Thursday, September 29, 2016

"सबके लिए एक सुन्दर दुनियाँ" के संकल्प के साथ बिहार इप्टा का 74 सदस्यीय सांस्कृतिक दल इंदौर रवाना

टना/ 29 सितम्बर, 2016. भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) के 14वें राष्ट्रीय सम्मलेन- सह-जन सांस्कृतिक महोत्सव में भाग लेने के लिए बिहार इप्टा का 74 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल कल रवाना हो रहा है। इप्टा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव फ़ीरोज़ अशरफ़ खां के नेतृत्व में बिहार इप्टा से संबंद्ध 26 इप्टा इकाईयों के प्रतिनिधि एवं कलाकार 2 से 4 अक्टूबर 2016 तक सम्मलेन में भाग लेंगे और देश-दुनिया के सांस्कृतिक स्थिति पर विमर्श करेंगे।

विदित हो कि इप्टा का  14वां राष्ट्रीय सम्मेलन-सह-जन संस्कृति महोत्सव का आयोजन 02 अक्टूबर , 20 16  से 04 अक्टूबर, 2016 तक मध्य प्रदेश के इंदौर में  हो रहा है। राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन वरिष्ठ फिल्मकार व इप्टा के उपाध्यक्ष एम. एस. सथ्यू और राष्ट्रीय जन संस्कृति महोत्सव का उद्घाटन चर्चित फिल्मकार आनंद पटवर्द्धन करेंगे।मुख्य कार्यक्रम आनंद मोहन माथुर सभागार (ए. के. हंगल रंग परिसर में आयोजित किया गया है।  इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन में 21 राज्यों से इप्टा से जुड़े 800 प्रतिनिधि एवं  कलाकार भाग ले रहें हैं। 

जन सांस्कृतिक महोत्सव में बिहार इप्टा के द्वारा शाहिद अनवर लिखित व तनवीर अख़्तर निर्देशित नाटक "सूपनवा का सपना" एवं  नुक्कड़ नाटक "एल. पी. जी." (लेखक: जनम, दिल्ली व निर्देशन: दीपक कुमार)  प्रस्तुति की जायेगी तथा सीताराम सिंह के नेतृत्व में संगीत जत्था जनगीतों की प्रस्तुति करेगा। 

इस अवसर पर आयोजित "राष्ट्रीय संगोष्ठी 1 : जनता का रंगमंच और चुनौतियाँ" को वरिष्ठ रंगकर्मी व बिहार इप्टा के महासचिव तनवीर अख्तर संयोजित करेंगे तथा इसके अन्तर्गत "मुझे कहाँ ले आये हो कोलंबस" और "मैं बिहार हूँ" नाटकों की डेमो प्रस्तुति भी की जायेगी। वरीय  संगीतकार व बिहार इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष सीताराम सिंह "राष्ट्रीय संगोष्ठी 2: जनता का संगीत और चुनौतियाँ" को संयोजित करेंगे। 

 
तनवीर अख्तर
महासचिव, बिहार इप्टा
+91 93087 45797

Thursday, September 22, 2016

नाट्य गंगा की प्रस्तुति ' कोई दुःख न हो तो बकरी खरीद लो'

प्रेमचन्द जयंती पर नाट्य गंगा की प्रस्तुति का यह दसवां वर्ष था| छिन्दवाड़ा शहर के दर्शकों के लिए हर साल मुंशी प्रेमचन्द की कहानियों की नाट्य प्रस्तुतियों की इस कड़ी में इस साल मुंशी प्रेमचन्द की कहानी ' कोई दुःख न हो तो बकरी खरीद लो' पर आधारित युवा रचनाकार पंकज सोनी द्वारा लिखित नाटक 'बकरी' का मंचन हुआ| 

नाटक का निर्देशन सचिन वर्मा ने किया| नाटक के गीत नितिन जैन ने लिखे और रोहित रूसिया ने इन गीतों को संगीत और स्वर दिया| संस्था के रंगकर्मी सचिन मालवी द्वारा कुछ महीनों पहले लगे गई कार्यशाला में प्रशिक्षित युवाओं के साथ ही संस्था के अन्य कलाकारों ने दर्शकों को अपने अभिनय से बांधे रखा |

इप्टा जम्मू कश्मीर की दो एकल प्रस्तुतियां

प्टा जम्मू कश्मीर इकाई ने 20 सितंबर 2016 को के.एल. सहगल सभागार में दो एकल प्रस्तुतियां दी।पहली प्रस्तुति गुलज़ार की "रावी पार"पर आधारित थी।

