Wednesday, March 29, 2017

हबीब के शहर मे तनवीरी प्रस्तुति

 - Akhter Ali 
रायपुर, 27 मार्च. 

निसार अली का रंगमंच केवल मनोरंजन का रंगमंच नही बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाह भी रहा है, नाटक के माध्यम से संदेश भी जाता है ताे यह अतिरिक्त उपलब्धि है जाे आज इप्टा रायपुर की प्रस्तुति के बाद निसार अली के हिस्से मे आई | रंगमंच दिवस आैर मुकितबाेध जन्म शताब्दी के संयुक्त अवसर पर मुक्तिबाेध जी के दाेनाे पुञाे की मौजूदगी मे यह नाटक देखना सुखद अनुभूति रहा |

निसार काफ़ी समय से छत्तीसगढ़ की लाेकशैली नाचा गम्मत पर गंभीरता पूर्वक काम कर रहे है, यह वही शैली है जिसे हबीब तनवीर साहब ने अपनाया था आैर फिर रंगमंच का इतिहास गढ़ दिया |निसार का अंदाज़ हबीब तनवीर के अंदाज़ से मेल खाता दिखा, यह आलोचना नही प्रशंसा है, वही लय, वही सुर, वही इम्पराेवाईज़ेशन का तरीका, वही मंच के हर काेने का इस्तेमाल, बात अपनी पर तरीका दर्शकाे की पसंद का, कुल मिलाकर ब्रह्मराक्षस का शिष्य सीमित साधन मे अपना प्रभाव पूरी ताकत के साथ जमाने मे सफल रहा |

निसार पटकथा लेखन एवं निर्देशक के अतिरिक्त गुरु जी की भूमिका मे बेहद प्रभावशाली लगे, देह की भाषा, सीमित मूव्हमेंट, प्रभाव पूर्ण संवाद संप्रेषण, एक अनुभवी अभिनेता के तमाम गुणाे से लबरेज़ रहे निसार | अभिनय के लिहाज़ से शेखर शिखर पर रहे पर गुरू की पहली पदचाप से ही दर्शक उस पर निसार हाे गये |

नाटक - ब्रह्मराक्षस का शिष्य 
कहानी - मुक्तिबाेध
नाटय रूपांतरण एवं निर्देशक - निसार अली 
इप्टा रायपुर की प्रस्तुति |

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