Monday, September 30, 2013

'MERA LAUNG GAWACHA' by Farrago Theatre Manch, Chandigarh

Farrago Theatre Manch, Chandigarh( Affiliated with Ipta-Chandigarh)'s presentation MERA LAUNG GAWACHA (A play on Women Empowerment) put on 11 Septe.,2013 at Punjab Kala Bhawan, Chandigarh - Story by Laly Chaudhary, Script by Legend late S. Gursharan Singh ji, Directed by : BALKAR SIDHU, Assisted by : Tejinder Joshi. Cast : Deepika Kohli, Kavita bandlish, Manish Devgun, Parveen Singh, Amarjit Singh, Parveen Sharma, Sushma Gandhi, Rajveer Kaur, Loveleen Kaur, Tejinder Joshi & Balkar Sidhu. Music & Sound handlng by : Manish Kumar. Lights handling by : Amarjit Singh & Tejinder Joshi, Make-up by : Baljit Bala. Production Executors : Parveen Singh & Ritu Sharma. Back Stage : K.N.S. Sekhon, Baljinder Darapuri, Darshan Teona & Ishwar Singh.
By: Ipta Chandigarh


आगरा में भगतसिंह जयंती पर इप्टा द्वारा नाटक व जनगीतों की प्रस्तुति

गरा। ‘ब्रिटिश हुकूमत के फैसले तो अब इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं। न तो हममें इनको सुनने की ख्वाहिश बची है और न ही इनका इंतजार करने का सब्र’। लाहौर षड़यंत्र केस की सुनवाई के दौरान भगत सिंह का यह बयान शहीद-ए-आजम की जयंती के मौके पर इप्टा की ओर से पेश किए गए नाटक में दोहराया गया। भावपूर्ण नाट्य प्रस्तुति ने लोगों को गुलाम भारत की तस्वीर दिखा दी।

शुक्रवार को शहीद स्मारक पर भारतीय नाट्य संघ की ओर से नाटक पेश कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कलाकारों ने भगत सिंह के किरदार को जीवंत कर दिया। नाटक देखने आए दर्शकों ने भी हर दृश्य पर जमकर तालियां बजाई। पीयूष मिश्रा लिखित नाटक ‘गगन दमामा बाज्यों’ का समन्वयन दिलीप रघुवंशी और संयोजक डॉ. विजय शर्मा ने किया। शहीद भगत सिंह की अनेक भूमिकाओं को अर्जुन गिरी, मानव रघुवंशी, निर्मल सिंह, सूरज सिंह, मनीष कुमार, स्वीकृति सेठी, मोनिका जैन ने निभाया।

रघुवंशी स्कूल आफ एक्टिंग, टूंडला के छात्रों ने ‘सरफरोशी की तमन्ना’ गीत पेश कर लोगों का दिल जीत लिया। इस दौरान कलाकारों ने राजेंद्र रघुवंशी, शलभ श्रीराम और खेम सिंह नागर के सामयिक गीतों का गायन किया। ‘डूब गयी कीमत तेरे रुपैया की, हैं चोरन के सर्राटे मुश्किल है मेहनत करवैया की’। कार्यक्रम का शुभारंभ सरोज गौरिहार, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. अनुराग शुक्ला, सुबोध गोयल आदि ने क्रांतिकारियों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। जितेंद्र रघुवंशी, डॉ मनुकांत शास्त्री, जगदीश शर्मा, चंद्रमोहन पाराशर आदि ने शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी। इससे पूर्व कलाकारों ने नूरी दरवाजा स्थित शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर देश भक्ति गीत गाए। ‘फांसी का फंदा चूम कर मरना सिखा दिया, मरना सिखा दिया हमें जीना सिखा दिया’।

साभार : अमर उजाला

अमर उजाला












कल्पतरू एक्सप्रेस










नवलोक टाइम्स





















सी एक्सप्रेस








इप्टा की पलामू शाखा द्वारा भगत सिंह की जयंती पर कार्यक्रम

मेदिनीनगर।  इप्टा की पलामू शाखा ने भगत सिंह की जयंती पर कार्यक्रम का अयोजन किया। शुक्रवार को भगत सिंह चौक पर इप्टा के कलाकारों ने शहीदों ले लो मेरा सलाम गीत के जरिए भगत सिंह को याद किया। आलोक श्रीवास्तव ने भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाज जिस भटकाव की ओर जा रहा है। ऐसे समय में भगत सिंह के विचारों की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। 