प्रस्तुति का कथानक बँटवारे के समय को दर्शाता है।सरदार दर्शन सिंह भी पाकिस्तान से विस्थापित हो कर अपनी पत्नी के साथ हिन्दोस्तान आ रहा है। दो जुड़वाँ बच्चे उस के साथ हैं ।एक बच्चे की  मौत रास्ते में हो जाती है। जब गाडी रावी का पुल पार कर रही होती है, दर्शन सिंह मृत बच्चे को रावी में फेंक देता है। लेकिन बाद में उसे एहसास होता है कि मृत बच्चे के जगह उसने जीवित बच्चे को फैंक दिया है।

इस एकल की परिकल्पना एवं प्रस्तुति इप्टा के साथी दीपक विर्दी  की थी। शाम की दूसरी प्रस्तुति डॉ.बलजीत रैना की कहानी " अजब देश की" पर आधारित थी। कहानी एक पात्र बेली राम के इर्द गिर्द घूमती है जिसे बार बार किसी न किसी वजह से धर्म परिवर्तन करना पड़ता है। अन्ततः वो सिख धर्मअपना लेता है। पर उसे उग्रवादी होने के शक में गिरफ्तार कर लिया जाता है। अदालत उसे निर्दोश मानती है और वो वापिस अपने गाँव जाने के लिए ट्रेन पकड़ता है पर रास्ते में ही दंगाई उसे उग्रवादि समझ कर ज़िंदा जला दिया जाता है। मनोज भट द्वारा इस नाटक को निर्देशित संजय ने किया था।

Monday, September 19, 2016

डॉ. जितेंद्र रघुवंशी के 66वें जन्मदिन पर समर्पित नाट्य प्रस्तुति 'कन्यादान'

दो माह के अथक परश्रम के बाद विजय तेंदुलकर कृत नाटक 'कन्यादान' का मंचन 16 सितम्बर 2106 को आगरा के सूरसदन प्रेक्षागृह में हुआ. नाटक के चयन से लेकर उसके मंचन तक की प्रक्रिया के बीच कलाकार कई वैचारिक मतभेदों से गुज़रे. कई बार चर्चा इस मुक़ाम तक पहुँच जाती कि लगता इस स्क्रिप्ट को ड्रॉप कर के किसी और स्क्रिप्ट पर काम करते हैं. कुछ साथियों का सुझाव था की नाटक का अंत बदल दिया जाए लेकिन तब नाटककार के साथ न्याय ना होता. लम्बी कश्मकश के बाद ये तय हुआ की नाटक को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ उसकी मूल स्क्रिप्ट के साथ ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया जाए और सही ग़लत का निर्णय दर्शकों पर छोड़ दिया जाए. आख़िर सामाजिक मुद्दों का समाधान समाज के बीच से ही आना चाहिए. अन्य गम्भीर नाटकों के तरह ही ' कन्यादान' के साथ भी ये डर लगातार बना हुआ था कि नाटक बोझिल ना हो जाए.

मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के सहयोग से 
रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान की 
नाट्य प्रस्तुत 'कन्यादान'


बहरहाल, तमाम जटिलताएँ के साथ रिहर्सल चलता रहा. युवा साथी, मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय, भोपाल से स्नातक गरिमा मिश्रा ने निर्देशन की ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभाया.कम पात्रों वाले नाटक के चयन के समय ये विचार भी था कि अभिनेताओं को ख़ुद पर काम करने के लिए पर्याप्त समय मिले. कहना होगा कि बतौर अभिनेता गरिमा मिश्रा, प्रखर सिंह, रेनू मुस्कान, यश उप्रेती, शैलेंद्र यादव, रोहित राठोर ने दर्शकों को बांधे रखा.

नाट्य परिकल्पना व मंच परिकल्पना सारांश भट्ट की थी. सोचिए नाटक के मंचन के लिए पूर्व निर्धारित स्थान में 5 दिन पूर्व परिवर्तन हो जाए.. तब??? तब सारांश जैसे प्रशिक्षित कलाकार ही नैया पार लगा सकते हैं. मंच निर्माण में आकाश कुमार, रोहित राठोर, जितेंद्र चौहान, इमरान कुरेशी ने सहयोग किया.प्रकाश परिकल्पना व संचालन के लिए साथी भूषण शिम्पी हमारे साथ थे. भूषण मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हैं और वर्तमान में मुंबई में स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं.

