Monday, June 17, 2013

'अंधेर नगरी' के साथ बाल नाट्य कार्यशाला का समापन

जनगीत प्रस्तुत करते बाल कलाकार
डोंगरगढ़। इप्टा व  ‘विकल्प’  द्वारा आयोजित बाल नाट्य कार्यशाला का समापन समारोह स्थानीय मारवाड़ी धर्मशाला में 15 जून को संपन्न हुआ, जिसमें बच्चों ने जनगीत, कविता व नाटकों की प्रस्तुति की। कार्यशाला का संचालन दस्तक नाट्य समूह, रांची के पुंजप्रकाश ने किया।

कार्यक्रम के आरंभ में कार्यशाला में तैयार किये गये जनगीतों की प्रस्तुति की गयी, जिसका निर्देशन मनोज गुप्ता ने किया था। ढोलक पर संगति हृदयेश यादव की थी। इसके बाद रायगढ़ इप्टा की अपर्णा के निर्देशन में बच्चों ने नाटक ‘‘हम हैं कौवे’’ का मंचन किया। नाटक में 4 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों की देह-भाषा उनके आत्मविश्वास को प्रतिबिंबित कर रही थी और प्रस्तुति का शिल्प एक अत्यंत प्राचीन कथा को भी ताजगी प्रदान करने वाला था।

राजेश जोशी की कविता 'इत्यादि' के मंचन का एक दृश्य
कार्यशाला की बालिकाओं ने राजेश जोशी की कविता ‘इत्यादि’ का मंचन किया, जिसका निर्देशन पुंज प्रकाश ने किया था। एक छोटे कस्बें में दर्शकों की प्रशिक्षा नाटक में ‘कहानी’ देखने की है और यह प्रस्तुति इस बंधी-बंधाई छवि को तोड़ने का काम करती है। मुट्टीभर भद्रजनों की विशिष्टता के बरअक्स बहुसंख्य आमजन के छोटे-छोटे काम किस तरह इस धरती के लिये नमक का काम करते हैं, पुजप्रकाश द्वारा गढ़े हुए बिंब न केवल कविता के इस मूल अभिप्राय को परत-दर-परत खोलते हैं बल्कि यह भी बताते हैं कि जब कविता मंच पर आती है तो किस तरह खूबसूरत पेंटिंग में तब्दील होती नजर आती है।

भारतेंदु के कालजयी नाटक ‘अंधेर नगरी’ में बच्चों ने जमकर मस्ती की और उसे बेहद रोचक अंदाज में अपने ढंग से प्रस्तुत किया। निर्देशक राधेश्याम तराने व पुंजप्रकाश ने बाल कलाकारों को इंप्रोवाइजेशन की खुली छूट दे रखी थी और संयोग से उन्होंने इस छूट का भरपूर सदुपयोग किया। नाटक शुरुआत से ही सीधा खड़ा होता है और अंत तक अपनी लय व गति बनाये रखता है। बाजार का दृश्य इस नाटक में एक उपलब्धि के रूप में सामने आता है और बाल कलाकारों की असिमित संभावनाओं को रेखांकित करता है।

 नाटक 'अंधेर नगरी चौपट राजा'
कर्यक्रम के अंत में कार्यशाला के प्रथम दिन आयोजित बाल चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। इस असवर पर भिलाई इप्टा के राजेश श्रीवास्तव, मणिमय मुखर्जी तथा इंदिरा कला व संगीत विश्वविद्यालय में नाट्य विभाग के प्राध्यापक योगेन्द्र चौबे भी मौजूद थे। आयोजन हेतु नि:शुल्क सुविधायें मुहैया कराने के लिये स्थानीय खालसा स्कूल समिति व मारवाड़ी धर्मशाला प्रबंधन समिति को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।


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