Sunday, March 8, 2015

सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला

जितेन्द्र जी का इस तरह अचानक चले जाना स्तब्ध कर देने वाला है। यकीन नहीं हो रहा। लग रहा है कि बस अभी किसी क्षण मोबाइल की घंटी बजेगी और बेहद आत्मीय लहजे में उनका जाना-पहचाना स्वर सुनाई पड़ेगा, ‘भाई माफ करना, मार्च महीने का कार्यक्रम भेजने में थोड़ा विलंब हो गया। इधर व्यस्तता कुछ ज्यादा हो गयी थी...।’’

पर अफसोस कि यह अब न हो सकेगा। इस बार होली के ठीक पहले पहली बार ऐसा हुआ कि देश भर के इप्टा के कार्यक्रमों की सूचना मानस के मेल से मिली। बेहद संक्षिप्त। लग रहा था कि कुछ छूटा हुआ है। भिलाई के कार्यक्रम की सूचना भी नहीं थी, जबकि राजेश भाई ने बताया था कि खबर भेज दी है। भगत सिंह की शहादत व विश्व रगमंच दिवस के कारण आमतौर पर मार्च के महीने में कार्यक्रम कुछ ज्यादा ही रहते हैं।

आभासी दुनिया में भी उनकी उपस्थिति बराबर रहती थी। कहते थे कि यह समय बहुत खाता है पर सांगठनिक सूचनाओं के लिये बहुत जरूरी है। इस एक सप्ताह में न तो वे इंटरनेट पर कहीं दिखाई दिये न फोन किया। ताज महोत्सव के दो-तीन दिनों पहले आखिरी बार बात हुई। विश्व रंगमंच दिवस करीब है सो ‘इप्टानामा’ के नये वार्षिक अंक को लेकर विस्तृत बात हुई। जयपुर की सभा में ‘ इप्टा के पुनर्जागरण के 30 साल’ विषय को लेकर सहमति बनी थी। कहा कि ताज महोत्सव के बाद बहुत सारी सामग्री भेजूंगा। लेकिन 3-4 मार्च तक भी कोई खबर नहीं आयी न कार्यक्रम की सूचना तो थोड़ा खटका लगा। सोचा कि मैसेज भेजकर खैरियत पूछ लूँ। इसी उधेड़बुन में होली आ गयी और दूसरे दिन अचानक जुगलकिशोर जी का फोन आया। इप्टानामा के लिये उनके इंटरव्यू की बात थी और एक सवाल भी भेजा था। सोचा इसी सिलसिले में फोन किया होगा। काश ऐसा होता! जो उन्होंने बताया अप्रत्याशित था: जितेन्द्र जी नहीं रहे !!

नाटककार और संस्कृतिकर्मी के रूप में जन-संस्कृति के हल्के में उनके अवदान की पड़ताल तो अभी निश्चित रूप से होनी है पर मैंने उन्हें एक संगठनकर्ता के रूप में ज्यादा देखा और ट्रेड यूनियन आंदोलन के अपने संक्षिप्त अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि वे एक बेहतरीन संगठनकर्ता थे। तमाम व्यस्तताओं के बावजूद छोटी-छोटी इकाई के साथ भी उनका जीवंत संपर्क होता था। संभव होता तो उनकी उपस्थिति सशरीर होती थी अन्यथा टेलीफोन, मेल, मोबाइल पत्र-आदि जिस माध्यम से भी संभव हो वे स्वयं को नवीनतम सूचनाओं से अपडेट रखते थे। दक्षिण भारत के संगठनों, जम्मू-कश्मीर व छोटे कस्बों में होने वाली गतिविधियों पर उनकी विशेष नज़र होती और अक्सर फोन पर वे यह निर्देश देते थे कि इन इलाकों से आने कोई भी खबर नहीं छूटनी चाहिये। अगर सूचना टाइप होकर नहीं आयी है तो उनका आग्रह होता था कि फोटो फारमेट में ही खबर लगा दी जाये ताकि उन इकाइयों की हौसला-अफजाई होती रहे।

हाल ही में रायपुर में छत्तीसगढ़ इकाई के प्रांतीय सम्मेलन मे उनसे विभिन्न मुद्दों पर ढेर सारी बातचीत हुई। सांगठनिक गतिविधियों को तीव्रता प्रदान करने के लिये और खासतौर पर नयी पीढ़ी को इप्टा के साथ जोड़ने के लिये नवीनतम टूल्स के प्रयोग उनकी चिंता के केंद्र में थे और इसलिये ही उन्होंने इंटरनेट जैसे माध्यम से परहेज नहीं किया, जबकि उन्हीं की पीढ़ी के कई साथी इससे बचते-बचाते रहे। कहा कि आभासी दुनिया में हिंदी टाइपिंग मैंने आपकी ही वजह से सीखी। मेरा ‘इनबॉक्स’ उनके द्वारा भेजी हुई सूचनाओं से भरा हुआ है। यह सब लिखने से पहले एक बार उन्हें ‘स्क्रोल’ किया तो कितनी बातें, कितनी यादें जेहन में खदबदाने लगीं। यह लिखते हुए मन फटा जा रहा है कि यह इनबॉक्स अब उनके खाते से अपडेट नहीं होगा। नियति ने उनका एकाउंट क्लोज कर दिया है। बकौल शायर, ‘उसको रूखसत तो किया था मुझे मालूम न था/सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला।’’

