Saturday, May 18, 2013

कलम का सौदा करने वाला कभी लेखक नहीं हो सकता


बेगूसराय। प्रगतिशील आन्दोलन से जुड़े लेखक व चिंतक असगर अली इंजीनियर के असामयिक निधन से बेगूसराय स्थित गोदरगावां का विप्लवी पुस्तकालय परिवार मर्माहत है। पांच वर्ष पूर्व यहाँ पुस्तकालय के वार्षिकोत्सव सह प्रलेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में वे यहाँ आये थे। इनका कथन ‘मैं पहले भारतीय हूँ तब मुसलमान’ सुनकर लोगों ने इन्हें मुबारकवाद दी थी। आज भी इनके ये शब्द  जनमानस के हृदय में गूंजते हैं उन्होंने कहा था कि ‘कलम का सौदा करने वाला कभी लेखक नहीं हो सकता’।
उन्होंने यहाँ हर्ष व्यक्त किया था कि बिहार के एक छोटे से गांव गोदरगावां में प्रगतिशील लेखक संघ का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है। यह पहला मौका है जब बड़े शहरों में होने वाला अधिवेशन एक गांव में हो रहा है। इसे मैं ऐतिहासिक मानता हूँ। यहां जो लेखक साथी आये हैं गांव की जुबान में अपनी बातें उन तक पहुंचायें। उन्होंने कहा था- अगर लेखक सच न बोले, लेखक मूल्यों से समझौता कर ले तो इससे बढ़कर खतरनाक चीज इस देश के लिए कोई और नहीं हो सकती। मैं उसी को लेखक मानता हूँ जो कभी मूल्यों से समझौता न करे। ये बातें दिवंगत असगर साहब की शोक सभा में बिहार प्रलेस महासचिव राजेन्द्र राजन ने कही।

विप्लव पुस्तकालय के सचिव आनन्द प्र. सिंह ने कहा कि असगर अली इंजीनियर महान विचारक, साम्प्रदायिकता, धार्मिक कट्टरता के घनघोर विरोधी थे। बोहरा सम्प्रदाय से जुड़कर इन्होंने कट्टरपंथियों के विरूद्ध आजीवन संघर्ष किया। कई बार इनके ऊपर जानलेवा हमले भी हुए। हम इन्हें शत शत नमन करते हैं। विप्लवी पुस्तकालय में आयोजित इस शोक सभा में उपस्थित लोगों ने असगर अली के निधन को अपूरणीय क्षति बताया। इस अवसर पर बिहार प्रलेस के कई कार्यकर्ता व रचनाकर्मी मौजूद थे। इस शोकसभा की अध्यक्षता रमेश प्र. सिंह ने की। मधेपुरा से आये कवि अरविन्द श्रीवास्तव, विप्लवी पुस्तकालय के मीडिया प्रभारी मनोरंजन विप्लवी, पुस्तकाध्यक्ष अगम विप्लवी, प्रवीण कुमार आदि ने भी अपने-अपने विचार रखें। इस अवसर पर बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के रचनाधर्मी मित्रों यथा डा. खगेन्द्र ठाकुर, कर्मेन्दु शिशिर, संतोष दीक्षित, डा. पूनम सिंह, कवि शहंशाह आलम, राजकिशोर राजन, विभूति कुमार आदि ने अपने शोक संवेदना संदेश भेजकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की..
अरविन्द श्रीवास्तव

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