इस अवसर पर इप्टा के बाल कलाकारों ने भगत सिंह के विचारों पर आधारित कविता का पाठ भी किया। इसमें प्राणजय, सौरभ, शशांक, सोना, सानू आदि ने भाग लिया। वहीं यश प्रकाश ने भगत सिंह के क्रांति के संदर्भ में दिए गए बयान को प्रस्तुत किया। इप्टा के कलाकारों ने समर केतू द्वारा लिखित नाटक(रक्तबीज) की प्रस्तुति की। कार्यक्रम कें उपेंद्र मिश्रा, शैलेंद्र कुमार, शैलेंद्र सिंह, नंदलाल सिंह, आलोक श्रीवास्तव, शब्बीर अहमद, प्रेम प्रकाश, राजीव रंजन, समरेश, संजू, अजीत, रवि आदि शामिल हैं।

साभार : दैनिक जागरण

रायबरेली इप्टा का नाटक "अभी तो हम गुलाम हैं"

रायबरेली। रायबरेली उ.प्र. इप्टा द्वारा एक सप्ताह के विशेष आयोजन के तहत विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में स्थानीय इप्टा इकाई ने विभिन्न स्थलों पर नाटक "अभी तो हम गुलाम हैं" का प्रदर्शन किया। इप्टा इकाई द्वारा भगत सिंह जयंती का आयोजन भी किया गया।

नाटक "अभी तो हम गुलाम हैं" का एक दृश्य






















भगतसिंह जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम

भिलाई इप्टा द्वारा अंतरमहाविद्यालयीन नाटक स्पर्धा तथा भगत सिंह व गांधी पर विचार गोष्ठी

































Monday, September 23, 2013

Mumbai : Elimination Round of 42nd Inter Collegiate Drama Competition

Bhavan's college chowpatty's play THAT'S 
IPTA Mumbai's Elimination Round of 42nd Inter Collegiate Drama Competition was held on 16th Sept, 17th Sept and 19th Sept 2013 at Mysore Association Auditorium, Matunga East. Out of 24 Colleges 1 College dropped out and 23 Colleges performed. Out of 23 Colleges 6 colleges have been selected for the Final Round which will be held on Tuesday 24th sept 2013 from 2pm onwards at Tejpal Auditorium, Gowalia Tank, Grant Road West. The names of the selected colleges for the finals and the names of their plays are as follows:

1 BHAVAN'S COLLEGE CHOWPATTY -----------THAT'S ALL
2 ST. G.G. COLLEGE ------------ I LOVE YOU RASNA
3 NAGINDAS KHANDWALA COLLEGE ------------- DIAL 101
4 PATKAR VARDE COLLEGE ---------MASOOM LAFANGE
5 SIDDHARTH COLLEGE ---------------------- UTTARARDH
6 MITHIBAI COLLEGE -------RISHTA ELECTRONIC TAAR KA



इप्टा का दो दिवसीय लोक कला उत्सव


कपूरथला : गदर लहर की शताब्दी को समर्पित दो दिवसीय लोक कला उत्सव इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन (इप्टा) द्वारा रेडिका के वारिस शाह हाल में रविवार को उत्साह व उमंग से शुरू हुआ। इसका शुभारंभ नामधारी सुखविंदर सिंह करतारपुर, सीएमएम रेडिका परमजीत सिंह, जसबीर सिंह अरोड़ा, लक्ष्मण दास, इंद्रजीत रुपोवाली, रुप परदेसी ने संयुक्त तौर पर शमां रोशन करके किया। कार्यक्रम के पहले सत्र में जम्मू से इप्टा के  के इतिहास संबंधी प्रो. मलविंदर सिंह वड़ैच व स्वर्ण सिंह विर्क ने पर्चे पढ़े। विर्क ने अनछुए मुददों को छुआ और इप्टा के जुझारु स्वभाव व लोक हितों के मर मिटने की चाह की बातें की। इप्टा दिल्ली ने 'जुलूस' नाटक का मंचन किया। इप्टा चंडीगढ़ ने भाई गुरशरण सिंह का लिखा नाटक 'मेरा लोंग गवाचा', इप्टा जम्मू ने विजय मल्लाह के निर्देशन में नाटक 'रोटी रिझक' और 'मुस्तकबिल' का सफल मंचन किया। पंजाबी नाटक के 100 वर्ष पूरे होने पर डा. कुलदीप सिंह दीप, डा. सीता राम बांसल ने आजादी लहर में गदर लहर का योगदान विषय पर पर्चे पढ़े। सांस्कृतिक कार्यक्रम दौरान पंजाब का लोकनाच भंगड़ा पेशकर युवाओं ने उपस्थिति को थिरकने पर मजबूर कर दिया।