संगीत संयोजन व संचालन हर्षिता मिश्रा एवं धीरज मिश्रा ने संभाला.पूर्व में रंगलोक द्वारा मंचित नाटकों के चित्रों की ख़ूबसूरत प्रदर्शनी आकृति सारस्वत, संस्कार जोशी और इशिता भटनागर ने लगाई. दीपक जैन, डॉ. विजय शर्मा व अमन मित्तल जैसे साथियों के सहयोग से यह मंचन सफल हो सका.

कार्यक्रम का संचालन संयोजक, डिम्पी मिश्रा ने किया. प्रस्तुति के समय आयकर आयुक्त आगरा श्री अमित सिंह, हिंदुस्तान कॉलेज आफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़ के निदेशक डॉ. नवीन गुप्ता, रंगलोक के संरक्षक डॉ. सुबोध दुबे, प्रख्यात कवयित्री डॉ. शशि तिवारी, वरिष्ठ रंग निर्देशक बसंत रावत, आदि गणमान्य दर्शक उपस्थित थे.

'विवेचना' जबलपुर का 23 वां राष्ट्रीय नाट्य समारोह 19 अक्टूबर से

विवेचना जबलपुर का तेइसवां राष्ट्रीय नाट्य समारोह आगामी 19 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2016 तक तरंग प्रेक्षागृह में आयोजित है। इस समारोह की खासियत इसमें मंचित नाटकों की भव्यता है। इस समारोह में मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल का भव्य नाटक ’आनंद रघुनंदन’ प्रथम दिन मंचित होगा और समारोह का खास आकर्षण है। 19 अक्टूबर को उद्घाटन के अवसर पर होने जा रहे इस संगीतमय नाटक में 40 कलाकार हिस्सा लेंगे। रीवां के महाराजा द्वारा सन् 1830 में लिखे गए इस नाटक को पहली बार मंचित किया जा रहा है।  भव्य सैट और लाइट भोपाल से लाई जा रही हैं। यह नाटक श्रेष्ठ अभिनय, संगीत, अद्भुत कथानक और बघेली भाषा के लालित्य के लिए प्रसिद्ध हुआ है। इस नाटक  के निर्देशक श्री संजय  उपाध्याय  हैं।

 दूसरे दिन सुप्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार का लिखा नाटक ’एक कंठ विषपायी’ अनवरत थियेटर्स मुम्बई द्वारा मंचित किया जाएगा। इस काव्य नाटक का निर्देशन अशोक बांठिया ने किया है। अभी अभी पृथ्वी थियेटर्स मुम्बई में इस नाटक के मंचन बहुत सराहे गए हैं।

 समारोह के तीसरे दिन शेक्सपियर के नाटक ’मैकबेथ’ का मंचन शैडो माइम थियेटर ग्रुप भोपाल द्वारा किया जाएगा। मैकबेथ का यह मंचन युवा निर्देशक मनोज नायर के निर्देशन में होगा। मैकबेथ की मूल कृति में आज की परिस्थितियों के साथ मेल कर नया मैकबेथ तैयार किया गया है जहां मूल नाटक माइम में मंचित होगा और आज का मैकबेथ संवादों के साथ होगा।

 समारोह के चैथे दिन विख्यात नाट्य निर्देशक अवतार साहनी के नाटक ’एक तू और एक मैं’ का मंचन एक्टर्स रिपर्टरी थियेटर, दिल्ली द्वारा किया जाएगा। इस नाटक को सुनील सिन्हा व नरेन्द्र गुप्ता ने लिखा है। यह दो पात्री नाटक बहुत रोचक और मनोरंजक है।

 पांचवें और अंतिम दिन विवेचना थियेटर ग्रुप द्वारा मोतीलाल केमू के नाटक ’खोया हुआ गांव’ का मंचन किया जाएगा। नाटक का निर्देशन वसंत काशीकर ने किया है। यह नाटक गीत संगीत नृत्य के साथ पहाड़ी गांव के कलाकारों की कथा कहता है। मोतीलाल केमू जम्मू के वरिष्ठ नाटककार हैं। यह प्रथम अवसर है जब यह नाटक जम्मू के बाहर मंचित हो रहा है।

 विवेचना थियेटर ग्रुप जबलपुर के इस 23 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह में भव्य संगीतमय नाटकों का मंचन होने जा रहा है। प्रतिदिन संध्या 7:30 बजे से तरंग आॅडीटोरियम में नाटक मंचित होंगे। विवेचना के हिमांशु राय, बांकेबिहारी ब्यौहार और वसंत काशीकर ने सभी नाट्य प्रेमियों से हर वर्ष के समान इस वर्ष भी नाट्य समारोह के सभी नाटकों को देखने का अनुरोध किया है।