कामरेड जितेन्द्र रघुवंशी को लाल सलाम!
कामरेड जितेन्द्र रघुवंशी अमर रहें!

- दिनेश चौधरी

आभासी दुनिया में जितेन्द्र जी को विनम्र श्रद्धांजलि
(सारे देश से शोक संवेदनाआें का सिलसिला जारी है। यहां कुछ अंशों को ही हम रख पा रहे हैं। प्रयास होगा कि अन्य साथियों की भावनाआें को भी हम आप तक पहुंचा सकें। -संपादक)

भारत में जन संस्कृति के प्रमुख हस्ताक्षर वरिष्ठ रंगकर्मी व कहानीकार , भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ जितेन्द्र रघुवंशी का आज सुबह 7 मार्च को दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल में देहांत हो गया।
रंगकर्म के सकारात्मक युग के प्रणेता कोमरेडरघुवंशी जी का जन्म13 सितम्बर 1951 को आगरा में हुआ और शिक्षा दीक्षा क्रमश आर बी एस इंटर कॉलेज , आगरा कॉलेज , लेनिनग्राद (सेंट पीटर्सबुर्ग) से रुसी भाषा में डिप्लोमा करने के बाद आगरा विश्व विद्यालय के के एम् आई इंस्टिट्यूट में सेवाओं में आयें 1962 से भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा से नाटकों में अभिनय लेखन निर्देशन के काम से जुड़े रहे , यह विरासत उन्हें अपने पिता राजेंद्र रघुवंशी और माता अरुणा रघुवंशी जी से मिली जो इप्टा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे . 

जितेन्द्र रघुवंशी जी वर्तमान में इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव, आगरा इप्टा के समन्वयक वउत्तर प्रदेश इप्टा के अध्यक्ष भी थे व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के आजीवन सदस्य रहे कामरेड रघुवंशी जी अपने परिवार में अपनी पत्नी श्रीमती भावना रघुवंशी , पुत्र मानस रघुवंशी और पुत्री सौम्या रघुवंशी को छोड़ गए हैं अभिनेता अंजन श्रीवास्तव जी के समधी भी थे बहन डॉ ज्योत्सना रघुवंशी व भाई दिलीप रघुवंशी जी के अतिरिक्तआज उनके शव यात्रा में सिने अभिनेता व् पूर्व सांसद राजबब्बर , एम् एल सी विधायक डॉ अनुराग शुक्ला , यादगारे आगरा के सरपरस्त सैयद अजमल अली शाह ,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के के वरिष्ठ नेता कामरेड रमेश मिश्र और समस्त पार्टी कार्यकर्ता इप्टा आगरा के प्रमोद सारस्वत डॉ विजय शर्मा विशाल रियाज़ के एन अग्निहोत्री सुबोध गोयल के अलावा मथुरा से हनीफ मदर , गनी मदार, अनीता चौधरी आगरा के समस्त रंगकर्मी श्री अनिल जैन , उमा शंकर मिश्रा , डिम्पी मिश्र , उमेश अमल विश्वनिधि मिश्र आदि शोकसंतप्त थे
विजय शर्मा



उन्हें यूँ तो इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में जाना जाता है ,लेकिन वे एक थियेटर एक्टिविस्ट के रूप में याद किये जाते रहेंगे | एक प्रतिबद्ध संस्कृति कर्मी जिसने अपनी विचारधारा किसी ग्रांट या समारोह में एंट्री के लिए नहीं छुपायी जितना किया खुलकर किया | बेबाक साफगोई से कहा कि राजनीति निरपेक्ष संस्कृति या तो अराजकता लायेगी या फासिज्म और अंध विश्वास पैदा करने वाले बाबा पैदा करेगी | वे बिना लाग लपेट संस्कृति की राजनीति तय करने वालों में थे | छतीसगढ़ में लोक कलाकारों को एकजुट करने का ऐतिहासिक काम उन्होंने किया |वे प्रोफेशनल रंग-कर्म की तरह शौकिया और नुक्कड़ रंग-कर्म के लिए भी प्रबंधन के विकास पर जोर देते थे | रचना शिविर और कार्यशाला उनका माध्यम था जिसे उन्होंने कस्बो और छोटे शहरों पर केन्द्रित किया | आगरा में बच्चो का नाट्य शिविर बिना नागा लगाते रहे | देश भर में घूम घूम कर वे संस्कृतिकर्मियों का जनमोर्चा बनाने के विराट मिशन में लगे हुए थे कि असमय उनकी मृत्यु ने ...
इप्टा उनके DNA में थी|