मौके पर बलवंत सिंह, कामरेड हरनाम दास, बिशरत मसीह, धर्मपाल पेंथर, डा. स्वराज संधू, चमन लाल भारती, कंवलनैन सिंह सेखों, गुरदियाल सिंह निर्माण, हरजीत केंथ, सर्बजीत रुपोवाली व मुकंद सिंह आदि उपस्थित थे।

जागरण से साभार

Friday, September 13, 2013

SAHMAT's SEMINAR on "Secularism & the Arts"

Secularism and the Arts
26-28 September 2013
Sahitya Akademi, Ferozshah Road, New Delhi

Welcome Address: Sohail Hashmi
Day 1: Thursday, 26 September 2013
Session I: The Secular: A Historical Perspective
  • Irfan Habib: Secularism: In Theory and Practice” (40 mts.)
  • Mihir Bhattacharya: The Historical Practice of Irreligion (40 mts.)
  • Romila Thapar : Redifining the Secular Mode for India”
Chair: Prabhat Patnaik
(Lunch)
Session II: Evolution of a Secular Worldview: As Reflected in Music and the Performing Arts
  • Malini Bhattacharya: Secularism in the Folk Tradition of Bengal (25 mts.)
  • Madhu Trivedi: The Secular Element in North Indian Performing Arts (25 mts.)
  • Vidya Shah:Spoken like women: Feminine iterations in mystic poetry (25 mts.)
  • Jitendra Raghuvanshi: Awami Rangmanch: Rang-e-Noor ka Karwan (25 mts.)
  • Madangopal Singh: Tying the Secular Knot (25 mts.)
Chair: M. K. Raina
6.30 pm Poetry Recitation at Attic, Regal Building
Day 2: Friday, 27 September
Session III: Tracing the Contours of the Secular in the Visual Arts
  • Ghulam Muhammad Sheikh: Art, Artists and Belief Systems (45 mts)

Chair: Kavita Singh
  • N Pushpmala : Talk by Pushpmala (20 mts.)
  • Ram Rahman : Talk by Ram Rahman (20 mts.)

Chair: S. Kalidas

(Lunch)



Session IV: Tracking the Trajectory of the Secular/Communal Impulse in Indian Cinema (Panel Discussion)
  • Sashi Kumar (Moderator)
  • Sadanand Menon
  • Dibakar Banerjee
  • Subhash Kapoor
  • Zia-us- Salam

6.00 pm An Evening of Poetry
Day 3: Saturday, 28 September
Session V:Reflections in Urdu Literature
  • Shireen Moosvi: Secularism in Urdu Poetry: From Mir to Faiz
  • Ramesh Dixit: Urdu Poetry & Composite Culture
  • Khurshid Akram:Secularism, Aqliyat aur Urdu Kahani Aaj (Secularism, Minorities and the Urdu Short Story Today)
  • Salil Misra: Alternative Perspectives on Religion in Urdu Poetry: Nazir and Akbar
  • Naresh Nadeem: Sufism, Independence, Secular in Urdu Poetry

Chair: Ali Javed
(Lunch)
Session VI: Reflections in Hindi Literature
  • Manmohan: -Hindi ke Jatiy Gathan ki Vidambna aur Secular Virasat  
  • Jawarimal Parakh: Hindi Sahitya ki Laukik Parampara: Pahchaan ke bindu
  • Asad Zaidi: On the so-called Hindi Public Sphere
Chair: Ashok Vajpeyi
Concluding Remarks


Tuesday, September 10, 2013

मकड़जाल : नाट्यालेख

-राकेश

पात्र
1- पूंजीपति, 2- सूत्रधार, 3- किसान, 4-लड़की, 5-संविदा कर्मचारी, 6- छात्र,
7-पब्लिक सेक्टर कर्मचारी, 8- सेल्स इक्जीक्यूटिन