Friday, September 16, 2016

जितेन्द्र रघुवंशी स्मृति समारोह-1

"पता नहीं ये कैसा जनमानस है जो व्यक्तिगत रूप से किसी और पक्ष और सार्वजानिक रूप से धर्मनिरपेक्ष नज़र आना चाहता है। संविधान में आज़ादी के बाद संशोधन किया गया और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया क्योंकि तात्कालिक सत्ता भी  धर्मनिरपेक्ष हो या नही इस पर संदेह था " सत्ता के धर्मनिरपेक्ष स्वरुप पर बोलते हुए साहित्यकार विभूति नारायण राय ने आज जनमन विचार मंच की बैठक में अपने विचार व्यक्त किये पूर्व पुलिस अधिकारी रहे श्री राय ने एक सवाल के जबाव में कहा कि आज जो पुलिस का चेहरा नज़र आता है वो आज़ादी के पहले का ही वर्णवादी चेहरा है क्योंकि सत्ता के लिए वही सुविधाजनक था । हाशिमपुरा घटना के जांच अधिकारी रहे श्री राय ने कहा कि सत्ता और पुलिस हमको वही करती  है जो हम उसे करने देते हैं । इस सोच का निज़ाम न काबिले बर्दाश्त है । जितेन्द्र रघुवंशी स्मृति समारोह के क्रम में यह पहला कार्यक्रम था जो आज शाम शहीद स्मारक पर हुआ।

गोष्ठी में श्री राय के अतिरिक्त डॉ नसरीन बेगम डॉ ज्योत्स्ना रघुवंशी डॉ प्रियम अंकित डॉ विजय शर्मा श्री नवाब उदीन श्री प्रमोद सारस्वत डॉ राजाराम राजवीर सिंह राठौर ने अपने विचार व्यक्त किये ।गोष्ठी में युवाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया जितेन्द्र जी पत्नी भावना रघुवंशी के अतिरिक्त उनकी बेटी सौम्या अभिषेक रघुवंशी मुम्बई से  फ़राज़ अहमद अलीगढ से शुभम सिंह बंगलौर से  , नदीम दिल्ली से आये हुए हैं जो कल समारोह में भी हिस्सा लेंगे । गौरव लहरी मीडिया से अपने सवालों के साथ थे । दलित सवालों को लेकर अर्जुन तेवतिया और अरुण कुमार भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के बाद फ्रेंड्स थिएटर ग्रुप की प्रस्तुति हुई जिसमें अनिल जैन द्वारा निर्देशित और लिखित नाटक पर्यावरण बचाओ के द्वारा जल जंगल ज़मीन के मसले पर आवाज़ उठाई गयी इस नाटक में  समीर सिंघल उमाशंकर जी सोमा जैन एस के जैन और सभी साथियों ने नाटक के जरिये रंगकर्मी जितेन्द्र रघुवंशी जी को याद किया इस अवसर पर श्री राजीव सिंघल श्री ओम शर्मा श्री सुदर्शन दुआ उपस्थित थे।

-विजय शर्मा 

Monday, September 5, 2016

One day organisational conference of IPTA J&K Chapter

One day organisational conference of IPTA J&K Chapter was held yesterday on 29th Aug 2016 at K L Saigal Hall, J&K Academy of art culture and languages. The presidium was shared by Com. Dr. G. S. Charak, Secy. CPI Jammu Region, Dr. Baljeet Singh Raina, eminent writer and Com. K. K. Kaushal, veteran trade union leader and progressive thinker.
A short play " Dekho Bandhu Dekho Bhaiya" written and directed by Vijay Malla was staged.
Later on in the second session elections were held. The outgoing body put forward a proposal ot the new body and that was unanimously accepted.
The new office bearers are as follows:
Chairman: Sh. Anil Chopra
President: Com. Hardeep Singh
Sr. Vice Presidents:
1. Mrs. Nirmal Kesar
2. Mr. Rajinder Khajuria
Vice Presidents:
1. Mr. Harjeet Singh
2. Mr. Manoj Bhat
Gen. Secy: Sanjay Gupta
Organizing Secy: Hariket Jij
Secy.: 1. Vikram Rajwal
             2. Anuroop Pathania
Asst. Secy. : Qurat Ul Ain.

The post of cashier was left open to be filled later on.  Sh. Ashwani pradhan was selected as Patron and Vijay Malla as advisor.The delegates elected for the conference included:
1. Anil Chopra
2. Hardeep Singh
3. Manoj Bhat
4. Ashwani Pradhan
In addition to the four alotted delegates , Sanjay Gupta and Vijay Malla will be ex- officio delegates.


-Sanjay Gupta
Gen. Secy
IPTA, J&K Chapter