इप्टा के जयपुर अधिवेशन में जहाँ उनसे पहला परिचय हुआ ,उन्होंने स्वयं बताया था कि किस तरह माता अरुणा और पिता राजेन्द्र रघुवंशी के चलते इप्टा उनका संस्कार बन गयी | अगली मुलाक़ात पटना अधिवेशन में जहाँ कुछ छिटपुट सम्वाद हुआ| आगे फिर सम्वाद हीनता का एक लंबा अंतराल ... दो साल पहले फेस बुक में जब एकाउंट चालू किया तो उनसे टेक्स्ट सम्वाद दुबारा स्थापित हुआ ...

एक दिन उनका फोन आया “मै जितेन्द्र रघुवंशी बोल रहा हूँ ...” इप्टानामा के लेख “प्रतिरोध का रंगकर्म” पर उन्होंने लम्बी बात की | कई सुझाव दिये | आगे कुछ एक मौकों पर इप्टा की बेब साईट के लिए भी सामग्री भेजने का इसरार किया जिसे मैं अपने स्थायी आलस की वजह से पूरा करने में असफल रहा |
एक बात उनकी बराबर याद आती है जो उन्होंने हर मौके पर कही .. कि क्रांतिकारी नाटक करना पहले की बात थी आज तो नाटक करना ही क्रांतिकारी कार्य है ,,नाटक करते रहो |

“ साथी जितेन्द्र रघुवंशी आपका यूँ बीच में सबकुछ अधूरा छोड़कर चला जाना ... यह तो स्क्रिप्ट में नहीं था ..आप जैसे जीवट और धरतीपकड़ से ऐसी एक्जिट की उम्मीद नहीं थी..... ”लेकिन शायद जीवन के रंगमंच की यही विडम्बना है ..और यही चुनौती भी ..सलाम ... सलाम ..सलाम ||||
हनुमंत किशोर
      • Hamare bade bhai,Dost,Guide hamare beech,ab nahi rahe.Hindustani Jan Natya Aandolan ko ek Apurneeya kshati hui hai iski bharpai ho pana namumkin sa lagta hai.
  • Arshad Mohammad You had been an extraordinary person for me Sir! I and my family found you to be an excellent neighbor at Gopal Kunj. At the University, you had always been an exceptional senior, colleague, and a friend. I remember working with you, learning basic values of life during the Various Youth Festivals at the University. We all love you. We wish Almighty gives your family including Misha, Somia and Bhabi and friends, the strength to endure this irreparable loss!
  • Sanjay Srivastava Vinamra shradhanjali!!Jitendraji ham sabke margdarshak the.unki kami hamesha khalegi.unka jana cultural movement ki bahut badi hani hai!
  • Vishwa Shankar मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा..।ह्रदय से श्रद्धांजलि..

  • Sabir Ali Siddiqui Unforgettable personality not only me, everybody will miss you.
  • Nivedita Baunthiyal Very shocking and sad news for all of us at IPTA Mumbai. Jitendraji has been an inspiration for all of us......he will always remain in our hearts.
  • DrGirdhar Sharma Hats off to d great n pious soul
  • Binay Kumar Sharma लाल सलाम, कॉमरेड !
    10 hrs · Like

जितेन्द्र रघुवंशी को लाल सलाम ..... औरइंकलाब जिंदाबाद के उदघोष के साथ शुरू हुई का0 रघुवंशी जी की अंतिम यात्रा .... लेकिन उनका जाना किसी वट वृक्ष का धारासाई होने जैसा है ।

6 comments:

  1. विनम्र श्रद्धांजलि....

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  2. जितेन्द्र रघुवंशी जी का आक्समिक निधन जनसंस्कृति आंदोलन को अपूर्णीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि। लाल सलाम।

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  3. जानकर बेहद दुःख हुआ । एक बेशकीमती संपत्ति खो दी है..... सादर श्रदांजली…लाल सलाम .

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  4. सरल और सहज व्यक्तित्व..
    अपूरणीय क्षति..
    सर जी आपको... लाल सलाम !

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  5. सर जी आपको... लाल सलाम

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  6. https://www.youtube.com/watch?v=dqHW72BZg54
    https://www.youtube.com/watch?v=c25FsdK5ohs

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