(सारे पात्र एक किनारे पर लाइन से खड़े है, पूंजीपति काल्पनिक अथवा असली गेंदनुमा ग्लोब को हवा में उछाल कर कैच करता है फिर मंच के केन्द्र में आ कर पैर से ग्लोब को बहुत दूर हवा में उछाल देता है। केन्द्र में खड़ा होकर काल्पनिक रस्सी का एक फन्दा किसान की ओर उछालता है किसान उसे खुशी से पहनता है। पूंजीपति किसान को अपनी तरफ खींचता है, फिर एक तरफ खड़ा कर देता है। इसी तरह सारे पात्र पूंजीपति द्वारा फेंके गये फन्दे को खुशी-खुशी पहनते है और फिर उसके इशारे पर उसके चारों ओर खड़े हो जाते है। दूसरी बार पूंजीपति किसान की ओर मोबाइल, सेल्स इक्जीक्यूटिव की तरफ लैपटॉप, लड़की की तरफ सौन्दर्य प्रसाधन, संविदा कर्मचारी की तरफ कार, छात्र की तरफ मोटर साइकिल, पब्लिक सेक्टर कर्मचारी की तरफ सेन्सेक्स का फन्दा फेंकता है, फन्दे में फंसते ही सारे पात्र एक साथ बोलते है) -सेन्सेक्स ..

(पूंजीपति पब्लिक सेक्टर कर्मचारी को अपनी तरफ खींचता है) पब्लिक सेक्टर कर्मचारी- (ऊपर की ओर देखता हुआ) चौदह हजार, सोलह हजार, अठ्ठारह हजार (पूंजीपति छींकता है) पब्लिक सेक्टर कर्मचारी (अपने स्थान पर वापस लौटते हुए) सत्रह हजार, पन्द्रह हजार, तेरह हजार..

(पूंजीपति मोटर साइकिल चलाने का अभिनय कर रहे छात्र को काल्पनिक रस्सी से खींच कर मंच के अग्रभाग में दाहिनी ओर खड़ा करता है, साथ ही लड़की को भी काल्पनिक रस्सी के सहारे खींचता है जो कैट वाक करती हुई पूंजीपति के इशारे पर छात्र के कंधे पर हाथ रखकर खड़ी हो जाती है तथा पूंजीपति को पास आने का निमंत्रण देती है जो खींच कर छात्र को दूसरी तरफ कर देता है साथ ही कार चलाने का अभिनय कर रहे संविदा कर्मचारी की रस्सी को भी खींच देता है, पूंजीपति लड़की की ओर बढ़ता है तथा साथ ही मोटर साइकिल चला रहे छात्र एवं कार चला रहे संविदा कर्मचारी तेजी से एक दूसरे से भिड़ जाते हैं। पूंजीपति अपने स्थान पर लौटता है और केन्द्र में खड़ा हो कर एक तरफ के पात्र की तरफ बैट और दूसरे पात्र की ओर गेंद उछालता है। गेंद वाला पात्र गेंद फेंकता है, बल्लेबाज तेजी से बल्ला घुमाता है, सारे पात्र गेंद को ऊपर जाते हुए देखते हैं, पूंजीपति हाथ उठाकर छक्के का इशारा करता है, सारे पात्र आईपीएल के नृत्य के अन्दाज में नृत्य करते है। नृत्य समाप्त होते ही पंूजीपति सारे पात्रों को काल्पनिक रस्सी के सहारे गोलाकार घुमाता है फिर रस्सी को छोड़कर धीरे-धीरे बाहर निकल जाता है, सभी पात्र एक चक्कर लगा कर अपने-अपने स्थानों पर खड़े हो जाते है।)

(सूत्रधार का प्रवेश)

सूत्रधार - (पात्रों के पास जाने की कोशिश में जाल की रस्सियों से टकराता है) कैसा जाल है यह, पारदर्शी, महीन और चमकदार
लड़की - जाल नहीं प्यास है यह
सारे पात्र - जाल नहीं प्यास है यह
लड़की - प्यास को जरा बढ़ा के तो देखो
सारे पात्र - प्यास को जरा बढ़ा के तो देखो
सूत्रधार - प्यास! प्यास तो सचमुच लगी है पर पानी कहाँ है।
लड़की - प्यास नहीं तूफान है यह।
सारे पात्र - प्यास नहीं तूफान है यह।
लड़की - तूफां को होंठों से लगा के तो देखो।
सारे पात्र - तूफां को होंठों से लगा के तो देखो।

कोरस :
फन्दा बहुत हसीन है,
सपनों का मायाजाल.........2
ऊँची यहाँ दुकानें,
ऊँची यहाँ उड़ानें
ट्वन्टी फोर इन्टु सेविन,
बाजार के तरानें।
एफडीआई की धुन पर,
यह नाचता कमाल
फन्दा बहुत हसीन है..........2
यह चौड़ी-चौड़ी सड़कें,
हूटर बजाती मोटर।
आदमी है क्या यहाँ,
बस पांच साला वोटर।
एक वोट का ही धन है,
वैसे तो फटे हाल।
फन्दा बहुत हसीन है............2

