Friday, September 1, 2017

रंजीत कपूर ने थिएटर व सिनेमा में नये मुहावरे गढ़े

कानपुर। रंजीत कपूर साहब थिएटर व सिनेमा के सिर्फ कामयाब लेखक, निर्देशक ही नहीं हैं, बल्कि उन्होंने जब भी जो किया नये मुहावरे गढ़े। यह बात बुधवार को 'अनुकृति रंगमंडल कानपुर' द्वारा लोक सेवा मंडल के सहयोग से शास्त्री भवन खलासी लाइन कानपुर में आयोजित कार्यक्रम 'अतीत को नमन, वर्तमान को सम्मान' में वरिष्ठ रंगकर्मी व अनुकृति के सचिव डा.ओमेन्द्र कुमार ने कही। इससे पहले फिल्म गीतकार/ कवि शैलेन्द्र को उनके जन्मदिन के मौके पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की गयी।

श्री कपूर के सम्मान से पूर्व डा. ओमेन्द्र कुमार ने बताया कि 09 जून 1948 में सिहोर मध्य प्रदेश में जन्मे रंजीत जी 1973-76 में राष्ट्रीय नाट्य विधालय दिल्ली से स्नातक हैं। सुप्रसिद्ध अभिनेता अन्नू कपूर उनके छोटे भाई व फिल्म/ धारावाहिक निर्देशक सीमा कपूर उनकी बहन हैं। जाने भी दो यारों, कभी हां कभी न, लज्जा, बैंडिट क्वीन समेत तमाम फिल्मों की स्क्रिप्ट लिख चुके श्री कपूर ने रंगमंच के लिए एक रुका हुआ फैसला, एक घोड़ा छह सवार, एक संसदीय समिति की उठक बैठक सहित काफी नाटक लिखे और निर्देशित किये हैं।

 रंगकर्मी कृष्णा सक्सेना ने भी श्री कपूर से जुड़े अपने संस्मरण बताये। अनुकृति द्वारा रंजीत कपूर को 'लाइफ टाइम एचीवमेंट' सम्मान प्रदान किया गया। श्री कपूर ने शैलेन्द्र को एकमात्र मूलतः कवि गीतकार बताया। कहाकि 'सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है' जैसे सहज शब्दों के इस्तेमाल से शैलेन्द्र जी के गीत हमेशा जन जन तक लोकप्रिय रहेंगे।
इसके बाद भारत पाक संबंधों को रेखांकित करती रंजीत कपूर द्वारा लिखित-निर्देशित उनकी चर्चित फिल्म 'जय हो डेमोक्रेसी' का विशिष्ट प्रदर्शन आयोजित किया गया है।

फिल्म में एक पाक सैनिक का एक संवाद 'अल्लाह ईश्वर ने तो एक ही धरती बनायी थी इसे सीमाओं में तो हमने बांटा है' पर दर्शकों की खूब तालियां बजीं।

कार्यक्रम में डा. आनंद शुक्ला, डा. राजेन्द्र वर्मा, लोक सेवा मंडल के अध्यक्ष दीपक मालवीय, कपिल सिंह, संजय शर्मा, नीलम प्रिया मिश्रा, दीपिका सिंह, योगेन्द्र श्रीवास्तव, गोपाल शुक्ला, अनिल गौड़, उमेश शुक्ला, अभिलाष, आकाश, स्वयं कुमार समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

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