Wednesday, July 31, 2013

प्रेमचंद भारत के किसान को साहित्य के केंद्र मे लाये

शोकनगर। दिनांक 30 जुलाई 2013 को कालजयी कथाकार मुंशी प्रेमचंद के 133वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर उनकी स्मृति को समर्पित एक महत्वपूर्ण आयोजन अशोकनगर भारतीय जन नाट्य संघ ( इप्टा ) और प्रगतिशील लेखक संघ ने संयुक्त रूप से स्थानीय माधव भवन में आयोजित किया । इस कार्यक्रम में अनेक श्रोताओं के अलावा पचास से ज़ियादा बच्चे भी शामिल हुये । 

इस अवसर पर बच्चों की रचनाओं पर एकाग्र - 'बाल रंग सम्वाद' ( चौबीस पृष्ठीय अखबार ) का विमोचन मंचासीन संस्कृतिकर्मियों द्वारा किया गया। यह अखबार  बाल एवम किशोर नाट्य कार्यशाला के समापन पर 25 मई को निकाला जाना था, पर इसके प्रकाशन में देरी हुयी। इस अखबार में बच्चों की रचनाओं , चित्रों , साक्षात्कारों और डायरी के अलावा रंगकर्म से संबद्ध महत्वपूर्ण सामग्री प्रकाशित की गयी है ।

'बदलता हिंदी समाज और प्रेमचंद' विषय पर विनोद शर्मा ने आधार वक्तव्य देते हुये कहा कि – “ प्रेमचंद की यह मौलिक उपलब्धि थी के वे भारत के किसान को साहित्य के केंद्र में लाये,  “ उन्होंने आगे बोलते हुये कहा कि ‌- “ शोषण के औजार भले ही बदल गये हों पर उसकी मूल प्रकृति आज भी वही है , स्वतंत्रता के इतने सालों बाद भी किसान जब आत्महत्याएं कर रहे हों तब प्रेमचंद की याद आना स्वाभाविक है ” । 

विनोद शर्मा ने दु:खी मन से कहा कि – “ मैं जिस गांव के स्कूल में पढ़ाने जाता हूं उस गांव का नाई आज भी दलितों के बाल नहीं काटता। गैर बराबरी से अगर हमें लड़्ना है तो हमारे युवाओं को प्रेमचंद को पढना होगा।"    पंकज दीक्षित , अर्चना प्रसाद , विवेक आदि ने भी गोष्ठी में अपने विचार रखे । कार्यक्रम की शुरूआत में इप्टा से जुड़े बच्चों ने केदारनाथ अग्रवाल की कविता "मार हथौड़ा कर-कर चोट"  का गायन किया तथा जनगीत भी गाये । गोष्ठी की अध्यक्षता स्थानीय वरिष्ठ साहित्यकार सत्यनारयण सक्सेना ने की तथा संचालन युवा कवि अभिषेक अंशु ने किया । इप्टा के सचिव सिद्धार्थ ने आमंत्रित-जनों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया ।

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