सूत्रधार - (सारे पात्रों के पास जाने की कोशिश में जाल की रस्सियों से टकराता है) इतने सारे लोग इस जाल में फंसे है, क्या यह अपने आस-पास पड़े इन फन्दों को देख पा रहे है। चलिये इन्ही से पूछता हूँ (जाल से बचते हुए किसान के पास जाता है) किसान से कौन हो भाई तुम?
किसान - मैं एक किसान हूँ। फसल बेचने शहर जा रहा हूँ।
सूत्रधार - तुम इस जाल में कैसे फंस गये?
किसान - कौन सा जाल, कैसा जाल
सूत्रधार - तुम्हारे आस-पास जो यह पारदर्शी, महीन और चमकदार फन्दा है क्या तुम इसे देख नहीं पा रहे हो।
किसान - यह फन्दा नहीं भाई सुनहरे सपनों की डोर है यह देखो यह किसान क्रेडिट कार्ड और यह हरियाली का कार्ड।
सूत्रधार - हरियाली?
किसान - हाँ जैसे तुम्हारे शहर का मॉल, जहाँ एक साथ सारा सामान मिल जाता है।
सूत्रधार - पर यह जो तुम्हारी गर्दन के आस-पास फन्दा पड़ा है ।
किसान - फिर फन्दा, बौरहे हो क्या, यह मेरी जमीन की डील के कागजात है
सूत्रधार - जमीन की डील?
किसान - हाँ जो यहाँ से वहाँ तक जमीनें देख रहे हो यह मेरी ही हैं और अब यहाँ एक नया शहर बनने जा रहा है भला सा नाम है उसका हाई-हाई.......
सूत्रधार - हाईटेक सिटी
किसान - हाँ हाँ वही मुझे मेरी जमीन का मुआवजा मिलेगा उसे मैं दनादन बैंक में जमा करूँगा।
सूत्रधार - दनादन बैंक?
किसान - हाँ नये जमाने का बैंक है, खचाड़ा सरकारी बैंकों की तरह नहीं, तीन महीने में पैसा दुगुना करने की गारण्टी (सपना देखता हुआ सा) फिर मैं लड़के को बड़े स्कूल में पढ़ाऊंगा, बेटी की धूमधाम से शादी करूँगा, बूढ़े माँ बाप का इलाज कराऊंगा।

सूत्रधार - कितना भोला है यह किसान काश इसे पता होता कि यह जाल उसके गाँव के पोखर से लेकर नदियों और समुद्रों तक फैला है। किसान की जमीन से लेकर आदिवासियों के जंगल तक इसकी जद में हैं। (संविदा कर्मचारी की ओर जाता है) कौन हो भाई तुम?

संविदा कर्मचारी - मैं संविदा कर्मचारी हूँ।
सूत्रधार - तुम किस जाल में फँस गये हो?
संविदा कर्मचारी - सुबह 8 बजे का आया हूँ, रात के 8 बज गये है, काम अभी पूरा नहीं हुआ और काम पूरा नहीं हुआ तो कल से छुट्टी। काम पूरा करुँ की जाल देखूँ।
सूत्रधार - तुम समझ नहीं रहे हो, तुम्हें तुम्हारे काम के घण्टों का, न्यूनतम वेतन, प्राविडेन्ट फण्ड ईएसआई का अधिकार नहीं मिल रहा है, तुम शोषण के जाल में फंसे हो। तुम्हें अपने.......
संविदा कर्मचारी - (बीच में काट कर) भाषण सुनने का टाइम नहीं भाई, मुझे मेरा काम पूरा करने दो। मुझे सांस लेने की फुर्सत नहीं।

सूत्रधार - अजीब आदमी है, दस्तखत करता है 10 हजार पर पाता है पांच हजार पर इसे इस जाल को देखने की फुर्सत नहीं। चलो दूसरे से पूछता हूँ, कौन हो भाई तुम?।

