Saturday, March 14, 2015

दूसरों के लिए उम्मीद बनना भी संस्कृतिकर्म है

"सिर्फ नाटक करना, गीत गाना, कहानी लिखना ही संस्कृतिकर्म नहीं, बल्कि दूसरों के लिए उम्मीद बनना भी संस्कृतिकर्म है. विगत दो-तीन दशकों से इप्टा का नेतृत्व कर रहे जितेंद्र रघुवंशी इसी तरह का संस्कृतिकर्म कर रहे थे. उन्होंने करोड़ों हिन्दुस्तानियों को अपने सपने, अपने जीवन को नाटक- गीत-संगीत के माध्यम से देखने, सोचने और करने का एक मंच 'इप्टा' दिया; यही उनका संस्कृतिकर्म है.
इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव साथी जितेन्द्र रघुवंशी को याद करते हुए वरिष्ठ नाटककार हृषीकेश सुलभ ने उक्त बातें इप्टा राज्य परिषद् के द्वारा आयोजित स्मृति सभा में कहीं . दिवंगत साथी के साथ बिताये लम्हों को याद करते हुए श्री सुलभ भावुक हो गए और कहा कि जितेंद्र भाई के साथ उनके स्कूटर पर आगरा की गलियों में घूमना हमेशा याद रहेगा और यह सालेगा कि अब कभी आगरा गया तो किसके साथ आगरा की गलियां घूमूँगा? जितेंद्र रघुवंशी के रचनात्मक योगदान की चर्चा करते हुए श्री सुलभ ने उनकी कहानियों को मंचित करने और इप्टा के दस्तावेज़ों का एक संग्रह प्रकाशित का सुझाव दिया. उन्होंने दिवंगत साथी के साथ हाल के विमर्शों को साथ करते हुए कहा कि पचास के दशक में इप्टा और इप्टा के दिल्ली राष्ट्रीय सम्मलेन के ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को किताब की शक्ल देना साथी जितेंद्र का ख्वाव था।

वरिष्ठ नाट्य निर्देशक परवेज़ अख्तर ने जितेंद्र रघुवंशी को याद करते हुए कहा कि इप्टा ने अपना नायक खो दिया है. हम जब इप्टा को राष्ट्रीय स्तर पर देखते हैं तो जितेंद्र भाई एक सशक्त संगठनकर्ता के रूप में नज़र आते थे. आज उनके जाने के बाद इप्टा को एक मज़बूत नेतृत्व देना बड़ी चुनौती होगी. वरीय अभिनेता जावेद अख़्तर खां ने कहा जितेंद्र जी एक सजग संस्कृतिकर्मी होने के साथ ही एक सुलझे हुए मज़बूत संगठनकर्ता भी थे. इप्टा के राष्ट्रीय संगठन को आगरा से चलाना एक चुनौती थी जिसे उन्होंने दशकों सफलतापूर्वक निभाया। 

स्मृति सभा में बोलते हुए बिहार इप्टा अध्यक्ष-मंडल के साथी समी अहमद ने कहा कि आज जब देश में सांस्कृतिक उन्माद बनाने की साजिश चल रही है और देश की अवाम जन नाट्य आंदोलन की ओर देख रही तो ऐसे समय में जितेंद्र भाई का जाना हमारे लिए अपूरणीय क्षति है. बिहार इप्टा के सचिव-मंडल एवं राष्ट्रीय संयुक्त सचिव-मंडल के साथी फीरोज़ अशरफ खां ने कहा कि पिछले सप्ताह ही हमने उनसे बात कर बिहार इप्टा के 15वें राज्य सम्मलेन की तैयारियों को लेकर चर्चा की थी और विशेष अतिथि के रूप में भागीदारी पर सहमति प्राप्त की थी, पर यह नहीं मालूम था कि हमें अपना सम्मेलन जितेंद्र जी के बिना ही करना होगा. उनका विनम्र व सौम्य व्यवहार अनुकरणीय है।

स्मृति सभा का संचालन करते हुए बिहार इप्टा के महासचिव व राष्ट्रीय सचिव-मंडल के साथी तनवीर अख्तर ने 1984 के आगरा कन्वेंशन को याद किया और इप्टा पुनर्गठन के साथी के जाने को व्यक्तिगत क्षति बतायी. उन्होंने कहा कि 15वाँ बिहार इप्टा राज्य सम्मेलन-सह-राष्ट्रीय सांस्कृतिक समारोह जितेंद्र रघुवंशी को समर्पित होगा. जन सांस्कृतिक आंदोलन को मजबूत करना साथी जितेंद्र रघुवंशी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
स्मृति सभा को बिहार इप्टा की उपाध्यक्षा उषा वर्मा, अभिनेता विनोद कुमार, बिहार इप्टा के कोषाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा, राज्य कार्यकारिणी सदस्य ओम प्रकाश प्रियदर्शी, पीयूष सिंह ने भी अपनी बात रखी.
स्मृति सभा में बड़ी संख्या में पटना इप्टा एवं पटना सिटी इप्टा से जुड़े इप्टाकर्मी शामिल हुए.
अंत में उपस्थित लोगों ने दो मिनट मौन रहकर साथी जितेंद्र रघुवंशी को श्रद्धांजलि दीं।

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