्रकाश परिकल्पक श्री कमल जैन को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। इस दिन फिल्म संस्थान पुणे के छात्र अभिलाष विजयन निर्देशित लघु फिल्म ‘द्वंद्व’ का प्रदर्शन किया गया, जिसमें नक्सली आंदोलन को कुचलने वाले सेना के अधिकारी और एक नाई के द्वंद्व को दिखाया गया है।
इस पूरे समारोह में नटवर स्कूल के प्राचार्य श्री पी.आर.साय, पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर, जेएसपीएल, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, जनमित्रम, सहयोग समिति, नवा विहान, बिहारीलाल कंस्ट्रक्शन एवं रायगढ़ नगर के समस्त दानदाताओं तथा दर्शकों का भरपूर सहयोग मिला। उन्नीसवें राष्ट्रीय नाट्य समारोह में सर्वाधिक उल्लेखनीय सहयोग प्रेस जगत का रहा। विभिन्न अखबारों में प्रतिदिन प्रकाशित होने वाली रपटों और फोटो ने प्रतिभागी नाट्य दलों और इप्टा के सभी सदस्यों को उत्साहित किया। इप्टा के युवा एवं किशोर सदस्यों भरत निषाद, टोनी चावड़ा, संदीप स्वर्णकार, श्याम देवकर, अनादि आठले, लोकेश्वर निषाद, आलोक बेरिया, अजेश शुक्ला, ब्रिजेश तिवारी, अमित सोनी, सुरेन्द्र बरेठ, अमित दीक्षित, दीपक यादव, वासुदेव निषाद, बाबू खान, विष्णु हिमधर के अलावा वरिष्ठ सदस्यों मुमताज भारती, विनोद बोहिदार, अपर्णा, अर्पिता श्रीवास्तव, अजय आठले, उषा आठले, अभिषेक श्रीवास्तव का योगदान रहा।
रायगढ़ इप्टा के तमाम साथियों को कार्यक्रम की शानदार सफ़लता की हार्दिक बधाई.. आशा करता हूं कि ऐसे प्रगतिशील कार्यक्रम आइंदा भी होते रहेंगे.. इसरार आलम (इप्टा झारखंड)
ReplyDelete