सेल्स इक्जीक्यूटिव - आपको क्या चाहिये, क्रेडिट कार्ड, स्कूटर लोन, कार लोन, हाउसिंग लोन, मैरिज लोन, कन्ज्यूमर लोन, मेडिकल लोन, एजूकेशन लोन।
सूत्रधार - नहीं मुझे कोई लोन नहीं चाहिए मैने पूछा................
सेल्स इक्जीक्यूटिव - (बीच में काट कर) आपको इन्वेस्ट करना है। शेर, म्युचुअल फण्ड, इंश्योरेन्स और सबसे अच्छा इन्वेस्टमेन्ट दनादन बैंक तीन महीने में दो गुने की गारण्टी।
सूत्रधार - मुझे न लोन लेना है न इन्वेस्ट करना है मैंने सिर्फ इतना पूछा तुम हो कौन?
सेल्स इक्जीक्यूटिव - मैं जेसीएसपी कम्पनी का सेल्स इक्जीक्यूटिव हूँ। मल्टीनेशनल कम्पनी है, हमारी कम्पनी का शेयर दिन दूना रात चौगुना चढ़ रहा है।
सूत्रधार - पर इस कम्पनी का नाम तो कभी सुना नहीं। जेसीएसपी कम्पनी, इसका फुल फार्म क्या है?
सेल्स इक्जीक्यूटिव - जो चाहो सो पाओ कम्पनी, एक कम्पनी में 3735 पोर्ट फोलियो। अब बताइये आप लोन लेंगे या इन्वेस्ट करेंगे।
सूत्रधार - मुझे न लोन लेना है न इन्वेस्ट करना है। मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ तुम इस जाल में कैसे फंस गये?
सेल्स इक्जीक्यूटिव - कौन सा जाल, कैसा जाल?
सूत्रधार - हैरत है, तुम अपने आस-पास पड़े फन्दे को नहीं देख पा रहे हो?
सेल्स इक्जीक्यूटिव - फन्दा नहीं भाई, यह पोर्ट फोलियो है यह लोन का, यह शेयर मार्केट का यह वायदा कारोबार का।
सूत्रधार - और यह जो तुम्हारी गर्दन के आस-पास फन्दा है?
सेल्स इक्जीक्यूटिव - अरे भले आदमी फन्दा नहीं है यह तो योग का, भक्ति का अनुष्ठान का पोर्ट फोलियो है। थकान हो, टेंशन हो, डायबिटीज या ब्लड प्रेशर सब गायब। योग गुरु की जय बापू महाराज की जय। श्री श्री श्री श्री श्री सन्त की जय। (सारे पात्र जय बोलते है।)

सूत्रधार - अरे यह तो ध्यान लगाकर बैठ गया, काश इसे पता होता है कि यह जाल इसके ड्राइंग रुम से इराक के तेलकुओं तक फैला है, दिमाग से आत्मा तक की खरीद फरोख्त हो रही है। चलो इन मोहतरमा से पूछता हूँ। कौन हो तुम?

लड़की - मुझे नहीं जानते मैं बाजार की ब्राण्ड एम्बेसडर हूँ। ब्लेड हो, शेविंग क्रीम शैम्पू, क्रीम या डीओ, फ्रीज, टीवी, मोटरसाइकिल या कार। मेरे धम पर चलता है बाजार।
सूत्रधार - लेकिन तुम ही जाल में कैसे फंस गयी?
लड़की - कौन सा जाल, कैसा जाल।
सूत्रधार - तुम अपने आस-पास पड़े फन्दे को नहीं देख पा रही हो क्या?
लड़की - यह फन्दा नहीं मिस इण्डिया की सीढ़ी है। (सपना देखती हुई) मिस इण्डिया, मिस वर्ल्ड, मिस यूनीवर्स और फिर रुपहले पर्दे पर (सारे पात्र आकर ऑटोग्राफ के लिए हाथ आगे करते है।)

सूत्रधार - अरे यह तो सपने में है और इसके सपने में हैं जीरो फिगर, सिनेमा का रुपहला पर्दा काश इसके सपने में पितृ सत्ता, यौन हिंसा और उत्पीड़न से मुक्ति की चाहत होती। चलो दूसरे से पूछता हूँ। कौन हो भाई तुम (छात्र लैपटॉप पर काम करते हुये उसकी तरफ देखता नहीं)

सूत्रधार - मैंने पूछा तुम कौन हो भाई?
छात्र - स्टूडेन्ट हूँ।
सूत्रधार - तुम इस जाल में कैसे फंस गये?
छात्र - जाल नहीं यह मेरा आखिरी प्रोजेक्ट है।
सूत्रधार - प्रोजेक्ट क्या है?
छात्र - कृषि क्षेत्र को एफडीआई से होने वाले फायदे और नुकसान। 5000 से ज्यादा किसानों का सैम्पुल सर्वे है।
सूत्रधार - नतीजा क्या है?
छात्र - एफडीआई से किसानों को बहुत फायदा होने वाला है और मेरा ग्रेडेशन भी ।़ होगा।
सूत्रधार - तुम पढ़ते कहाँ हो?
छात्र - आईआईएमपीडी कॉलेज मंे।
सूत्रधार - इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट, प्लानिंग एण्ड डेवेलपमेन्ट, इसकी फीस तो बहुत ज्यादा है।
छात्र - जेसीएसपी कम्पनी ने एजूकेशन लोन दिलाया 30 लाख, 30 से 35 लाख तक का पैकेज मिलेगा, 1 साल में एजूकेशन लोन अदा कर दूंगा अगले साल गाड़ी, तीसरे साल मकान और फिर..............

सूत्रधार - यहाँ तो हर कोई सपने में है चलो इन साहब से पूछता हूँ। कौन है भाई आप?
पब्लिक सेक्टर कर्मचारी - मैं पब्लिक सेक्टर का कर्मचारी हूँ।
सूत्रधार - कर्मचारी मतलब मजदूर।
पब्लिक सेक्टर कर्मचारी - कैसी बातें करते है, मजदूर तो वह होते है जो दिहाड़ी पर काम करते है, हाथ पैर से काम करते है मतलब दिमागी काम नहीं करते। मैं बाबू हूँ और जल्दी अफसर बनने वाला हूँ।
सूत्रधार - आप इस जाल में कैसे फंस गये।
पब्लिक सेक्टर कर्मचारी - आप इनकी बात कर रहें है, भूमण्डलीयकरण, उदारीकरण, निजीकरण वगैरह-वगैरह की न।
सूत्रधार - जी बिल्कुल
पब्लिक सेक्टर कर्मचारी - मैं इन सब चीजों के बारे में जानता हूँ हमारे यहाँ हड़ताले होती हैं लेकिन यह रुकने वाला नहीं है। यूनियनें लड़ रही है पर मुझे इससे क्या, मैं अपने काम से काम रखता हूँ मैं अपना प्रोमोशन देखूँ या जाल देखूँ।
सूत्रधार - आप समझ ही गये होंगे कि यह मकड़ जाल है। आप यह भी समझ गये होंगे कि इसे बुनने वाला कौन है और फंसने वाले कौन? आपने कभी मकड़े को जाल बुनते देखा है। वह बहुत होशियारी और चालाकी से एक जाल बुनता है। जाल बुनकर वह अपनी मांद में लौट जाता है और फिर आराम से किसी कीड़े या मक्खी के फँसने का इन्तजार करता है, जैसे ही कोई छोटा मोटर कीड़ा या मक्खी जाल में आकर फंसती है मांद में बैठा मकड़ा धीमे-धीमे बाहर निकलता है, मक्खी जाल से निकलने की जितना भी कोशिश करती है और फंसती जाती है। मकड़ा जाल के सहारे ही दबे पांव मक्खी के पास पहुंचता है और अपना खूनी पंजा उस पर गड़ा देता है, उसका खून चूसता है, वापस मांद में लौट जाता है, वह फिर आता है और तब तक मक्खी का खून चूसता रहता है जब तक वह अपना दम नहीं तोड़ देती। वह एक दो तीन सैकड़ो मक्खियों का खून चूसता रहता है। परजीवी मकड़ा एक मक्खियाँ अनेक लेकिन जाल में फंसी हुई।

(पूंजीपति धीमी गति से मकड़े के अन्दाज में सभी पात्रों का खून चूसता है जो छटपटाते है)

पूंजीपति - ऐ इधर आओ तुम लोगों को बहकाने की कोशिश क्यों कर रहे हो?
सूत्रधार - बहकाने की ...... मैं लोगों को सच बता रहा हूँ।
पूंजीपति - तुम विकास को जाल कहते हो फन्दा कहते हो देखते नहीं जिस देश में अभी कुछ साल पहले तक टेलीफोन के लिए लाइन लगानी पड़ती थी आज रिक्शे वाले के पास भी मोबाईल है। चमचमाती गाड़ियाँ है, आठ लेन की चौड़ी सड़के है। माल है, मल्टीप्लेक्स है सैकड़ों चैनल, उंगली के इशारे पर पूरी दुनियाँ तुम्हारे सामने। तुम्हारी जरुरत ऐशोआराम का हर सामान और तुम्हारे जैसे पागल इसे फन्दा कहते है।
सूत्रधार - लेकिन देश के अस्सी फीसदी लोग 20 रु0 रोजाना पर बसर कर रहे हैं अशिक्षा है, बेरोजगारी है भुखमरी है, कुपोषण है। देखो जरा जाल में फंसे इन लोगों की हालत (मकड़ा एक एक करके खून चूसता जाता है)

किसान - मेरी जमीन चली गयी। जिस बैंक में पैसा जमा किया था वह भगोड़ा निकला। (गले में फन्दा लगाता है।)
छात्र - बड़े इंस्टीट्यूट से एमबीए के बाद भी नौकरी नहीं
लड़की - मैं देह के सहारे मुक्ति का सपना तलाश रही थी पर मैं....... (रोते-रोते बैठ जाती है।)
सेल्स इक्जीक्यूटिव - सारे के सारे शेयर डूब गये। इंवेस्टमेन्ट कम्पनियाँ भाग गई मैं क्या करुँ (गले में फांसी का फन्दा लगाता)
संविदा कर्मचारी - नई सरकार आई नये ठेकेदार आ गये। मुझ समेत सारे पुराने कर्मचारी बाहरी हो गये है। (गले में फन्दा लगाता)
पब्लिक सेक्टर कर्मचारी - मेरी फैक्ट्री में 700 लोग काम करते थे, निजीकरण के बाद 700 रह गये है। काम का बोझ और वेतन में कटौती। श्रम कानूनो का पालन नहीं हो रहा है। (गले में फन्दा लगाता)

सूत्रधार - देखो जरा फन्दे में फंसे इन लोगों की हालत लड़कियाँ दरिन्दगी का शिकार बनायी जा रही है, किसान और मजदूर आत्महत्या कर रहे है।
पूंजीपति - हानि लाभ जीवन मरण यश-अपयश विधि हाथ। उसे न मैं बदल सकता हूँ न तुम लेकिन मैंने मरने वालों की सदगति के लिए बैकुण्ठ धाम का सुन्दरीकरण किया है। जो वहां एक बार जाता है बार-बार जाना रहता है।
सारे पात्र - आमीन
सूत्रधार - तुम मकड़े से भी घृणित मौत के सौदागर हो लेकिन अब तुम बच नहीं सकते, देखो लोग अब जाग रहे है।

किसान - फ सल का वाजिब दाम दो।
मेरी जमीन वापस करो।
संविदा कर्मचारी - ठेकेदारी प्रथा नहीं चलेगी
श्रम कानूनो का पालन हो।
न्यूनतम वेतन लेके रहेंगे।
लड़की - महिलाओं का उत्पीड़न बन्द करो
यौन हिंसा अब और नहीं
सेल्स इक्जीक्यूटिव - उदारीकरण धोखा है
निजीकरण धोखा है
एफडीआई धोखा है। (सारे पात्र नारे दोहराते है)

पूंजीपति - (जोर जोर से हंसता है) जब कभी यह जागने लगते है तो इन्हे फसाने नहीं नहीं लड़ाने का एक फन्दा और है मेरे पास (फेंकता है)यह सदियों पुराना परम्परा और धर्म का फन्दा और यह-यह लो पितृ सत्ता का फन्दा (सारे पात्र अभिनय करते हुए आपस में लड़ने लगते है)

सूत्रधार - अब आप ही बताइये इस जाल को तोड़ने का कोई रास्ता है?
सारे पात्र - आप ही बताइये इस जाल को तोड़ने का कोई रास्ता है?


कोरस :
फन्दा बहुत हसीन है,
सपनों का मायाजाल.........2
ऊँची यहाँ दुकानें,
ऊँची यहाँ उड़ानें
ट्वन्टी फोर इन्टु सेविन,
बाजार के तरानें।
एफडीआई की धुन पर,
यह नाचता कमाल
फन्दा बहुत हसीन है..........2
यह चौड़ी-चौड़ी सड़कें,
हूटर बजाती मोटर।
आदमी है क्या यहाँ,
बस पांच साला वोटर।
एक वोट का ही धन है,
वैसे तो फटे हाल।
फन्दा बहुत हसीन है............2

Brochure release program of IPTA NATTARANGU, Alappuzha,

Alappuzha. Brochure of IPTA Nattarangu Folk group,Alappuzha was released on 8th September 2013.The The function was inaugurated by Dr. T.M.Thomaslssac,MLA.Adv. N.Balachandran(General Secretary,Kerala IPTA),T.S.Santhosh & C.P.Maneksha (Alappuzha DC),Sanjeev Kattoor,Gireesh Anamdan & others attended the program.